Begin typing your search above and press return to search.
गवर्नेंस

बेशर्मी : योगी के यूपी समेत 18 राज्यों ने संसद में कहा ऑक्सीजन की कमी से उनके यहां नहीं हुई एक भी मौत

Janjwar Desk
4 Dec 2021 4:25 AM GMT
बेशर्मी : योगी के यूपी समेत 18 राज्यों ने संसद में कहा ऑक्सीजन की कमी से उनके यहां नहीं हुई एक भी मौत
x

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश भर के अस्पतालों ने कई दिनों तक गंभीर ऑक्सीजन की कमी का मामला सामने आया था। 

Oxygen Shortage : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया एक प्रश्न के जवाब में सदन को बताया कि केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों के आंकड़े उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। जिसमें सिर्फ पंजाब ने चार मौतों को संदिग्ध माना है।

नई दिल्ली। पूरी दुनिया जानती है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर ( Corona Second Wave ) के दौरान ऑक्सीजन की कमी ( Oxygen shortage ) से कोरोना मरीजों की बड़े पैमाने पर मौतें हुई थीं। इसके बावजूद बेशर्मी की हद यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ( Union Minister health Mansukh Mandaviya ) ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। कोरोना को लेकर बरती गई अनियमितता और बदनामी से केंद्र सरकार को बचाने के लिए मांडविया ने राज्य सरकारों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस बाबत पूछे गए एक सवाल का जवाब संसद के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन लोकसभा में दिया।




कर दी उल्टे चोर कोतवाल को डांटे वाली बात

उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की संख्या बताने के बदले विपक्ष पर निशाना भी साधा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को विपक्षी दलों से कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी पर कहा कि विपक्ष को राजनीतिक खेलना बंद कर देना चाहिए। प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए "सभी संभव प्रयास" किए थे। जब दूसरी लहर को दौरान ऑक्सीजन की मांग बढ़ी तो इसका उत्पादन भी बढ़ाया गया।

सरकार के ईमानदार प्रयासों पर ध्यान दें विपक्ष

मनसुख मंडाविया ने कांग्रेस सांसद सुरेश धानोरकर की तरफ से पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा- "दुख की बात है कि ऐसी स्थिति में भी कई लोगों ने राजनीति करने से परहेज नहीं किया। मैं अपील करता हूं, हमारे ईमानदार प्रयासों पर ध्यान दें। यह राजनीति का विषय नहीं है।" उन्होंने कहा कि केंद्र ने इस मामले पर राज्यों से डेटा मांगा और केवल पंजाब सरकार ने जवाब दिया कि इस तरह की मौतों के चार संदिग्ध मामले थे और उनकी जांच की गई थी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों की बैठक में कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की संख्या को छिपाने की जरूरत नहीं है। इसकी रिपोर्ट की जानी चाहिए। केंद्र ने राज्यों को तीन बार पत्र लिखकर ऑक्सीजन की कमी के कारण मरने वालों की संख्या के आंकड़े उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। इसके जवाब में कुल 19 राज्यों ने प्रतिक्रिया दी और यह केवल पंजाब है जिसने लिखित रूप में कहा कि चार संदिग्ध मौतें हुईं थीं और उसकी भी जांच की जा रही है। हमने इसे सार्वजनिक किया। फिर भी, राजनीति हो रही है। मांडविया की माने तो 18 राज्यों ने साफ तौर से मना कर दिया कि उनके यहां ऑक्सीजन की कमी मौतें नहीं हुई हैं।

मई में 4 लाख से ज्यादा मामले और 4,000 मौतें दर्ज

हकीकत यह है कि कोरोना की दूसरी लहर ने देश के स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे की पोल खेलकर रख दी थी। बुनियादी ढंचों की अपर्याप्ता की वजह से प्रतिदिन हजारों मौतें हुईं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश में COVID-19 के मामले अप्रैल से जून तक खतरनाक रूप से बढ़े और मई में 4 लाख से ज्यादा मामलों और 4,000 मौतों के साथ चरम पर पहुंच गया था।

इन राज्यों में हुई थी ऑक्सीजन की कमी से ज्यादा मौतें

दूसरी लहर के दौरान देश भर के अस्पतालों ने कई दिनों तक गंभीर ऑक्सीजन की कमी का मामला सामने आया था। देशभर के अस्पतालों के अफरातफरी का माहौल था। चारों तरफ चीख पुकार की आवाजें सुनाई दे रहीं थी। इस दौरान अलग अलग राज्यों के कई अस्पताल प्रशासन ने आरोप लगाया है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कई मरीजों की मौत हुई है। खास बात यह है कि ऑक्सीजन की कमी से दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे मौतें हुई। लेकिन सभी राज्य सरकारों ने इस मामले में केंद्र का ही साथ दिया है।

केजरीवाल सरकार ने तो हद पार कर दी

चौंकाने वाली बात यह है कि ऑक्सीजन की कमी से सबसे बुरा हाल देश की राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में उभरकर सामने आई थी। सुशासन और बेहतर स्वास्थ्य ढांचा विकसित करने का दुनिया भर में ढोल पीटने और करोड़ों रुपए का विज्ञापन खर्च करने वाली केजरीवाल सरकार की कलई देसरी लहर ने खोलकर रख दी थी। केजरीवाल के विधायकों पर उस समय ऑक्सीजन की कालाबाजारी का आरोप लगा जब दिल्ली की जनता इसकी कमी की वजह से कराह रही थी। बाद में दिल्ली हाईकोर्ट में केजरीवाल सरकार का झूठ पकड़ा गया। दरअसल, दिल्ली सरकार बढ़ चढ़कर ऑक्सीजन की कमी का रोना अदालत में रोया था। आडिटिंग की बात सामने आई तो सरकार पीछे हट गई। इस पर अदालत ने दिल्ली सरकार की फटकार भी लगाई थी। बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी के निजी अस्पतालों ने लगातार ऑक्सीजन सप्लाई की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। सीएम केजरीवाल ने खुद मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं। अब ऑक्सीजन की कमी से मौत की बात पर वो भी कन्नी काट गए।

मॉनसून सत्र में भी हुई थी मोदी सरकार की फजीहत

इससे पहले मॉनसून सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने एक लिखित जवाब में कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है जिसके अनुसार सभी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नियमित आधार पर मामलों और मौतों की रिपोर्ट करते हैं। उन्होंने राज्यसभा में 27 जुलाई को एक सवाल के जवाब में कहा था कि देश में ऑक्सीजन के कारण एक भी मौत नहीं हुई। केंद्र के इस बयान का विपक्ष ने विरोध किया था।

Next Story

विविध