World Environment Day 2022: पूरा नहीं हो पाएगा जीरो उत्सर्जन का टारगेट! रोड़ा बन रही है मोदी सरकार की यह नीति
World Environment Day 2022: पूरा नहीं हो पाएगा जीरो उत्सर्जन का टारगेट! रोड़ा बन रही है मोदी सरकार की यह नीति
World Environment Day 2022: भारत ने वैश्विक समुदाय के सामने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emissions) को जीरो करने का लक्ष्य रखा है। यानी अगले 48 साल में देश को जीवाष्म ईंधन (Fossil Fuel) की बजाय स्वच्छ हरित ऊर्जा का उपयोग करना है। लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीति अभी भी जीवाष्म ईंधन आधारित ऊर्जा को बढ़ावा देने की है। सरकार ने नवीनीकृत ऊर्जा को सब्सिडी 2017 से घटाकर अब 60% कम कर दी है, जबकि 2021 की स्थिति में कोयला, तेल और गैस से पैदा होने वाली ऊर्जा को 9 गुना ज्यादा सब्सिडी मिल रही है।
भारत ने COP26 में अगले 8 साल, यानी 2030 तक देश में नवीनीकृत ऊर्जा (Renewable Energy) का उत्पादन 500 गीगावाट (GW) करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन यह भी पूरा हो पाना इसलिए मुश्किल है, क्योंकि देश में अभी नवीनीकृत ऊर्जा का उत्पादन 157.32 गीगावाट है। 2030 तक भारत की ऊर्जा जरूरतें 817 गीगावॉट हो जाएंगी। भारत को अगले 8 साल में 500 गीगावाट नवीनीकृत ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य पूरा करने के लिए 340 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी। ऐसे में सरकार को नवीनीकृत ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक खर्च बढ़ाना होगा, साथ ही सरकारी कंपनियों को इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा, जो नहीं हो रहा है।
क्या कहती है IISD और CEEW की रिपोर्ट
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल एनर्जी (IISD) और काउंसिल फॉर एनर्जी, इन्वायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) की 31 मई की रिपोर्ट कहती है कि सरकार ने 2017 के बाद से इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 205% सब्सिडी बढ़ाई है, लेकिन 2021 की स्थिति में कोयले, गैस और तेल पर सब्सिडी इससे 9 गुना ज्यादा है। अभी तक नवीनीकृत ऊर्जा में केवल निजी कंपनियां ही पैस लगा रही हैं। लेकिन अब सरकारी बैंकों और कंपनियों को भी अपना पैसा स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की ओर मोड़ना होगा। भारत को 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को जीरो करने के लिए 750 लाख करोड़ की जरूरत होगी, जो इकोनॉमी की मौजूदा हालत को देखते हुए नामुमकिन है। अगर सरकार इतना पैसा जुटा सके तो ही देश में सौर ऊर्जा की कुल उत्पादन क्षमता 2070 तक 5600 गीगावॉट तक पहुंचेगी। इसके साथ ही देश को कोयला आधारित विद्युत उत्पादन 2060 तक 99% कम करना होगा।
करीब 340 लाख करोड़ चाहिए 8 साल में
नीति आयोग की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश के कुल बिजली उत्पादन में नवीनीकृत ऊर्जा की हिस्सेदारी को 50% तक करने के लिए सरकार को अगले 8 साल में 340 लाख करोड़ के करीब खर्च करना होगा। अगर सरकार के पास पैसा नहीं है तो वह ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है। हालांकि, इस दिशा में भी केवल जुबानी वादों के कुछ हो नही रहा है। देश में व्याप्त कोयला संकट और सरकार के द्वारा विदेशों से कोयला मंगवाने के आदेश को भी केंद्र सरकार की नीतिगत विफलता के रूप में देखा जा रहा है। जून तक राज्यों को बाहर से 19 लाख टन कोयला मंगवाने को कहा गया है। भारत में 173 पावर प्लॉट्स में 35% तक कोयला बचा हुआ है, जबकि 84 संयंत्रों में 25% कोयला ही बचा है। इसके मुकाबले अगर नवीनीकृत ऊर्जा की बात करें तो इससे देश में पिछले साल गीगावॉट बिजली ही बन पाई है।
साफ है कि सरकार की नीति केवल बयानों में ही कार्बन उत्सर्जन को कम करने की है। नीतिगत रूप से इस दिशा में कोई कदम उठाने की जगह जीवाष्म ईंधन पर रियायत बढ़ाकर टारगेट को ठेंगा दिखाया जा रहा है। इसका नतीजा पूरे देश को 122 साल के इतिहास में सबसे भयंकर गर्मी, बिजली कटौती और करीब 100 लोगों की मौत के रूप में झेलना पड़ रहा है।