देश में जिसे माना जाता है विकास का मॉडल उसी गुजरात में मजदूरों की दिहाड़ी सबसे कम
देश में जिसे माना जाता है विकास का मॉडल उसी गुजरात में मजदूरों की दिहाड़ी सबसे कम
नई दिल्ली। क्या आप सोच सकते हैं कि जिस राज्य को देश का विकास मॉडल ( development model ) होने का दावा किया जाता है उस राज्य में दिहाड़ी मजदूरों ( daily wages workers ) की आय सबसे ( daily income ) कम हो, नहीं, न पर ऐसा हैै। जी हां, मैं बात कर रहा हूं गुजरात ( Gujrat ) की। पीएम मोदी ( Pm Modi ) और गृह मंत्री अमित शाह ( Amit shah ) और उनके समर्थक भाजपा नेता दिन-रात गुजरात ( Gujrat ) को देश में विकास का मॉडल बताते नहीं थकते, लेकिन यहां की हकीकत मजदूरों की आय के लिहाज से सबसे ज्यादा खराब है। भाजपा शासित गुजरात और मध्य प्रदेश में खेतिहर मजदूरों की आय सबसे कम है। केरल के बाद सबसे ज्यादा मजदूरी जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु में है।
गुजरात में सबसे कम, केरल में सबसे ज्यादा
गुजरात ( Gujrat ) और मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में खेतिहर मजदूरों को देश में सबसे कम भुगतान किया जाता है। खास बात यह है कि केरल में खेतिहर मजदूरों को सबसे अधिक दिहाड़ी मजदूरी मिलती है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष खेतिहर मजदूरों को केवल 230 रुपए रोज की दिहाड़ी मिलती है। दूसर तरफ गुजरात जैसे समृद्ध राज्य में यह आंकड़ा महज 220.3 रुपये ही है। यानि दोनों राज्यों में दैनिक मजदूरी राष्ट्रीय औसत 323.2 रुपये से भी कम है।
वहीं, केरल में खेतिहर मजदूरों की स्थिति काफी अच्छी है और देश में सबसे ज्यादा है। यहां पर खेतिहर मजदूरों को देश भर में सबसे अधिक 726.8 रुपये दिहाड़ी मजदूरी के रूप भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में अगर केरल का एक मजदूर महीने में 25 दिन भी काम करता है तो वह औसतन 18,170 रुपये कमा लेगा, जो कि गुजरात से काफी अधिक है। वहीं गुजरात में 5500 रुपए के करीब है। यही वजह है कि केरल में उच्च मजदूरी ने अन्य खराब भुगतान वाले राज्यों के कृषि श्रमिकों को आकर्षित किया है। यहां पर लगभग 25 लाख प्रवासी श्रमिक काम कर रहे हैं।
गुजरात और एमपी से बेहतर बिहार
अगर बिहार की बात करें तो इस मामले में वो गुजरात, यूपी और एमपी से आगे है। बिहार में न्यूनतम मजदूरी 373 रुपये है। बिहार में हाल ही में न्यूनतम मजदूरी में संशोधित किया गया था। ताजा मजदूरी के मुताबिक अकुशल कोटि के मजदूरों को कम से कम 373 रुपये रोजाना, जबकि अर्ध कुशल कामगारों को 388 रुपये रोजाना और कुशल श्रमिकों को 463 रुपये रोजाना में मिलने का प्रावधान है।
मध्य प्रदेश में 2021-22 में औसत दैनिक मजदूरी 270 रुपये थी। महाराष्ट्र 284.2 और ओडिशा 269.5 रुपये खेतिहर मजदूरों को दिहाड़ी दे रहा है। वहीं जम्मू और कश्मीर में खेतिहार मजदूरों को प्रति व्यक्ति औसतन 524.6 रुपये दिहाड़ी मिल रही है। हिमाचल प्रदेश में यह आंकड़ा 457.6 रुपये है तो तमिलनाडु में 445.6 रुपये प्रति व्यक्ति मजदूरी है।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पुरुष गैर-कृषि श्रमिकों के मामले में मध्य प्रदेश में सबसे कम 230.3 रुपये औसत वेतन है। वहीं गुजरात के श्रमिकों को 252.5 रुपये औसत मजदूरी मिलती है। जबकि त्रिपुरा में 250 रुपये का दैनिक वेतन मिल रहा है। ये सभी राष्ट्रीय औसत 326.6 रुपये से कम हैं। दूसरी ओर केरल फिर से गैर-कृषि श्रमिकों के वेतन में 837.7 रुपये प्रति व्यक्ति के साथ सबसे आगे हैं। मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के लिए केरल के बाद जम्मू-कश्मीर 500.8 रुपये, तमिलनाडु 462.3 रुपये और हरियाणा 409.3 रुपये था।
हर रोज 115 दिहाड़ी मजदूरों करते हैं खुदकुशी
एनसीआरबी 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में आत्महत्या करने वालों में 42,004 दिहाड़ी मजदूर थे। इनमें 4,246 महिलाएं भी थीं। ऐसे में पिछले साल हर दिन औसतन 115 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। यानि भारत में हर 12 मिनट में एक दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या कर लेता है। हर साल आत्महत्या करने वालों में हर चौथा इंसान दिहाड़ी मजदूर ही होता है। 2021 में 1.64 लाख लोगों ने आत्महत्या की और इनमें से 25 प्रतिशत से ज्यादा दिहाड़ी मजदूर थे।