हल्द्वानी में सफाई कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने सख्ती दिखा मुकदमा दर्ज करने का दे डाला नोटिस, हड़ताल से जुड़ा है मामला
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी शहर में अपनी मांगें पूरी न होने पर हड़ताल पर गए सफाई कर्मचारियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए सख्त आदेश जारी कर दिया है। हड़ताली कर्मचारियों पर जनहित को देखते हुए आपराधिक मुकदमे तक दर्ज करने की छूट देते हुए कोर्ट ने कर्मचारियों की यूनियनों को तामील कराने के लिए पुलिस को नोटिस भी दे दिए। हड़ताली कर्मचारियों की इस हड़ताल के कारण हल्द्वानी शहर में गंदगी के चलते महामारी फैलने के खतरे को देखते हुए न्यायालय ने यह गंभीर रुख अपनाया है।
बता दें कि बीते कुछ दिनों से नगर निगम हल्द्वानी में तैनात सफाई कर्मचारी अपनी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। हल्द्वानी शहर में नगर निगम घरों से कूड़ा डोर टू डोर गाड़ियों के माध्यम से उठवाता है, जिसका ठेका एक कम्पनी को निगम को दे रखा है। हड़ताली कर्मचारियों ने अपनी मांगों के प्रति प्रशासन पर दबाव बनाने के उद्देश्य से घरों से कूड़ा उठाने वाली कई गाड़ियों पर कब्जा जमाकर उनकी चाबियां अपने पास रख ली हैं। ऐसी हालात में निगम सफाई कर्मचारियों की वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए चाहकर भी शहर भर का कूड़ा नहीं उठा पा रहा है, जिस वजह से पूरे जगह जगह कूड़े और गंदगी के ढेर लगे हुए हैं।
वर्तमान में मौसम डेंगू बीमारी का होने के कारण शहर में इस गंदगी की वजह से पूरे शहर में महामारी फैलने का खतरा बना हुआ है। सामान्य तौर पर सुबह व शाम की पाली में नियमित रूप से सफाई होती है। घरेलू व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से तीन दिन से कूड़ा नहीं उठा है। समस्या के मूल में 2018 में सीमा विस्तार के बाद निगम का दायरा 33 से बढ़कर 60 वार्ड तक पहुंचना है। इस परिसीमन के बाद हल्द्वानी में बढ़े 60 वार्ड वेतन वृद्धि समेत नौ सूत्रीय मांगों को लेकर सफाई कर्मचारी 16 नवंबर से धरने पर हैं, लेकिन सरकार ने नए क्षेत्र को 10 वर्ष तक व्यावसायिक टैक्स से मुक्त कर दिया है। जिससे स्ट्रीट लाइट, स्वच्छता व अन्य कार्यों से निगम का खर्च बढ़ गया पर आय नहीं हो रही। निगम प्रशासन ने वित्तीय स्थिति अनुकूल होने पर विधिक मांगों को पूरा करने का आश्वासन देते हुए स्थायी, अस्थायी, संविदा, स्वच्छता समिति, आउट सोर्स कर्मचारियों से जनहित में सोमवार से काम पर लौटने की अपील भी की थी।
ऐसे में हल्द्वानी निवासी दिनेश चंदोला ने नैनीताल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किए जाने की गुहार लगाई थी। सोमवार 28 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की अदालत में इसी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा है कि पिछले 4 दिनों से हल्द्वानी में सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं। हड़ताल से शहर कूड़े से पट गया है। शहर में डेंगू फैला है। संक्रामक बिमारियों का खतरा और बढ गया है। कूड़े कचरे को जानवर खा रहे हैं। शहर में बदबू फैल रही है।
याचिका में सफाई की व्यवस्था की मांग करते हुए बताया गया था कि 24 नवम्बर से सात सफाई यूनियन हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि उनकी सैलरी समेत अन्य की मांग पूरी हो साथ ही नगर निगम द्वारा कूड़ा निस्तारण के लिये बैणी सेना बनाई है, उसको हटाया जाए, जबकि बैणी सेना ने दस दिन में 20 लाख कर वसूला है। मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर चार दिन से हड़ताल पर गए पर्यावरण मित्रों, चालकों की वजह से सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। ऐसे में लोगों का रोष बढ़ रहा है। लोग कूड़े को इधर-उधर फेंकने लगे हैं। कर्मचारी काम पर नहीं लौटे तो मुश्किल बढ़ेगी।
इस सुनवाई पर कोर्ट ने सख्त आदेश पारित करते हुए एसएसपी नैनीताल को आदेश दिया है कि जो कूड़े के वाहन सफाई कर्मचारियों ने कब्जे में लिए हैं, उनकी चाबी भी उनके पास है, उनको तत्काल छुड़ाएं। यदि कूड़ा वाहन नहीं छोड़ते हैं तो संबंधित कर्मचारी अथवा सफाई कर्मचारी अध्यक्ष पर मुकदमा दर्ज करें। कोर्ट ने कहा कि कानून का मखौल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने हल्द्वानी के कोतवाली प्रभारी को हड़ताली सात कर्मचारी यूनियनों को तामील कराए जाने के लिए नोटिस थमाये।
कोर्ट ने नगर निगम को शहर की सफाई के लिये वैकल्पिक व्यवस्था करने व सफाई कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने को कहा है। आपराधिक कार्रवाई की भी छूट दी गई है। नगर निगम को साफ कहा है अगर गाड़ियां नहीं छोड़ते हैं तो कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करें। अब इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार 30 नवंबर को होगी।