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पर्यावरण

Climate change News: मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन प्रकृति में खतरनाक व्यावधान कर रहा पैदा, दुनियाभर में अरबों लोगों का जीवन हो रहा प्रभावित

Janjwar Desk
26 March 2022 1:43 PM GMT
Climate change News: मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन प्रकृति में खतरनाक व्यावधान कर रहा पैदा, दुनियाभर में अरबों लोगों का जीवन हो रहा प्रभावित
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ग्लोबल वार्मिंग अगर 1.5 डिग्री सेल्सियस तक होता है तो गर्मी की लहरें, लंबे गर्म मौसम और कम समय के लिए ठंड के मौसम में वृद्धि होगी, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग अगर दो डिग्री सेल्सियस तक पहुँचती है तो वो असहनीय होगा...

Climate change News: जहाँ एक ओर जलवायु परिवर्तन लगातार अपनी गति पर बढ़ रहा है और स्थिति बिगाड़ रहा है, वहीँ एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र का अंतर सरकारी पैनल (IPCC) जलवायु परिवर्तन पर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी करने के लिए तैयार है।

इस आगामी रिपोर्ट में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि कैसे बिगड़ती स्थिति को संभाला जाए। इस रिपोर्ट से उम्मीद है कि इसमें विशेषज्ञों द्वारा उन प्रौद्योगिकियों पर विचार किया जायेगा जो उस कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने में मदद कर सकती हैं जो पृथ्वी के गर्म होने के लिए जिम्मेदार है।

छठी मूल्यांकन रिपोर्ट की तीसरी किस्त में न केवल विशेषज्ञों की सहभागिता होगी, बल्कि इसमें दुनियाभर के नेता भी शामिल होंगे, क्योंकि उन्हें पैनल द्वारा 4 अप्रैल को इसे जारी करने के बाद इसका अनुमोदन और इस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करना होगा।

IPCC ने अब तक बढ़ते तापमान के कारणों, चुनौतियों और प्रभावों का विवरण देने वाली रिपोर्ट के दो सेट जारी किए हैं। जहाँ पहली रिपोर्ट ने दिखाया कि जब तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तत्काल, तीव्र और बड़े पैमाने पर कमी नहीं होती है, तब तक वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना पहुंच से बाहर होगा। वहीं दूसरी रिपोर्ट में पाया गया कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन प्रकृति में खतरनाक और व्यापक व्यावधान पैदा कर रहा है। यह दुनियाभर में अरबों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है और कार्रवाई की खिड़की कम होती जा रही है।

अपनी प्रतिक्रिया देते हुए तीसरी रिपोर्ट के लिए एक समन्वय प्रमुख लेखक (CLA) और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के प्रोफेसर नवरोज़ के. दुबाश कहते हैं, आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप 3 की रिपोर्ट के आगे सबसे बड़ी चुनौती होगी रिसर्च का आकलन करना और नीति निर्माताओं को जलवायु परिवर्तन की चुनौती के तत्काल समाधान के लिए मार्गदर्शन करना।

प्रोफेसर नवरोज कहते हैं, "भारत निश्चित रूप से गंभीर जलवायु नुकसान के जोखिम का सामना कर रहा है और यह नुकसान हमारी विकास संभावनाओं को प्रभावित करेगा।"

कुल मिलाकर यह तीसरी रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए शमन कार्रवाई में तेजी लाने के लिए सरकारें कैसे जुटा सकती हैं, इसके लिए आगे का रास्ता बताएगी।

क्या पाया अब तक की आईपीसीसी की रिपोर्टों ने?

संयुक्त राष्ट्र संघ ने पिछले आठ महीनों में दो रिपोर्टें जारी की हैं, जिनमें पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन न केवल दुनिया के लिए बल्कि पूरे ग्रह के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक के रूप में उभर रहा है। पिछले साल अगस्त में जारी अपनी पहली रिपोर्ट में, पैनल ने जलवायु के चरम पर पहुंचने पर चिंता व्यक्त की।

विभिन्न प्रकार के परिदृश्यों में चरम घटनाओं की संभावना को बढ़ाते हुए, संयुक्त राष्ट्र के पैनल ने कहा कि, ग्लोबल वार्मिंग अगर 1.5 डिग्री सेल्सियस तक होता है तो गर्मी की लहरें, लंबे गर्म मौसम और कम समय के लिए ठंड के मौसम में वृद्धि होगी, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग अगर दो डिग्री सेल्सियस तक पहुँचती है तो वो असहनीय होगा।

पिछले महीने जारी रिपोर्ट के दूसरे भाग से पता चला है कि यदि मानव-जनित ग्लोबल वार्मिंग एक डिग्री के दसवें हिस्से तक सीमित नहीं होती है, तो पृथ्वी नियमित रूप से घातक गर्मी, आग, बाढ़ और भविष्य के दशकों में सूखे से प्रभावित होगी और 127 तरीकों से "संभावित रूप से अपरिवर्तनीय" नुकसान अनुभव करेगी हैं।

यह रिपोर्टें इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि जलवायु परिवर्तन कैसे वैश्विक प्रवृत्तियों, जैसे प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर उपयोग, बढ़ते शहरीकरण, सामाजिक असमानताओं, चरम घटनाओं से नुकसान और क्षति और भविष्य के विकास को खतरे में डालने वाली महामारी के साथ तालमेल बैठाता है।

- Climateकहानी

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