श्रमिक ट्रेनों से 61 लाख मजदूर गए घर और रेलवे ने इस मद में वसूल किए 433 करोड़, फिर भी हो गया घाटा
कोरोना लॉकडाउन के दौरान श्रमिक ट्रेनों से लाखों मजदूर घर लौटे थे, इस दौरान बड़ी संख्या में मजदूर पैदल भी घर गए थे। श्रमिक ट्रेन की File photo
जनज्वार। कोरोना लॉकडाउन के दरम्यान अपने घर वापस जाने के लिए मजदूरों के सड़कों पर की गई जद्दोजहद को भला कौन भूल सकता है। हालांकि बाद में केंद्र सरकार द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाए गए, पर तबतक हजारों-लाखों मजदूर पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफर तय कर अपने घरों तक पहुंच चुके थे।
अब लोकसभा में सरकार ने स्वीकार किया है कि इस दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 61.19 लाख मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है और इसके एवज में 433 करोड़ रुपये किराया मद में वसूले गए हैं, फिर भी रेलवे को इससे घाटा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में बताया है कि एक मई से 31 अगस्त 2020 तक चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये 61.19 लाख यात्रियों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाया गया। लोकसभा में तेजस्वी सूर्या, अजय मिश्र टेनी, प्रताप सिम्हा, रीती पाठक और अपराजिता सारंगी के सवालों के लिखित जवाब में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी।
गोयल ने कहा, 'कोविड-19 वैश्विक महामारी को फैलने से रोकने के लिये 23 मार्च से भारतीय रेलवे ने सभी यात्री गाड़ियां रद्द कर दी थीं। बहरहाल, फंसे हुए व्यक्तियों की आवाजाही की तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को मिशन मोड में चलाया गया था।'
उन्होंने कहा, 'एक मई से 31 अगस्त 2020 तक चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये 61.19 लाख यात्रियों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाया गया।'
रेल मंत्री ने कहा कि एक मई से 31 अगस्त 2020 तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिये राज्य सरकारों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों से लगभग 433 करोड़ रूपये किराया वसूल किया गया।
उन्होंने कहा कि रेलवे ने श्रमिक स्पेशल गाड़ियां चलाने पर किये गए खर्च की कुछ हद तक भरपाई की है और इसके फलस्वरूप इन गाड़ियों के परिचालन से हानि हुई।