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पर्यावरण

ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोत्तरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए अगले 8 वर्षों के दौरान रिन्यूएबल एनर्जी को बड़ी तेजी से बढ़ाना होगा आगे

Janjwar Desk
19 Sep 2023 7:01 AM GMT
ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोत्तरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए अगले 8 वर्षों के दौरान रिन्यूएबल एनर्जी को बड़ी तेजी से बढ़ाना होगा आगे
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Renewable energy : ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने की राह पर लौटने के लिए अगले 8 वर्षों के दौरान अक्षय ऊर्जा को अभूतपूर्व पैमाने और रफ्तार से आगे बढ़ाना होगा....

Renewable energy : एनर्जी ट्रांज़िशन में तेजी लाने और जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए पिछले हफ्ते जी20 देशों के नेताओं ने वर्ष 2030 तक वैश्विक रिन्युब्ल एनर्जी उत्पादन क्षमता को तीन गुना करने का संकल्प व्यक्त किया है। इसके मद्देनज़र ग्‍लोबल रिन्यूएबल अलायंस (जीआरए) ने 200 से ज्‍यादा संगठनों की तरफ से एक ओपेन लेटर तैयार किया है। इसमें सीओपी28 में वर्ष 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को तीन गुना करके कम से कम 11 हजार गीगावाट तक करने का लक्ष्‍य निर्धारित करने का आह्वान किया गया है।

इस खुले पत्र को जलवायु एवं ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े एक वैश्विक समूह द्वारा 18 सितंबर को यूएन जनरल असेंबली एंड न्यूयॉर्क क्लाइमेट वीक के अवसर पर प्रकाशित किया जा रहा है। इस पत्र में लिखा गया है कि “दुनिया के 200 संगठनों के वैश्विक समूह के रूप में हम विश्व के नेताओं तथा पेरिस समझौते पर दस्तखत करने वाले सभी पक्षों का पुरजोर आह्वान करते हैं कि वे इस साल होने वाली सीओपी28 की बैठक में रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन क्षमता को वर्ष 2030 तक तीन गुना करके कम से कम 11000 गीगावॉट करने के लक्ष्य पर सहमति बनाएं।

हमारा मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी विकास के क्षेत्र में इस दशक में कदम उठाया जाना और उसे ऊर्जा दक्षता में वृद्धि के साथ जोड़ा जाना दरअसल वैश्विक अर्थव्यवस्था को डीकार्बनाइज करने का सबसे तेज और किफायती तरीका होगा। यह सभी के लिए जीने लायक भविष्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वैश्विक समुदाय द्वारा इस वक्त उठाए जाने वाले सर्वाधिक प्रभावशाली संकल्पों में से एक है।

वर्ष 2030 तक के लिए निर्धारित इस वैश्विक लक्ष्य से सरकारों, उद्योगों, निवेशकों और सिविल सोसाइटी के पास एक स्पष्ट संदेश जाता है। इसका पैगाम यह है कि ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोत्तरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने की राह पर लौटने के लिए अगले 8 वर्षों के दौरान रिन्यूएबल एनर्जी को अभूतपूर्व पैमाने और रफ्तार से आगे बढ़ाना होगा। यह लक्ष्य इस महत्वपूर्ण दशक में अपनी ऊर्जा प्रणालियों को बहुत तेजी से रूपांतरित करने की तात्कालिकता को भी जाहिर करता है, जिसका संकल्प पिछले साल हुई सीओपी27 की बैठक में लिया गया था।

सीओपी28 के अध्यक्ष, नीति निर्धारक और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसियों के प्रमुख वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन क्षमता को तीन गुना करते हुए उसे कम से कम 11000 गीगावॉट तक पहुंचने का साझा लक्ष्य पहले ही तय कर चुके हैं। इसका मतलब यह है कि पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पन बिजली और जियोथर्मल पावर की उत्पादन क्षमता में तेजी लानी होगी, जिससे दीर्घकालिक स्टोरेज और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी प्रौद्योगिकियों के लिए उभार का एक मंच तैयार होगा। इससे ऊर्जा प्रणालियों का न सिर्फ साफ होना सुनिश्चित होगा, बल्कि वे न्यायसंगत और सुरक्षित भी बनेंगी।

इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2050 तक नेट जीरो वैश्विक ऊर्जा प्रणाली की नींव भी पड़ेगी। रिन्यूएबल एनर्जी दुनियाभर में पहले से ही समुदायों को रूपांतरित कर रही है। इससे न सिर्फ घरों, कारों और फैक्ट्री को साफ ऊर्जा मिल रही है बल्कि इससे रोजगार के भी लाखों अवसर पैदा हो रहे हैं। साथ ही साथ आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में पूंजी निवेश भी आकर्षित हो रहा है। अगर इस गतिविधि को तीन गुना कर दिया जाए तो इससे लोगों और प्रकृति को जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले भयंकर नुकसान को कम करने का भी मजबूत अवसर पैदा होगा। साथ ही साथ दुनिया को एक सतत, समावेशी और जलवायु के प्रति लचीले विकास के रास्ते पर लाने का मार्ग प्रशस्त होगा।

जहां हर देश और क्षेत्र अपने साझा लक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित दृष्टिकोण को अपनाएगा, वहीं रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन में तेजी लाने के कई वैश्विक सक्षमकारी कारक भी मौजूद हैं। रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े उद्योग, निवेशक तथा अन्य प्रमुख हितधारक रिन्यूएबल एनर्जी को अपनाने में तेजी लाने के लिए सरकारों के साथ काम करने को तैयार हैं। हालांकि इस वैश्विक लक्ष्य को लागू करने के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है-वर्ष 2030 तक के लिए ठोस अंतरिम माइलस्टोंस के साथ महत्वाकांक्षी ऊर्जा रूपांतरण योजनाओं के प्रति संकल्प व्यक्त किया जाना चाहिए।

इससे रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज और सहायक उद्योगों को दक्षतापूर्ण ऊर्जा श्रंखला के विकास की योजना बनाने का अवसर मिलेगा। इन योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों में झलकना चाहिए और उसे राष्ट्रीय नीति के ढांचे में भी शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें खरीद के लिए क्षमता की बड़ी मात्रा के निरंतर सुनियोजित कार्यक्रम के साथ-साथ महत्वाकांक्षी प्रौद्योगिकी लक्ष्य भी शामिल हो।

ग्रिड स्तरीय रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाओं तथा दीर्घकालिक ऊर्जा भंडारण और अक्षय हाइड्रोजन परियोजनाओं को अनुमति देने वाली योजनाओं को फौरन व्यवस्थित किया जाए। नीतियां बनाने वाले लोग प्रशासनिक, लाइसेंसिंग संबंधी और पर्यावरणीय अनुमतियों के विभिन्न स्तरों के लिए समय सीमा तय करने और प्राधिकारियों के लिए 'वन स्टॉप शॉप' मॉडल लागू करने पर भी विचार कर सकते हैं।

ग्रिड एक्शन प्लान पर तत्काल निवेश किया जाना चाहिए, जिससे बड़े पैमाने पर रिन्यूएबल एनर्जी तथा दीर्घकालिक ऊर्जा स्टोरेज संबंधी समाधानों को जोड़ने के लिए विद्युत ग्रिड और ऊष्मा प्रणालियों का तेजी से निर्माण किया जा सके क्योंकि ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर को रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाओं के मुकाबले ज्यादा वक्त लगता है, लिहाजा ग्रिड कनेक्शन और ट्रांसमिशन की उपलब्धता के अभाव से रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन में तेजी लाने में खासी रुकावटें पैदा हो सकती हैं।

साझा चुनौतियों में आपसी समन्वय को बेहतर बनाने, उत्तरी-दक्षिणी प्रौद्योगिकी अंतरण को बढ़ाने, दक्षिणी-दक्षिणी सहयोग और समाधानों को विस्तार देने तथा न्यायसंगत और विकासशील देशों में समानतापूर्ण रूपांतरण में योगदान करने के लिए ऊर्जा रूपांतरण में सहयोग के उद्देश्य से बहुपक्षीय रिन्युब्ल एनेर्जी साझेदारियों और व्यापार समझौतों को और पोषित किया जाना चाहिए।

जमीन और समुद्र में व्यापक पर्यावरण और जैव विविधता रणनीतियों के हिस्से के रूप में रिन्यूएबल एनर्जी स्थापना योजनाओं और लक्ष्यों को शामिल करके प्रकृति के प्रति सकारात्मक ऊर्जा रूपांतरण की क्षमता को अधिकतम किया जाए।

सतत विकास लक्ष्य- सप्तम के प्रति अपने संकल्प को मजबूत करें, ताकि एक ऐसा न्याय संगत और व्यवस्थित ऊर्जा रूपांतरण हो सके जिसमें कोई भी पीछे ना छूटे। साथ ही वर्ष 2030 तक सभी को किफायती, भरोसेमंद सतत और आधुनिक ऊर्जा उपलब्ध कराने की दिशा में निरंतर प्रयास किए जाएं।

नीति निर्धारकों को अन्य सक्षमकारी कारकों के बारे में भी सोचना चाहिए : ठोस सततता और प्रौद्योगिकीय मानकों/प्रमाणन को लागू करना, ऊर्जा सब्सिडी में समान अवसर का निर्माण, बिजली बाजारों में लचीलेपन और प्रेषण क्षमता को प्रोत्साहित करना, रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाओं की स्थापना की योजना बनाते समय स्वदेशी और भूमि अधिकारों को मान्यता देना, रिन्यूएबल एनर्जी को कॉर्पोरेट खरीद की सुविधा प्रदान करना और ठोस कार्बन मूल्य निर्धारण पर वैश्विक नियम कायदों को लागू करना।

हमारा मानना है कि वर्ष 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन क्षमता को तीन गुना करना जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम होगा। इसके लिए सरकारों को परियोजनाओं की पाइपलाइन को विस्तार देने, ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की नई लहर लाने और ट्रांसमिशन लाइनों तथा आपूर्ति श्रृंखला केंद्रों सहित बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए फास्ट ट्रैकिंग नीति और विनियमन पर उद्योगों और वित्त समुदाय के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। वैश्विक ऊर्जा रूपांतरण में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने के उद्देश्य से वित्तीय और तकनीकी संसाधन जुटाना सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता की जरूरत है। आखिर में ऊर्जा प्रणाली रूपांतरण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत है, जिसमें वर्ष 2030 तक ऊर्जा दक्षता की प्रगति को दोगुना करना और व्यापक पैमाने पर विद्युतीकरण करना शामिल है। पिछले साल ऊर्जा क्षेत्र से होने वाला उत्सर्जन अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया और संयुक्त राष्ट्र के आकलन के मुताबिक कोई भी देश ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने की राह पर नहीं चल रहा है। ऐसे में बिल्कुल स्पष्ट है कि हमें इस दशक में ऊर्जा प्रणालियों के ढर्रे में व्यापक बदलाव करने की जरूरत है और समय भी हाथ से निकलता जा रहा है।

हम दुनिया के नेताओं और पेरिस समझौते के विभिन्न पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे इस साल आयोजित होने जा रही सीओपी28 बैठक में वर्ष 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन क्षमता को तीन गुना करते हुए कम से कम 11000 गीगावॉट तक पहुंचाने का मजबूत संकल्प व्यक्त करें। इस उद्देश्य में हम सरकारों, उद्योगों, निवेशकों तथा सिविल सोसाइटी के कंधे से कंधा मिलाकर काम करने और रिन्युब्ल एनेर्जी में तेजी लाने और उसकी मात्रा में तत्काल बढ़ोत्तरी करने की दिशा में काम करने को तैयार हैं।”

इस खुले पत्र को क्लाइमेट एंड एनर्जी एलायंस (जीआरए) नामक एक वैश्विक ग्रुप द्वारा यूएन जनरल असेंबली एंड न्यूयॉर्क क्लाइमेट वीक के अवसर पर प्रकाशित किया जा रहा है। इस पर हस्ताक्षर करने वालों में अमेजॉन, वेस्टास, हुआवे, ईवाई जैसे निजी क्षेत्र के संगठन तथा एनेर्जी ट्रांज़िशन भागीदार भी शामिल हैं।

वर्ष 2030 तक के लिए निर्धारित इस वैश्विक लक्ष्य से सरकारों, उद्योगों, निवेशकों और सिविल सोसाइटी के पास एक स्पष्ट संदेश जाता है। इसका पैगाम यह है कि ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने की राह पर लौटने के लिए अगले 8 वर्षों के दौरान अक्षय ऊर्जा को अभूतपूर्व पैमाने और रफ्तार से आगे बढ़ाना होगा। यह लक्ष्य इस महत्वपूर्ण दशक में अपनी ऊर्जा प्रणालियों को बहुत तेजी से रूपांतरित करने की तात्कालिकता को भी जाहिर करता है, जिसका संकल्प पिछले साल हुई सीओपी27 की बैठक में लिया गया था।

लिहाजा 200 संगठनों का यह वैश्विक समूह विश्व के नेताओं तथा पेरिस समझौते पर दस्तखत करने वाले सभी पक्षों का पुरजोर आह्वान करता है कि वे इस साल होने वाली सीओपी28 की बैठक में रिन्युब्ल एनेर्जी उत्पादन क्षमता को वर्ष 2030 तक तीन गुना करके कम से कम 11000 गीगावॉट करने के लक्ष्य पर सहमति बनाएं।

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