Prof. Ravi Kant Chandan : लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित प्रोफेसर के खिलाफ ABVP के छात्रों ने लगाए 'गोली मारो...' के नारे, बताया खुद की जान का खतरा
Prof. Ravi Kant Chandan : लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित प्रोफेसर के खिलाफ ABVP के छात्रों ने लगाए गोली मारो... के नारे, बताया खुद की जान का खतरा
Prof. Ravi Kant Chandan : लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और दलित चिंतक डॉ. रवि कांत चंदन (Dr. Ravi Kant Chandan) ने हाल ही एक डिबेट शो पर पट्टाभि सितारमैया (Indian Independence Activist And Political Leader Bhogaraju Pattabhi Sitaramayya) की किताब का हवाला देते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashivishwanath Temple) और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद एबीवीपी (ABVP) के छात्रों इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताते हुए कई घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान उनके खिलाफ नारेबाजी की गई। यही नहीं उनके खिलाफ सिद्धार्थनगर के अनिल दुबे ने एफआईआर भी दर्ज कराई है। वहीं डॉ. रविकांत चंदन ने भी एफआईआर के लिए पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया है और आरोप लगाया है कि उनकी और उनके परिजनों की जान को खतरा है।
डॉ. रवि कांत चंदन (Prof.Ravi Kant Chandan) ने बताया कि परसो शाम को मैं आशुतोष जी के साथ 'सत्य हिंदी' पर डिबेट में था। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जो विवाद चल रहा था उसी को लेकर बातचीत थी। उसी के क्रम में वहां पर कैसे मंदिर टूटा है और मस्जिद कैसे बनाई गई है, इसी के संदर्भ में पट्टाभि सितारमैया ने अपनी किताब फेदर्स एंड स्टोन में जिस कहानी को लिखा है, उसी का जिक्र मैंने उस डिबेट में किया था कि मस्जिद यहां कैसे बने।
उन्होंने बताया कि मेरे वक्तव्य और लेखक के संदर्भ को काटकर मेरे खिलाफ प्रचारित किया गया कि मैं हिंदू भावनाओं को भड़का रहा हूं जबकि मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मैं तो केवल उस घटना का जिक्र कर रहा था जो कहानी के रूप में है, वह तथ्यात्मक रूप में भी नहीं है, मैंने इसको भी कहा। बावजूद इसके आज एबीवीपी के छात्रों और साथ ही साथ बाहर के तत्वों ने जो यहां के छात्र नहीं थे, उन्होंने आकर माहौल खराब किया। उन्होंने आपत्तिजनक नारे लगाए, गोली मारो साX को..इस तरह के नारे लग रहे थे।
मेरे एक वीडियो के आधे हिस्से को प्रसारित करके मेरे खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है। पट्टाभि सीतारमैया की किताब को कोट करते हुए मैने अपनी बात कही थी। बाबासाहब का संविधान हम सबको बोलने की आजादी देता है। हम बाबासाहब की संतान हैं। जय भीम!
— Prof.Ravi Kant Chandan (@Profravikant79) May 9, 2022
यह वीडियो देखकर गलतफहमी दूर की जा सकती है। pic.twitter.com/Ew8QR1f44L
'बावजूद इसके जो पुलिस प्रशासन था उसके सहयोग से हमने विद्यार्थियों के साथ बात भी की, मैंने (Prof. Ravi Kant Chandan) यह भी कहा कि आप पूरा वीडियो देखिए आपकी गलतफहमी दूर हो जाएगी। दूसरा अगर आपकी भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। बात यहां पर खत्म हो गई थी लेकिन मैं अंदर फंसा था तो मैंने फेसबुक पर लिखा था कि मेरे साथ कुछ भी हो सकता है तो उसी को लेकर धरना प्रदर्शन चल रहा है। यही आज का सूरते हाल है।'
एफआईआर के लिए पुलिस को दिए प्रार्थना पत्र में उन्होंने कहा, ''एक यूट्यूब चैनल पर बहस में मैंने हिस्सा लिया था। इस बौद्धिक बहस में इतिहासकार पट्टाभि सितारमैया की किताब के हवाले से जो बात मैंने कही थी, उसे एबीवीपी के छात्रों और अन्य अराजक तत्वों ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर ट्वीटर व अन्य सोशल मीडिया माध्यम पर प्रसारित कर मेरे विरूद्ध नफरत का प्रचार किया। आज उन लोगों ने मुझे विश्वविद्यालय परिसर में घेरकर जान से मारने का प्रयास किया। साथ ही मेरे खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया व 'देश के गद्दारों को गोली मारो साX को' जैसे उग्र नारों का प्रयोग किया। मैं दलित समुदाय से आता हूं। मेरे खिलाफ जातिगत टिप्पणियां कीं। यह मेरे मूल अधिकारों, जीवन की स्वतंत्रता व अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है। मेरे और मेरे परिवार को जान का खतरा है। छात्रों व अन्य अराजक तत्वों के खिलाफ उचित कार्यवाही करने की कृपा करें।''
— Prof.Ravi Kant Chandan (@Profravikant79) May 10, 2022
उनके समर्थन में सोशल मीडिया पर कई लोग सामने आए हैं। प्रो. अपूर्वानंद ने अपने ट्वीट में लिखा कि डॉ. रविकांत पर हमले और उनके खिलाफ एफआईआर की निंदा की जानी चाहिए। वह धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद की बात करते हैं जो लोगों को एकजुट करता है। अगर उनके जैसी आवाजों को खामोश कर दिया गया तो विश्वविद्यालय मर जाएंगे।
Attack on Dr Ravikant and FIR against him must be condemned. He speaks for secular nationalism which unifies people. If voices like him are silenced universities ll be dead.
— Apoorvanand अपूर्वानंद (@Apoorvanand__) May 10, 2022
अभिनव कुमार श्रीवास्तव लिखते हैं- आज कल छात्र संगठनों की भावनाएं देवी-देवताओं के ऊपर कथित टिप्पणी पर ही क्यों आहत होती हैं? काश! ये शिक्षकों की कमी पर भी ऐसे ही आंदोलन करते। लखनऊ विश्वविद्यालय (University Of Lucknow) के कई विभाग महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके लिए कभी मोर्चा नहीं खुलता। सच है- धर्म से बड़ी कोई अफीम नहीं।
आजाद समाज पार्टी के आजाद अनिकेत धनुक लिखते हैं- दलित चाहे प्रोफेसर बन जाए या फिर अधिकारी लेकिन उत्पीड़न कम नहीं होता। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत पर लिंचिंग का इरादा रखकर हमला बोल रहे एबीवीपी के छात्र, भाजपा अपने असली रूप में। पुलिस कार्रवाई करे।