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महामहिम पीएम की केयर करते हैं, इसलिए पीएम को भी उनकी केयर करनी चाहिए, सोशल मीडिया पर जारी है तफरी

Janjwar Desk
28 Jun 2021 7:44 AM GMT
महामहिम पीएम की केयर करते हैं, इसलिए पीएम को भी उनकी केयर करनी चाहिए, सोशल मीडिया पर जारी है तफरी
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महामहिम के सैलरी और टैक्स वाले बयान पर शोसल मीडिया पर तफरियों का दौर चल पड़ा है. image - hemant malviya

ग़नीमत ये कि महामहिम ने यह नहीं कहा कि मेरी कुछ ऊपरी आमदनी भी तो नहीं है। आधी रात को जगकर चुपचाप किसी को शपथ दिलवाने, आँख मूँदकर किसी भी अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर देने, इन सबके बहुत पैसे बनते हैं...

जनज्वार ब्यूरो। महामहिम रामनाथम कोविंद द्वारा 5 लाख की सैलरी और पौने तीन लाख रूपये का टैक्स काटे जाने के बयान ने तूल पकड़ लिया है। सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति के बयान के लेकर गजब की चुहलबाजी की जा रही है। बताते चलें कि महामहिम की सैलरी और टैक्स कटने संबंधित खबर सबरे पहले जनज्वार ने ही प्रकाशित की थी।

महामहिम को लेकर वरिष्ठ पत्रकार लेखक राकेश कायस्थ ने लिखा है कि 'सैलरी और टैक्स को लेकर दिये गये राष्ट्रपति के बयान में बला की मासूमियत है। भाव कुछ वैसा ही है, जैसे शहर में चाकरी करने वाला कोई आदमी अपने गाँव के जलनखोर लोगों को लानतें भेजता है। तुमलोग समझते हो कि मैं वहाँ बैठे-बैठे नोट छाप रहा हूँ। महंगाई इतनी है कि कुछ बचता ही नहीं है।

महामहिम ने कहा 'मुझसे ज़्यादा पैसे तो टीचर बचा लेते हैं। ग़नीमत ये कि महामहिम ने यह नहीं कहा कि मेरी कुछ ऊपरी आमदनी भी तो नहीं है। आधी रात को जगकर चुपचाप किसी को शपथ दिलवाने, आँख मूँदकर किसी भी अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर देने, इन सबके बहुत पैसे बनते हैं।'

'लेकिन महामहिम बेचारे महामहिम ठहरे। पीएम केयर फंड में से महामहिम जी को कुछ ज़रूर दिया जाना चाहिए, ताकि उनकी ग़रीबी दूर हो सके। महामहिम पीएम की केयर करते हैं, इसलिए पीएम को भी उनकी केयर करनी चाहिए।'

कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय ने भी अपने कार्टून के जरिए तंज कसा है। हेमंत ने लिखा है कि 'रावण लाख बुरा आदमी था मगर उसने कभी कुंभकर्ण की तनखा काट के खुद नहीं रखी। अरे मुझसे तो पूछ लेते।'

सादाब सलीम लिखते हैं 'बेचारे राष्ट्रपति को पांच लाख तनख्वाह मिलती है उसमे भी सरकार ऊंचा टैक्स वसूल कर लेती है। बेचारे तनख्वाह के लिए राष्ट्रपति के काम की मज़दूरी कर रहे हैं। सरकार राष्ट्रपति का शोषण कर रही हैं उन्हें अपनी तनख्वाह बढ़ाने के लिए आंदोलन करना होगा अन्यथा कल को कौन इतनी सी तनख्वाह में इतना ऊंचा टैक्स देकर काम करेगा, अन्याय की इंतहा है।

सारा पैसा टैक्स में जाता है और बचता करता कुछ नहीं है, महीना बहुत तंगी में निकलता है और मंथ एंड तो उधारी में घर खर्च चलाना पड़ता है। राष्ट्रपति जी के किराना वाले को पता है मंथ एंड की चाय पत्ती उधारी में जाती है। दूध वाला अलग रोता है, राष्ट्रपति जी ने एक मोटरसाइकिल भी किश्तों पर ले रखी है कभी कभी वह भी बाउंस हो जाती है।'

पत्रकार आवेश तिवारी ने लिखा है 'महामहिम का जो पौने तीन लाख रुपया बतौर टैक्स हर महीने काटा जा रहा उसे "चंपत टैक्स" कहते हैं। यह सौभाग्य की बात है कि देश को ऐसा बिरला राष्ट्रपति मिला है जो अपने वेतन का ज्यादातर हिस्सा टैक्स में दे देता है। यह दीगर है कि चंपत टैक्स का हिसाब किताब न तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास होगा न सरकार के पास।'

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