अमेरिका और रूस के पास मौजूदा जीवाश्म ईंधन संचय इतना ज्यादा कि ये पूरे वैश्विक कार्बन बजट का कर सकते हैं खात्मा
अमेरिका और रूस के पास मौजूदा जीवाश्म ईंधन संचय इतना ज्यादा कि ये पूरे वैश्विक कार्बन बजट का कर सकते हैं खात्मा
जीवाश्म ईंधन का पहला सार्वजनिक वैश्विक डेटाबेस लॉन्च
First public global database of fossil fuels launches : कल तक हमें सटीक तौर पर नहीं पता था कि दुनिया में कहाँ कितना जीवाश्म ईंधन उपलब्ध है, मगर आज प्रकाशित ताजा डेटा से जाहिर होता है कि दुनिया में जीवाश्म ईंधन के संचय के उत्पादन और उसके दहन से 3.5 ट्रिलियन टन से ज्यादा ग्रीनहाउस गैस उत्पन्न होगी। यह वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये निर्धारित कार्बन बजट के बचे हुए हिस्से के सात गुना से भी ज्यादा होने के साथ-साथ औद्योगिक क्रांति से लेकर अब तक उत्पन्न हर तरह के प्रदूषण से भी अधिक है। इस महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा होता है कार्बन ट्रैकर और ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर द्वारा आज जारी ग्लोबल रजिस्ट्री ऑफ फॉसिल फ्यूल्स में।
दरअसल अभी तक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये किये जाने वाले नीतिगत प्रयास मूलत: तेल, गैस और कोयले की मांग और उपभोग को कम करने पर केन्द्रित रहते थे और उनमें इनकी आपूर्ति के पहले को नजरअंदाज कर दिया जाता था। मिसाल के तौर पर तेल, गैस और कोयले की कुल ग्रीनहाउस गैसों के उत्पादन में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी होने के बावजूद पैरिस समझौते में जीवाश्म ईंधन के उत्पादन का जिक्र तक नहीं किया गया है।
कुछ बुनियादी बातें
यहाँ कार्बन बजट से तात्पर्य वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की वह मात्रा है, जिसके बाद बढ़ने से पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने लगेगा। यूएनईपी प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट्स ने शेष कार्बन बजट के संबंध में जीवाश्म ईंधन की बहुत व्यापक अधिकता के तथ्य को स्थापित किया है, जबकि आईईए ने दिखाया है कि अगर हमें ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है तो कोई नया फील्ड विकसित नहीं किया जा सकता है और कुछ मौजूदा फील्ड्स को समय से पहले ही उपयोग से बाहर करना होगा।
हालांकि नीति निर्धारकों और सिविल सोसाइटी के पास मौजूदा फील्ड्स को चरणबद्ध ढंग से चलन से बाहर करने की प्रक्रिया का प्रबंधन करने के तरीकों से सम्बन्धित निर्णय लेने के लिये सम्पत्ति स्तरीय डेटा की कमी थी। इसके अलावा बाजारों के पास भी ऐसी सूचना की कमी थी, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि कौन सी सम्पत्ति निष्प्रयोज्य होने वाली है।
इस बही खाते का काम
डेटा के इस अंतर को पाटने के लिये जीवाश्म ईंधनों की ग्लोबल रजिस्ट्री तैयार की गयी है। यह दुनियाभर में जीवाश्म ईंधन उत्पादन और भंडार का पहला सार्वजनिक डेटाबेस है जो कार्बन बजट पर उनके प्रभाव पर नजर रखता है। रजिस्ट्री अपनी धारणाओं और गणनाओं में पूरी तरह से नीति तटस्थ तथा पारदर्शी है, और उम्मीद है कि आने वाले समय में यह औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय जलवायु नीति निर्माण प्रक्रिया के भीतर स्थित हो जाएगी।
इस रजिस्ट्री में अपने जारी होने के वक्त 89 देशों में 50 हजार से ज्यादा फील्ड्स का डेटा शामिल किया गया है, जो कुल वैश्विक उत्पादन के 75 प्रतिशत हिस्से के बराबर है। अन्य बातों के अलावा इससे जाहिर होता है कि अमेरिका और रूस के पास मौजूदा जीवाश्म ईंधन संचय इतना ज्यादा है कि वे पूरे वैश्विक कार्बन बजट का खात्मा कर सकते हैं। अगर अन्य सभी देश अपना उत्पादन फौरन रोक दें तो भी ऐसा हो सकता है। रजिस्ट्री में जिन 50 हजार फील्ड्स को शामिल किया गया है उनमें से उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत सऊदी अरब की ग़ावर ऑयल फील्ड है जिससे हर साल तकरीबन 525 मिलियन टन कार्बन निकलता है।
बेशक, उत्सर्जन डेटा केवल एक प्रकार की जानकारी है जिसकी सरकारों को जीवाश्म ईंधन की अत्यधिक आपूर्ति को कम करने के लिए 'कैसे' के सवाल का जवाब देते वक्त जरूरत पड़ेगी। समय के साथ, रजिस्ट्री को आर्थिक विशेषताओं को शामिल करने के लिए विस्तारित किया जाएगा, जिसमें विशिष्ट संपत्तियों से जुड़े कर और रॉयल्टी शामिल हैं, जो कि आपूर्ति को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने के प्रबंधन के तरीके को लेकर निर्णय लेने में मददगार साबित हो सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े
एक प्रारंभिक 'हाइब्रिड एप्लिकेशन' नीचे दिए गए चार्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में उनकी लाभप्रदता और स्थान के विरुद्ध जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन का मानचित्रण करता है। image.png
इसके लिये तीन अंतर्दृष्टियां सामने आती हैं। चित्र में बायीं तरफ सबसे नीचे कम आमदनी वाले देशों में कोयला क्लस्टर उनकी कम लाभदेयता और संकेंद्रण को जाहिर करते हैं। तेल उत्पादक क्लस्टर चार्ट में शीर्ष पर स्थित हैं, क्योंकि गैस या कोयले के मुकाबले तेल से प्रति यूनिट कहीं ज्यादा बड़े लाभ मिलने का सिलसिला जारी है। वहीं, ओईसीडी जीवाश्म ईंधन का उत्पादन (दायीं तरफ सबसे नीचे) को अपेक्षाकृत कम लाभदेयता वाले क्षेत्र के तौर पर दिखाया गया है, खासकर इन देशों की सम्पूर्ण ताकत को ध्यान में रखते हुए। कार्बन ट्रैकर इनिशिएटिव ने एक्सट्रेक्टिव इंडस्ट्रीज ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव (ईआईटीआई) के साथ भी काम किया है ताकि जीवाश्म ईंधन उत्पादन से उत्पन्न उत्सर्जन और 20 ईआईटीआई सदस्य देशों में उत्पादक कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए करों की तुलना की जा सके। जैसा कि नीचे दिए गए चार्ट में दिखाया गया है।
इससे प्रति टन चुकाये जाने वाले उत्सर्जन करों में व्यापक विसंगति का पता चलता है। जहां ब्रिटेन प्रति टन 5 डॉलर उत्सर्जन कर वसूलता है, वहीं इराक प्रति टन उत्सर्जन करों के रूप में प्रतिटन लगभग 100 डॉलर अर्जित करता है।
न्यूयॉर्क में आज एक कार्यक्रम में इस रजिस्ट्री को जारी किया जाएगा, जो नेचुरल रिसोर्स गवर्नेंस इंस्टीट्यूट के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। इसमें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के साथ जर्मनी, तुवालु और वानुअतु के सरकारी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
विशेषज्ञों की राय
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए तुवालु के न्याय, संचार एवं विदेश मामलों के मंत्री साइमन कोफे ने कहा, "अब हमारे पास एक ऐसा औजार है जिससे हमें कोयले, तेल और गैस के उत्पादन का प्रभावी ढंग से खात्मा करने में मदद मिल सकती है। ग्लोबल रजिस्ट्री से सरकारों, कम्पनियों और निवेशकों को वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये अपने जीवाश्म ईंधन उत्पादन को नियंत्रित करने सम्बन्धी फैसले लेने में मदद मिलेगी। इस प्रकार हमें अपनी वैश्विक बिरादरी के सभी देशों के साथ-साथ द्वीपीय आवासों को खात्मे से रोकने के लिये ठोस मदद मिलती।
प्रशांत क्षेत्र में हम ग्रीनहाउस गैसों के सिर्फ 0.03 प्रतिशत हिस्से के बराबर वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिये जिम्मेदार हैं, मगर फिर भी हम अपनी धरती और भावी पीढि़यों के साझा भले के लिये अपने हिस्से का काम करने के लिये तत्पर हैं। सरकारों के रूप में, हम केवल अपनी प्रतिबद्धताओं के साथ जवाबदेही, सुसंगतता और संरेखण का प्रदर्शन करके वास्तविक जलवायु नेतृत्व दिखा सकते हैं। पेरिस समझौते ने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शासन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित किया। वैश्विक रजिस्ट्री एक और कदम है।"
आगे, कार्बन ट्रैकर के संस्थापक और रजिस्ट्री स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष मार्क कैम्पानेल ने कहा, "ग्लोबल रजिस्ट्री, राष्ट्रीय जलवायु नीतियों के साथ उत्पादन निर्णयों को जोड़ने के लिए सिविल सोसाइटी को सक्षम करके जीवाश्म ईंधन के विकास के लिए सरकारों और कंपनियों को अधिक जवाबदेह बनाएगी। समान रूप से, यह बैंकों और निवेशकों को विशेष संपत्तियों के फंसे होने के जोखिम का अधिक सटीक आकलन करने में सक्षम बनायेगी।"
अंत में, नेचुरल रिसोर्स गवर्नेंस इंस्टीट्यूट की अध्यक्ष और मुख्य अधिशासी अधिकारी सुनीता कैमल कहते हैं, "रजिस्ट्री जीवाश्म ईंधन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी के लिए खुली पहुंच की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है। एक निष्पक्ष वैश्विक ऊर्जा रूपांतरण के लिए अधिक पारदर्शिता, राज्यों के बीच बेहतर समन्वय और जीवाश्म ईंधन उत्पादन के लिए मजबूत जवाबदेही की जरूरत होती है। अब हर जगह नागरिकों और निवेशकों के पास सरकारों और कंपनियों को उनके निर्णयों के लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए एक आवश्यक उपकरण है।"
-Climateकहानी