Begin typing your search above and press return to search.
पर्यावरण

Green Peace Report : खतरे में भारत की 99% आबादी, 62% गर्भवती महिलाएं सबसे प्रदूषित क्षेत्र में रहने को मजबूर

Janjwar Desk
4 Sep 2022 5:32 AM GMT
Green Peace Report : खतरे में भारत की 99% आबादी, 62%  गर्भवती महिलाएं सबसे प्रदूषित क्षेत्र में रहने को मजबूर
x

Green Peace Report : खतरे में भारत की 99% आबादी, 62% गर्भवती महिलाएं सबसे प्रदूषित क्षेत्र में रहने को मजबूर

Green Peace Report : शिकागो विश्वविद्यालय के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ( India ) दुनिया का सबसे प्रदूषित ( polluted country ) देश है।

Green Peace Report : पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण को लेकर खतरे की चपेट में हैं। इस बीच ग्रीन पीस इंडिया की ताजा रिपोर्ट ( Green Peace India report ) हर भारतीयों की चिंता बढ़ाने वाली है। हर भारतीय की चिंता इसलिए कि ग्रीन पीस इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि 99 प्रतिशत से अधिक आबादी ( Indian Population ) विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ ( WHO ) के स्वास्थ्य मानकों से 2.5 से 5 गुना अधिक खराब हवा में सांस ले रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में प्रदूषण ( Air pollution के सबसे अधिक जोखिम वाला क्षेत्र दिल्ली-एनसीआर है। यानि प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादा खतरे में देश की राजधानी और उसके आसपास के लोग हैं।

ग्रीन पीस इंडिया ( Green Peace India ) की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 62 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं सबसे प्रदूषित ( most polluted area ) क्षेत्रों में रहती हैं। जबकि पूरी आबादी के लिहाज़ से यह आंकड़ा 56 प्रतिशत का है। सरकार को बिना देर किए देश भर में एक मजबूत वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली पेश करनी चाहिए। ग्रीन पीस ( green Peace ) की डिफरेंट एयर अंडर वन स्काई शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रहने वाले लोगों का सबसे बड़ा अनुपात डब्ल्यूएचओ के वार्षिक औसत दिशानिर्देश के पांच गुना से अधिक पीएम यानि पार्टिकुलेट मैटर 2.5 सांद्रता की चपेट में है।

इंसान की स्वास्थ्य प्रतिरक्षा प्रणाली खतरे में


ग्रीन पीस की रिपोर्ट ( Green Peace Report ) ने बुजुर्गों, शिशुओं और गर्भवती महिलाओं ( Pregnant women ) को खराब हवा के संपर्क में आने वाले सबसे संवेदनशील समूहों के रूप में सूचीबद्ध किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएम 2.5 से आशय बेहद सूक्ष्म कणों में से हैं, जो शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़ों तथा श्वसन मार्ग में सूजन पैदा करते हैं, जिससे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली सहित हृदय और सांस संबंधी समस्याओं का खतरा होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को देश भर में एक मजबूत वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली पेश करनी चाहिए और वास्तविक समय में आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना चाहिए।

AQI में तत्काल सुधार की जरूरत

एक दिन पहले जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि खराब हवा वाले दिनों के लिए स्वास्थ्य परामर्श और रेड अलर्ट भी जारी किया जाना चाहिए जिससे लोग अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा सकें। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रदूषकों का उत्सर्जन कम करने की आवश्यकता होगी। मौजूदा राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक अपर्याप्त है और इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।

CPCB दे सुधार पर जोर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( CPCB ) को वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर एनएएक्यूएस के सुधार की एक प्रक्रिया स्थापित करनी चाहिए। सरकार को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत निर्धारित सभी गतिविधियों का क्रियान्वयन हर हाल में सुनिश्चित करना चाहिए। रिपोर्ट में एनसीएपी को पारदर्शी, व्यापक और मजबूत बनाने पर भी जोर दिया गया है।

एयर पाल्यूशन से पहले ही घट चुके हैं इंसानी जिंदगी के 9 साल

ग्रीन पीस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लोग पहले से ही वायु प्रदूषण संकट के लिए एक बड़ी कीमत चुका रहे हैं। लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। प्रदूषण की वजह से स्वास्थ्य संकट का लोग सामना कर रहे हैं। बता दें कि साल 2021 के अध्ययन में कहा गया था कि उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण से ज़िंदगी के नौ साल घट सकते हैं।

भारत दुनिया का सबसे प्रदूषित देश

वहीं शिकागो विश्वविद्यालय के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ( India ) दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है। जहां 48 करोड़ से अधिक लोग या देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी उत्तर में गंगा के मैदानी क्षेत्रों में रहती है। यह क्षेत्र दुनिया में कहीं और पाए जाने वाले प्रदूषण के स्तर से ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र है। 2019 में भारतीय आवोहवा में प्रदूषणकारी सूक्ष्म कण की मौजूदगी 70.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो दुनिया में सबसे अधिक और विश्व स्वास्थ्य संगठन के 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के दिशानिर्देश से सात गुना ज्यादा है।

Next Story

विविध