Begin typing your search above and press return to search.
पर्यावरण

एक्सपर्ट पैनल ने दी जोशीमठ के दरकते घरों को ढहाने की सलाह, धामी सरकार पुनर्वास का क्या करेगी इंतजाम

Janjwar Desk
8 Jan 2023 1:22 PM IST
एक्सपर्ट पैनल ने दी जोशीमठ के दरकते घरों को ढहाने की सलाह, धामी सरकार पुनर्वास का क्या करेगी इंतजाम
x

जोशीमठ क्षेत्र में चल रही सभी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण और विस्फोट पर कोर्ट ने लगाई तत्काल रोक, निष्पक्ष विशेषज्ञों से जांच कराने का निर्देश

Joshimath Sinking: शीमठ के रिहायशी इलाकों के मकानों और जमीनों में दरारें लगातार बढ़ रही हैं। आवासीय और कॉमर्शियल भवनों के अलावा मंदिरों में भी दरारें दिख रही हैं। मात्र 48 घंटे के भीतर दरारों की संख्या 561 से बढ़कर 603 वो भी सरकारी आंकड़े के अनुसार ​बतायी जा रही है, जबकि स्थानीय जनता का दावा इससे कहीं ज्यादा का है....

Joshimath Sinking: दिन-ब-दिन मौत की तरफ बढ़ते जा रहा जोशीमठ अंतरराष्ट्रीय मीडिया की प्रमुख खबर में शामिल हो चुका है। जोशीमठ के इस हाल के लिए निश्चित तौर पर प्रकृति के साथ की गयी छेड़छाड़ है, जिसका सवाल पर्यावरण विशेषज्ञ और आंदोलनकारी उठाते आये हैं। कहा भी जा रहा है कि अगर समय रहते आंदोलनकारियों की बात सरकार ने सुन ली होती तो जोशीमठ वालों को अपनी जमीन से उजड़ना नहीं पड़ता, अपनी आंखों के सामने एक शहर की सभ्यता नष्ट नहीं होती।

ढहते जोशीमठ को देखकर अब एक्सपर्ट ने सरकार को सुझाव दिया है कि दरक रहे घरों को तोड़ दिया जाये। गौरतलब है कि जोशीमठ में लगातार होते भू धंसाव के बाद सरकार ने आठ सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल बनाया था, जिसने जोशीमठ की स्थिति का जायजा लिया था। विशेषज्ञों ने यहां का जायजा लेने के बाद रिपोर्ट केंद्र की मोदी और राज्य की धामी सरकार को भेज दी है। विशेषज्ञों ने राय दी है कि जोशीमठ में दरक रहे घरों को ध्वस्त कर दिया जाये, न कि मरम्मत करके उन्हें दोबारा रहने योग्य बनाया जाये।

मरम्मति से काम नहीं बनने की बात कही जा रही है। सवाल यह उठ रहा है कि दरक रहे घरों को सरकार तोड़ने की कार्रवाई करेगी। क्या इसकी जगह नए मकान बनाकर लोगों को दिए जाएंगे। बहरहाल, सरकार की ओर से गठित आठ सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल ने सिफारिश की है कि जोशीमठ में अधिकतम क्षति वाले घरों को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए। जो क्षेत्र रहने योग्य हो गए हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए। जोखिम वाले लोगों का पुनर्वास तत्काल प्रभाव से कराया जाना चाहिए। सरकार को अब एक्सपर्ट पैनल की अनुशंसा पर फैसला लेना है।

गौरतलब है कि राज्य और केंद्र सरकार की अनुशंसा पर आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा के नेतृत्व में पैनल ने 5 और 6 जनवरी को धंसते जा रहे जोशीमठ इलाके का सर्वेक्षण किया था। टीम ने कहा कि पहली नजर में जोशीमठ का 25 फीसदी हिस्सा अत्यधिक प्रभावित लग रहा है, जहां लगभग 25 हजार लोग रहते हैं।

सर्वे टीम के मुताबिक जो सर्वे अगस्त 2022 में किया गया था उसके मुकाबले अब सुनील, मनोहर बाग, सिंहधर और मारवाड़ी क्षेत्रों में नुकसान का प्रतिशत बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। सर्वे टीम ने उस जेपी कॉलोनी का भी दौरा किया, जहां दो जनवरी की रात 400 लीटर प्रति मिनट की रफ्तार से पानी फ्लो हो रहा था। एक्विफर फटने के बाद जमीन के धंसान में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पानी का तेज बहाव और दरारों में वृद्धि एक साथ होती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, एक्विफर के फटने से जमीन के नीचे वैक्यूम क्रिएट हुआ, जिस कारण जमीन नीचे की तरफ दरकी। मकानों से लेकर सड़क और अन्य संरचनाओं में दरार में वृद्धि का यह बड़ा कारण था। जेपी कॉलोनी से मारवाड़ी तक आई दरार का यह बड़ा कारण माना गया है। जेपी कॉलोनी में तो कई स्थानों पर एक मीटर तक गहरी दरार देखी गई। इस कारण इमारतों की रिटेनिंग वॉल और नींव को नुकसान पहुंचा है, जिससे इमारतों और जमीन में दरारें आ गई हैं। इसके बाद भी भी पानी के स्रोत का पता नहीं चल पाया है। इसका स्रोत निर्धारित करने की जरूरत सर्वे टीम ने बताई है।

जिस एनटीपीसी को जोशीमठ की तबाही का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है उसकी परियोजना का भी एक्सपर्ट पैनल ने जायजा लिया। एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना स्थल का जायजा लेने के बाद विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी के निचले इलाकों में कटाव जैसी स्थिति देखी गई, जिसके बाद विशेषज्ञों द्वारा विष्णुप्रयाग और मारवाड़ी के बीच अलकनंदा नदी के बाएं किनारे के निचले भाग में सेफ्टी वॉल बनाने का सुझाव दिया गया। इसके अलावा अलकनंदा नदी के विस्तृत अध्ययन का भी सुझाव दिया गया है, इसमें जियो टेक्नोलॉजी, जियो फिजिकल और हाइड्रोलॉजिकल जांच के साथ-साथ भूकंपीय और ढलान मूवमेंट की निगरानी की भी बात कही गई है।

जोशीमठ के रिहायशी इलाकों के मकानों और जमीनों में दरारें लगातार बढ़ रही हैं। आवासीय और कॉमर्शियल भवनों के अलावा मंदिरों में भी दरारें दिख रही हैं। मात्र 48 घंटे के भीतर दरारों की संख्या 561 से बढ़कर 603 वो भी सरकारी आंकड़े के अनुसार ​बतायी जा रही है, जबकि स्थानीय जनता का दावा इससे कहीं ज्यादा का है।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने मीडिया को दिये गये बयान में कहा कि प्रभावित क्षेत्रों और घरों की पहचान की प्रक्रिया जारी है। कमजोर घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार 6 जनवरी को उन घरों में रहने वाले लगभग 600 परिवारों को तत्काल खाली करने का आदेश दिया था।

सामरिक महत्व के बदरीनाथ हाईवे जोशीमठ के भी भूधंसाव की चपेट में आने के कारण खतरा बढ़ चुका है। राजमार्ग पर जगह जगह आईं बड़ी-बड़ी दरारें चिंता का कारण बन गई हैं। यदि दरारें थोड़ा भी और चौड़ी हुई तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसे हालात में भारतीय सेना चीन की सीमा से कट सकती है। सीमांत जिले चमोली के जोशीमठ से बदरीनाथ की दूरी करीब 46 किमी है। बदरीनाथ से आगे का रास्ता चीन सीमा की ओर जाता है। जोशीमठ प्रमुख हिंदू और सिख धार्मिक स्थलों जैसे बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब का प्रवेश द्वार है। यह चीन के साथ भारत की सीमा के पास प्रमुख सैन्य ठिकानों में से एक है।

धंसते जोशीमठ की स्थिति को देखते हुए चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दिया गया है। जोशीमठ औली मार्ग आवागमन भी बंद कर दिया गया है। इसके अलावा औली रोपवे का संचालन भी बड़ी दरार विकसित होने के बाद रोक दिया गया है।

Next Story

विविध