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Lumpy virus : अभी तक 17000 से ज्यादा गायों की मौत, भारत पर मंडराया Milk Crisis का खतरा

Janjwar Desk
13 Aug 2022 6:20 AM GMT
Lumpy virus : अभी तक 17000 से ज्यादा गायों की मौत, भारत पर मंडराया Milk Crisis का खतरा
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Lumpy virus : अभी तक 17000 से ज्यादा गायों की मौत, भारत पर मंडराया Milk Crisis का खतरा

Lumpy virus : संयुक्त राष्ट्र के एक आकलन के मुताबिक लंपी बीमारी के चलते भारत और साउथ ईस्ट एशिया में करीब 11 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।

Lumpy virus : पिछले कुछ माह से भारतीय मवेशियों में खतरनाक लंपी वायरस ( Lumpy Virus ) का खतरा तेजी से फैल रहा है लेकिन केंद्र और राज्यों की सरकारें संभावित दुष्परिणों से पूरी तरह बेखबर हैं। अभी तक देश के आठ राज्यों में 17 हजार से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है। इनमें अधिकांश मौतें गायों की हुई हैं। गायों व भैंसों में लंपी वायरस तेजी से फैलने से भारत पर दुग्ध संकट ( Milk Crisis ) का खतरा भी मंडराने लगा है। एक अनुमान के मुताबिक दुग्ध उत्पादन ( Milk Production ) में 15 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है।

लंपी वायरस ( Lumpy Virus ) का सबसे ज्यादा प्रभाव देश के आठ राज्यों में है। इनमें नंबर वन पर राजस्थान ( Rajasthan News ) हैं। दूसरे नंबर पर गुजरात ( Gujrat News ) है। उसके बाद इस वायरस से पीड़ित राज्यों में पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार और मध्य प्रदेश है। वर्तमान लंपी वायरस अप्रैल 2022 में पाकिस्तान ( Pakistan ) के रास्ते सबसे पहले राजस्थान पहुंचा। उसके बाद गुजरात होते हुए अब आठ राज्यों में फैल गया है।

भारत ( Lumpy virus in India ) के 8 राज्यों में अब तक लंपी वायरस से 17 हजार से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है। राजस्थान में 3.10 लाख मवेशी लंपी वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 2.68 लाख ठीक हुए और 14 हजार मौतें हुई हैं। गुजरात में 72 हजार मवेशी लंपी से अभी तक संक्रमध्ण हो चुके हैं। 52 हजार ठीक हुए और 2600 की मौत है। पंजाब 27 हजार मवेशी इस वायरस से संक्रमित हुए हैं। इनमें से 650 की मौत हुई है। उत्तरांखड 1025 मवेशी संक्रमित होने और 35 के मौत की सूचना है। इसी तरह हरियाणा 7100 मवेशी संक्रमित हुए और 20 मरे हैं। हिमाचल में 500 मवेशी इसकी चपेट में आये हैं। इनमें से 40 की मौते हुई हैं। अंडमान-निकोबार में 27 मवेशियों में मरने की सूचना है।

11 हजार करोड़ का हो सकता है नुकसान

भारत में पिछले एक महीने के दौरान लंपी स्किन डिजीज ( Lumpy Virus ) की वजह से अकेले गुजरात में रोज करीब एक लाख लीटर दूध का प्रोडक्शन घट गया है। अन्य राज्यों में भी दूध का उत्पादन घटने की सूचना है। लंपी की वजह सं दूध उत्पादन लगभग 10 से 15 फीसदी तक घट गया है। संयुक्त राष्ट्र के एक आकलन के मुताबिक लंपी बीमारी के चलते भारत और साउथ ईस्ट एशिया में करीब 11 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।वर्ल्ड आर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के मुताबिक इस बीमारी में मृत्यु दर 10 फीसदी से से कम होती है।

वैक्सीनेशन और सर्तकता बचाव का सबसे बेहतर तरीका

वैक्सीनेशन इससे बचाव का सबसे बेहतर तरीका है। लंपी बीमारी ( Lumpy Virus ) के उपचार विशेषज्ञों के मुताबिक इस वायरस के खिलाफ अभी तक कोई आधिकारिक वैक्सीन नहीं है। पशु चिकित्सक लक्षण के आधार पर उपलब्ध दवाओं से ही उपचार करते हैं। ऐसे में बचाव ही इसका उपचार है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाए और मवेशियों को किसी संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से बचाया जाए। राजस्थान के मूल निवासी व भारतीय मूल के अमेरिकी पशु चिकित्सक संघ के अध्यक्ष रवि मुरारका का कहना है कि पशुओं में आगे यह बीमारी न फैले इसके लिए उनका सामूहिक टीकाकरण और बाहरी आवाजाही पर प्रतिबंध जरूरी है।

लंपी वायरस का इतिहास

दुनिया में लंपी स्किन डिजिज ( Lumpy Virus ) का पहला केस अफ्रिकी देश जाम्बिया में 1929 में मिला था। 1943-45 के बीच यह जिम्बॉबे, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका में फैल गया। 1949 में साउथ अफ्रीका में एलएसडी की वजह से 80 लाख मवेशी प्रभावित हुए थे। अफ्रीका महाद्वीप के बाहर पहली बार लंपी बीमारी 1989 में इजराइल में फैला था। 2012 के बाद ये मिडिल ईस्ट, यूरोप और सेंट्रल और वेस्ट एशिया में फैला। जुलाई 2019 में बांग्लादेश के साथ इसने साउथ एशिया में एंर्टी की। अगस्त 2019 में भारत में लंपी का पहला केस मिला था। ताजा मामला अप्रैल में पाकिस्तान से पहले राजस्थान पहुंचा और उसके बाद गुजरात। अभी तक यह देश के आठ राज्यों में फैल चुका है।

भारत ( India ) में फिलहाल लंपी से सुरक्षा के लिए गोट पॉक्स.वायरस वैक्सीन लगाई जा रही है। नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड ने लंपी से बचाव के लिए गुजरात, राजस्थान और पंजाब को गोट पॉक्स वैक्सीन की 28 लाख डोज भेजी हैं। केंद्र सरकार ने लंपी के लिए लंपीप्रो बैकएंड नाम से एक नई स्वदेशी वैक्सीन लॉन्च की है। इसे इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च की हिसार और बरेली यूनिट ने विकसित किया है।

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