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SC की हाईकोर्ट को फटकार, अडानी ग्रुप को झटका देते हुए सीडब्लूसी वेयरहाउस टेकओवर की प्रक्रिया पर लगाई रोक

Janjwar Desk
14 Oct 2022 4:49 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट की हाईकोर्ट को फटकार, अडानी ग्रुप को बड़ा झटका देते हुए सीडब्लूसी वेयरहाउस टेकओवर पर लगाई रोक
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सुप्रीम कोर्ट की हाईकोर्ट को फटकार, अडानी ग्रुप को बड़ा झटका देते हुए सीडब्लूसी वेयरहाउस टेकओवर पर लगाई रोक

CWC-Adani Warehouse dispute : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि सीडब्ल्यूसी विशेष आर्थिक क्षेत्र के बाहर अपनी गोदाम को अडानी ग्रुप में विलय करने के प्रस्ताव पर अमल करे।

CWC-Adani Warehouse dispute : सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन अडानी विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने सख्त रुख अपनाते हुए अडानी ग्रुप ( Adani Group ) के गौतम अडानी ( Gautam Adani ) को बड़ा झटका दिया है और उनकी मंशा पर पानी फेर दिया है। शीर्ष अदालत ने अहमदाबाद हाईकोर्ट ( Ahmedabad high court ) को भी इस मामले में एक पक्षीय फैसला देने के लिए फटकार लगाई है। इसके अलावा अडानी ग्रुप द्वारा सीडब्लूसी वेयरहाउस को टेकओवर करने की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से कहा कि पहले आप इससे संबंधित मूल विवाद का निपटारा करें।

हाईकोर्ट का फैसला रद्द

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने गुरुवार को अदानी पोर्ट्स स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड ( APSEZL ) द्वारा विकसित एसईजेड ( SEZ ) क्षेत्र के भीतर 34 एकड़ जमीन पर सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन ( CWC ) की एक गोदाम मामले में केंद्र सरकार के दो मंत्रालयों द्वारा उठाए गए विरोधाभासी रुख पर भी सख्त टिप्पणी की है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें निर्देश जारी किया गया था कि एक सरकारी निकाय सीडब्ल्यूसी को विशेष आर्थिक क्षेत्र के बाहर अपनी गोदाम सुविधा को दूसरे के साथ बदलने के प्रस्ताव पर अमल करे।

जस्टिस बीआर गवई के 44 पेज के फैसले ने मामले में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के विरोधाभासी रुख को गंभीरता से लेते हुए मोदी सरकार को इस तरह के मतभेदों को हल करने की सलाह दी है। सीडब्लूसी-अडानी विवाद मामाले में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने माना था कि सीडब्ल्यूसी द्वारा मांगे गए परिसीमन विमुद्रीकरण की कानून में इजाजत नहीं है। वहीं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने स्टैंड लिया कि कानून में इस तरह की अधिसूचना की अनुमति है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के दो अलग-अलग मंत्रालयों द्वारा एक ही मसले पर दो अलग-अलग को सही नहीं माना जा सकता है। केंद्र के दो मंत्रालयों को एक ही मसले पर अलग-अलग रुख पर चलने की हम इजाजत नहीं दे सकते।

हाईकोर्ट का फैसला अडानी को लाभ पहुंचाने जैसा

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट कहा है कि उसे इस मसले पर गौर फरमाना चाहिए था कि सीवीसी ने पहले ही 2010 की शुरुआत में सुझाव दिया था कि वर्तमान साइट से वेयरहाउसिंग सुविधा को समाप्त करने से सीवीसी के लिए गंभीर वित्तीय प्रभाव पैदा करेगी। सीवीसी ने कहा था कि अलग-अलग हित समूह वेयरहाउस को यहां से हटाना चाहते हैं। अगर ऐसा हुआ तो वेयरहाउसिंग के कारोबार को नुकसान होने की भी पूर्ण संभावना है। पीठ ने कहा कि एचसी को इस बात पर ध्यान देना चाहिए था कि जब तक तीनों शर्तों का पालन नहीं किया जाता, तब तक सीडब्ल्यूसी के हितों की रक्षा नहीं की जा सकती है। अगर कोई समझौता किया जाना है तो ऐसा नहीं हो सकता है कि सरकारी एजेंसी को तो आप नुकसान पहुंचा दे और निजी एजेंसी को लाभ पहुंचाने वाला फैसला दें। ऐसा करना सही नहीं है।

बता दें कि केंद्रीय वेयरहाउस कॉरपोरेशन ( CWC ) की स्थापना 1957 में भारत सरकार द्वारा देश भर में गोदामों और कंटेनर फ्रेट स्टेशनों के संचालन द्वारा कृषि क्षेत्र को सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी। बाद में सीडब्लूसी मुंद्रा बंदरगाह यानि एपीएसईजेडएल का हिस्सा बन गईं। इसका मतलब ये नहीं है कि अडानी ग्रुप का उसका मनमाने तरीके से अधिग्रहण कर ले।

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