हिजाब को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में आई खास दलीलें : तुर्की, फ्रांस और पाकिस्तान की भी हुई एंट्री
Karnataka Hijab Conflict : जानिए कर्नाटक में बोर्ड परीक्षा के दौरान छात्राओं को हिजाब पहनने की इजाजत देने पर शिक्षकों के साथ क्या हुआ? (file photo)
Hijab controversy : सुप्रीम कोर्ट में हिजाब मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार 21 सितंबर को तुर्की, फ्रांस और पाकिस्तान की भी एंट्री हो गई। सुनवाई के दौरान कर्नाटक के ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने राज्य सरकार के बचाव में तर्क दिया कि राज्य सरकार ने कभी भी हिजाब पर बैन नहीं लगाया, उसने केवल यूनिफॉर्म लागू की है।
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच के सामने बुधवार 21 सितंबर को कर्नाटक सरकार की ओर से दलीलें पेश की गईं। कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने राज्य सरकार की तरफ से कहा कि किसी बात का कुरान में जिक्र होने भर से वह अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं बन जाती। उन्होंने कहा कि हिजाब नहीं पहनने से कोई महिला कम मुस्लिम नहीं हो जाती। नवदगी ने कहा कि तुर्की और फ्रांस का उदाहरण देकर उन्होंने कहा कि वहां तो हिजाब बैन के बावजूद इस्लाम फल-फूल रहा है। वहां मुस्लिम महिलाएं और बहनें हिजाब नहीं पहनती।
इसी सुनवाई के दौरान जस्टिस गुप्ता ने यह भी कहा कि वह पाकिस्तान की लाहौर हाईकोर्ट के एक पूर्व जज को जानते हैं जिनकी दोनों बेटियां हिजाब नहीं पहनतीं। उन्होंने पंजाब का भी जिक्र किया। कहा कि वहां पर कम मुसलमान हैं, फिर भी वे वहां के एक परिवार को जानते हैं जो हिजाब नहीं पहनता।
कर्नाटक सरकार की ओर से एजी ने कहा कि अगर अदालत हिजाब को जरूरी धार्मिक परंपरा घोषित करती है तो यह हर मुसलमान पर लागू होगा। केवल व्यक्तिगत अधिकार को लागू कराने के लिए दूसरे पक्ष की ओर से यह मांग की गई।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कर्नाटक सरकार की ओर से पेशी के दौरान कहा कि बहुत हल्ला मचाया गया कि हिजाब बैन कर दिया! मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं, राज्य सरकार ने हिजाब बैन नहीं किया। ऐसी मंशा कभी थी ही नहीं। राज्य ने केवल यूनिफॉर्म लागू की है, जिसे धर्म से परे होना चाहिए। नटराज ने कहा कि आज कोई कह रहा है कि मैं हिजाब पहनना चाहती हूं, कल कोई बोलेगा कि मैं शॉल या गमछा पहनूंगा। उन्होंने सवाल उठाया कि सेक्युलर सामाजिक संस्थानों में ऐसा धार्मिक प्रतीकवाद क्यों?
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गुप्ता ने मंगलवार 20 सितंबर को सुनवाई के दौरान कहा था कि यूनिफॉर्म समानता लाता है। यह विषमताएं दूर करता है। इससे अमीरी-गरीबी नहीं दिखती है। याची के वकील दुष्यंत दवे ने दलील दी थी कि संविधान सभा में बहस के दौरान तमाम अनुच्छेद पर बहस हुई। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि तमाम व्यक्तिगत विचार आए हैं, लेकिन जब संविधान बना तो ऐसे विचार कितने अहम रह गए? इस पर दवे ने कहा कि किसी अनुच्छेद बनने की प्रक्रिया को समझने के लिए उसके संदर्भ को देखना जरूरी है। हाई कोर्ट कैसे कह सकता है कि हिजाब पहनने से दूसरे के अधिकारों का उल्लंघन होता है।
कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा हिजाब के खिलाफ दिए गए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह मामला चल चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट हिजाब धर्म का हिस्सा है या नहीं, से जुड़े सवाल से जेरे बहस है। कोर्ट के अंदर कानून के विशेषज्ञ इस मामले में अपनी अपनी दलीलें रख रहे हैं, तो न्यायालय के बाहर भी यह मामला बहस का केंद्र बना हुआ है।
इसी के तहत पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी ने श्पल्लूश् और हिजाब को एक जैसा बता चुकी है। जनता दल (सेक्युलर) की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष सीएम इब्राहिम ने कल मंगलवार 20 सितंबर को ही हिजाब की पैरवी करते हुए कहा कि था यह भारत की संस्कृति और इतिहास का हिस्सा है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में पल्लू को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पोशाक का हिस्सा बताते हुए कहा था कि अब इसे भारत की वर्तमान राष्ट्रपति भी पहनती हैं। इब्राहिम के मुताबिक श्हिजाब सिर पर पल्लू है, कुछ इसे हिजाब कहते हैं और कुछ इसे पल्लू कहते हैं। राजस्थान में, राजपूत महिलाएं अपना चेहरा नहीं दिखाती हैं और वे इसे घूंघट से ढकती हैं, क्या इसके खिलाफ कानून लाया जाएगा? क्या उन महिलाओं को मुसलमान घोषित किया जाएगा?