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पर्यावरण

चरम मौसम की मार सबसे अधिक भारत में, भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ने की आशंका

Janjwar Desk
30 Jan 2021 12:45 PM IST
चरम मौसम की मार सबसे अधिक भारत में, भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ने की आशंका
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जर्मनवाच के अनुसार ऐसी घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण साल-दर-साल बढ़ रहीं हैं, फिर भी वे यह दावा नहीं करते कि हरेक ऐसी आपदा जलवायु परिवर्तन के कारण है।

वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

जर्मनवाच नामक संस्था हरेक वर्ष "ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स" प्रकाशित करता है। हाल में वर्ष 2021 का इंडेक्स प्रकाशित किया गया है, जिसके अनुसार चरम मौसम, यानि चक्रवात, बाढ़ और अत्यधिक गर्मी के कारण वर्ष 2019 के दौरान सबसे अधिक मौतें और सबसे अधिक आर्थिक नुकसान भारत में हुआ है। वर्ष 2019 के सन्दर्भ में वैसे तो मोजांबिक, ज़िम्बाब्वे और बहमास का स्थान नुकसान के सन्दर्भ में सबसे आगे है और भारत सातवें स्थान पर है, पर इनसे मौत और आर्थिक नुकसान में हम सबसे आगे हैं।

इस इंडेक्स में दुनिया के कुल 180 देशों को शामिल किया गया है। जर्मनी के बोन में स्थित जर्मनवाच नामक संस्था के अनुसार इस इंडेक्स को तैयार करने के लिए चक्रवात, बाढ़ और अत्यधिक गर्मी जैसे चरम मौसम की घटनाओं से होने वाले सीधे नुकसान का ही आकलन किया जाता है, इसके अप्रत्यक्ष प्रभावों जैसे सूखा, खेती का बर्बाद होना इत्यादि को शामिल नहीं किया जाता है।

जर्मनवाच के अनुसार ऐसी घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण साल-दर-साल बढ़ रहीं हैं, फिर भी वे यह दावा नहीं करते कि हरेक ऐसी आपदा जलवायु परिवर्तन के कारण है। जर्मनवाच के अनुसार इस अध्ययन के आंकड़े जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से भिन्न हैं, क्योंकि इस अध्ययन में केवल चरम प्राकृतिक आपदा को शामिल किया गया है, जबकि जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित अध्ययन में इन आपदाओं के दीर्घकालीन प्रभाव, सूखा, ग्लेशियर का पिघलना और सागर ताल का बढ़ना भी सम्मिलित रहते हैं।

इस इंडेक्स के अनुसार वर्ष 2019 के दौरान चरम प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत में 2267 व्यक्तियों की अकाल मृत्यु हो गई, जो दुनिया के किसी भी देश की अपेक्षा सर्वाधिक है और प्रति एक लाख आबादी में 0.17 व्यक्तियों की मृत्यु इस तरह हुई। इसी वर्ष चरम प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत को 6881.2 करोड़ डॉलर का बोझ अर्थव्यवस्था पर पड़ा जो सकल घरेलु उत्पाद का 0.72 प्रतिशत है। वर्ष 2019 के दौरान भारत में मानसून का समय एक महीना बढ़ गया था, जिसके कारण अनेक भागों में बाढ़ ने बहुत नुकसान पहुंचाया था। इसी वर्ष देश ने 8 ट्रॉपिकल चक्रवात का सामना किया था, जिसमें से 6 बहुत खतरनाक की श्रेणी में थे। बहामास में वर्ष 2019 में चरम प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रति एक लाख आबादी में से 14.7 की असामयिक मृत्यु हो गई, जो दुनिया में सर्वाधिक है। इसी तरह इन आपदाओं के कारण बहामास के सकल घरेलु उत्पाद में से लगभग 32 प्रतिशत का विनाश हो गया।

इस इंडेक्स के अनुसार वर्ष 2000 से 2019 के बीच चरम प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत में 4,75,000 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और अर्थव्यवस्था को लगभग 2.56 खरब डॉलर का नुक्सान पहुंचा। वर्ष 2000 से 2019 के बीच होने वाले नुकसान के सन्दर्भ में बनाए गए इंडेक्स में भारत का स्थान 20वां है। इस इंडेक्स में सबसे ऊपर के तीन देश क्रमशः पुएर्तो रिको, म्यांमार और हैती हैं। इस इंडेक्स में इन आपदाओं से होने वाली मृत्यु और आर्थिक नुकसान के सन्दर्भ में भारत का स्थान क्रमशः तीसरा और दूसरा है।

जाहिर है, भारत उन देशों में शुमार है जहां चरम प्राकृतिक आपदाएं लगातार दस्तक दे रही हैं और वैज्ञानिकों के अनुसार जवायु परिवर्तन के प्रभाव से ऐसी आपदाओं की संख्या बढ़ेगी – पर क्या हमारा देश इनकी मार झेलने के लिए तैयार है?

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