Haryana News : जानिए क्या है चिराग योजना, जिसका विरोध करने पर हरियाणा के कैथल में अध्यापक पर दर्ज हुआ राजद्रोह का मुकदमा
चिराग योजना के विरोध में शिक्षकों ने शुरू से ही दम भरना शुरू कर दिया था
Haryana News : हरियाणा के कैथल में अध्यापक सुरेश द्रविड़ को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद उनपर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया गया। पूरा मामला हरियाणा सरकार द्वारा चलाई गई चिराग योजना को लेकर गर्माया हुआ है। इससे पहले शिक्षक तालमेल कमेटी ने निलंबित अध्यापक सुरेश द्रविड़ की बहाली की मांग के लिए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। साथ ही अध्यापक सुरेश द्रविड़ पर लगाये गये राजद्रोह के मुकदमें को वापस लेने की मांग उठाई गई है।
जानकारी के मुताबिक बीती 8 सितंबर को प्रदेश सरकार की अव्यवहारिक रेशनेलाइजेशन नीति के बाद ऑनलाइन ट्रांसफर ड्राइव से प्रदेश के स्कूलों में पैदा हुए माहौल और चिराग योजना के विरोध में राज्यमंत्री कमलेश ढांडा के निवास पर प्रदर्शन किया गया था। प्रदर्शन के बाद जन शिक्षा अधिकार मंच के सदस्य और आरपीएसएस के जिला प्रधान सुरेश द्रविड़ को जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी द्वारा निलंबित कर दिया गया। इस निलंबन के विरोध में 14 सितंबर को जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन का फैसला किया तथा सुरेश द्रविड़ को तुरंत बहाल करने की मांग उठाई गई थी।
इसके बाद 23 सितंबर 2022 को थाना कैथल सिटी में सुरेश द्रविड़ पर मुकदमा संख्या 508/2022 की धारा 124 A के तहत एफआईआर पंजीकृत करवा दी गई। जनज्वार को मिली FIR कॉपी के अनुसार, सुरेश पर यह मुकदमा थाना कैथल में बतौर सुरक्षा एजेंट तैनात मदन लाल की तरफ से दर्ज करवाया गया है। मदन लाल का कहना है कि राज्यमंत्री हरियाणा सरकार कमलेश ढ़ांडा के आवास के बाहर एक प्रतिनिधिमंडल ज्ञापन देने आया था, उसी दौरान सरकार को काले कानून वापस लेने जैसी बातें कही गईं और नारेबाजी की गई, जिसके बाद सुरेश पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करवाया गया है।
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि यह बहुत पुराना कानून और उससे जुड़ी धारा है। इसकी सरकार कोई समीक्षा करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस इस संबंध में कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं कर सकती। लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने कोर्ट के आदेश का पालन ना करते हुए सुरेश पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया है। और अब सुरेश को हिरासत में लिए जाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसे शिक्षक तालमेल कमेटी ने अधिकारों का हनन बताकर विरोध जताया है।
क्या है चिराग योजना?
हरियाणा में 381 निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों में गरीब बच्चों को दाखिला स्कूल शिक्षा विभाग चिराग योजना के तहत कर रहा है। इससे पहले यह दाखिले नियम- 134ए के तहत होते थे। हरियाणा सरकार ने नियम- 134 ए खत्म कर चिराग योजना की शुरुआत की है। योजना के तहत कक्षा दूसरी से 5वीं तक प्रति छात्र 700 रुपये, कक्षा छठी से आठवीं तक प्रति छात्र 900 रुपये और कक्षा नौवीं से 12वीं तक प्रति छात्र 1100 रुपये प्रति माह फीस सरकार निजी स्कूलों को देती है। सरकार के मुताबिक, प्रदेश में ऐसे कई अभिभावक है जिनकी इच्छा होती है कि वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करवाए। लेकिन उनके पास पैसे की कमी होने के कारण उनका यह सपना अधूरा रह जाता है इसलिए हरियाणा सरकार की शिक्षा मंत्री ने चिराग योजना हरियाणा के माध्यम से सरकारी स्कूल के बच्चों को प्राइड स्कूल में फ्री में पढ़ाई जाने की योजना लागू करने का मसौदा तैयार किया।
क्यों हो रहा विरोध?
सरकार द्वारा लाई जा रही चिराग योजना के विरोध में शिक्षकों ने शुरू से ही दम भरना शुरू कर दिया था। शिक्षक तालमेल कमेटी द्वारा सडकों पर उतरते हुए पहले भी रोष प्रदर्शन किया गया। इस दौरान अध्यापकों ने सरकार पर उनके व विद्यार्थियों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। साथ ही तीन सालों से बिना पुस्तकों के पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध करवाने की मांग की। अध्यापकों ने सीएम के नाम सीटीएम को ज्ञापन सौंपा और निर्णय लिया कि सरकार ने अपना फैसला वापिस नहीं लिया तो आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
शिक्षक तालमेल कमेटी संयोजक राजेश सांगवान व संजय शास्त्री ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को टैब देकर उनके भविष्य को खराब किया जा रहा है। टैब में कई प्रकार की एप डाउनलोड कर बच्चे संस्कारहीन हो रहे हैं। करनाल में अध्यापकों के साथ अन्याय किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने चिराग योजना वापिस नहीं लेती है तो सडकों पर आकर प्रदेश भर में आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
काॅरपोरेट्स से हाथ मिलाने का आरोप
शिक्षकों के साथ अभिभावक भी चिराग योजना के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि काॅरपोरेट्स कंपनियों को देने का काम किया जा रहा है, जिसके कारण हमने धरना प्रदर्शन किया है जिसमें मुख्य मुद्दा चिराग योजना को रद्द करने के बारे में है, जिसमें सरकार सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से फीस लेगी और वही प्राइवेट में पढ़ने पर सरकार बच्चों की फीस खुद देगी तो यह बिल्कुल ही अटपटा है, क्योंकि सरकार की योजना प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देकर बाद में सब कुछ बंद करने की होती है, जिसका हम पूरा विरोध करते हैं और वही मॉडल संस्कृति स्कूलों में टीचरों की भारी कमी है। जो कल के मॉडल संस्कृति स्कूल में जब अध्यापक ही नहीं तो बच्चों से फीस क्यों वसूली जा रही है, इसका भी भारी विरोध करते हैं कि मॉडल संस्कृति स्कूलों में फीस बंद होनी चाहिए।
जानिए क्या है धारा 124A
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124ए को लेकर काफी चर्चा होती रही है। यहां तक कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस धारा के तहत फिलहाल कोई भी मामला दर्ज करने पर रोक लगा दी है। अब आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट इस धारा 124ए का भविष्य तय करेगी। दरअसल, आईपीसी की धारा 124A का संबंध राजद्रोह से है। भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 124A में राजद्रोह को परिभाषित किया गया है। साथ ही इस धारा के तहत दोषी पाए जाने वाले शख्स की सजा और जुर्माना भी बताया गया है।
IPC की धारा 124A के मुताबिक, जो कोई बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपण द्वारा अन्यथा भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमान पैदा करेगा, या पैदा करने का प्रयत्न करेगा या अप्रीति प्रदीप्त करेगा, या प्रदीप्त करने का प्रयत्न करेगा, वह आजीवन कारावास से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या तीन वर्ष तक के कारावास से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या जुर्माने से दंडित किया जाएगा।