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ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report : बिहार का एक ऐसा गांव जो 43 बार बह चुका है बाढ़ में, हर बार ग्रामीणों ने खुद बसाया दोबारा

Janjwar Desk
5 Aug 2022 7:52 AM GMT
Ground Report : बिहार का एक ऐसा गांव जो 43 बार बह चुका है बाढ़ में, हर बार ग्रामीणों ने खुद बसाया दोबारा
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बिहार का एक ऐसा गांव जो 43 बार बह चुका है बाढ़ में, सरकारी मदद के बिना हर बार ग्रामीणों ने खुद बसाया दोबारा, बरसात में नाव में अंतिम संस्कार करने को होते हैं ग्रामीण मजबूर....

राहुल तिवारी की ग्राउंड रिपोर्ट

हर बरसात का सीजन बिहार वालों की सांसें थाम के रख देता हैए क्योंकि इस मौसम में आने वाली बाढ़ न केवल इनके लिए आफत होती है, बल्कि इनका जीवन ही अस्त.व्यस्त कर देती है। यहां के कुछ इलाकों में बरसात के मौसम को दूसरी त्रासदी करना बिल्कुल सटीक होगा। बाढ़ से चाहे इनका जीवन अस्त व्स्त हो, मगर सरकारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वोट के समय तमाम वादें करने वाली पार्टियां बरसात में गायब हो जाती हैं, और लोग जिंदा रह जाते हैं अपनी त्रासदियों के साथ।

चूंकि सरकारों की तरफ से मदद के नाम पर सिर्फ लाॅलीपाप मिलता है, इसलिए जनता खुद का इंतजाम खुद ही करती है। बरसात का मौसम आने से पहले ही यहां के लोग सभी जरूरत की चीजें घर में जुटा लेते हैंए ताकि 2 वक्त की रोटी तो मिल पाये।

बिहार का सबसे छोटा जिला शिवहर भी बाढ़ की भयानक तबाही झेलता है, जहां से बागमती नदी बहती है। बागमती नदी में इस गांव से 2 किलोमीटर पहले लाल बकैया नदी का मिलन होता है, इस वजह से बागमती नदी में पानी ज्यादा बढ़ जाने बाद उसका रूप और विनाशकारी हो जाता है।


इसी नदी के किनारे बसा है एक गांव, जिसका नाम नरकटिया है। नरकटिया गांव अब तक 43 बार बाढ़ के पानी में बहा और हैरत की बात तो यह है कि ग्रामीणों ने फिर से इसे बसा लिया। नरकटिया गांव बागमती नदी के ठीक किनारे बसा है। यहां पर बांध नहीं होने की वजह से लोग हर वर्ष बाढ़ की त्रासदी को झेलते हैं। इस गांव के पास लगभग 3 किलोमीटर खुला बांध हैए इस वजह से नदी के पानी से कटाव का डर इसी गांव के ऊपर सबसे ज्यादा होता है।

जब बागमती नदी नेपाल से शिवहर में प्रवेश करती है तो यह उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है, लेकिन नरकटिया गांव में आने के बाद यह दक्षिण से पूरब की ओर गुड़ती है, इस वजह से नदी के पानी का तेज बहाव इस गांव से सीधे टकराता है और बांध नहीं होने की वजह से पानी सीधे गांव में प्रवेश कर जाता है। बाढ़ का पानी गांवा में घुसने के बाद लोगों का संपर्क आसपास के गांवों के साथ विभिन्न जिला मुख्यालयों से भी पूरी तरह टूट जाता है।

इस बार हालांकि बिहार में मानसून सक्रिय नहीं होने से नदियों में अभी पानी उस तरह से नहीं आया है, जैसा और साल आता है। मगर बागमती नदी में जल स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे लोगों में भय का माहौल है। यानी कभी भी बाढ़ आ सकती है। बुधवार 3 अगस्त को बागमती नदी का जलस्तर लाल निशान को पार कर गया था। बाढ़ का पानी अब लगातार नए इलाकों में फैल रहा है। तटबंधों पर भी दबाव बढ़ गया है। शिवहर-चंपारण स्टेट हाईवे पर बेलवा.नरकटिया गांव के पास पानी का बहाव जारी रहने के चलते दूसरे दिन भी आवागमन ठप हो गया है। बाढ़ का पानी अब बेलवा.नरकटिया गांव के करीब पहुंचने लगा है।

इस बार हालांकि थोड़े दिन पहले तक मानसून सक्रिय नहीं था तो लोगों को बाढ़ से तो राहत मिली, लेकिन खेती करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ा। गांव में सूखे जैसे हालात हो गये। लोग पंपसेट के सहारे पटवन कर धान की रोपनी कर रहे थे। जनता कहने भी लगी, सूखे जैसे हालात से निपटने के बाद हमें कब बाढ़ की भयावह त्रासदी झेलनी पड़ जाये, कहा नहीं जा सकता।

गांव के लोगों का कहना है कि जब गांव में बाढ़ आती है तो हम लोग अपने घर से बाहर नहीं निकल पाते हैं और गांव का कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं होता जहां पानी नहीं होता है। हम लोग छत पर शरण लेते हैं। नदी में पानी अधिक होने की वजह से लोग बाजार नहीं जा पाते हैं तो घर में सूखा खाना ही बनता हैं।


बाढ़ में दाह संस्कार करना एक बड़ी चुनौती

बाढ़ के समय नदी में पानी अधिक होने की वजह नरकटिया गांव के आसपास कोई सूखी जमीन नहीं बचतमी है। अगर इस दौरान किसी की मौत होती है तो उनका दाह संस्कार करना ग्रामीणों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती हो जाती है।

गांव के लोग बताते हैं कि दाह संस्कार करने के लिए दूसरे गांव में ऊंची जगह पर ले जाना होता है, नहीं तो नाव पर ही दाह संस्कार करते हैं। उस वक्त लाश को जलाने के लिए लकड़ी की व्यवस्था भी एक बहुत बड़ी चुनौती होती है।

बाढ़ के बाद बीमारी भी एक बड़ी चुनौती

बाढ़ खत्म हो जाने के बाद गांव के लोगों के लिए डायरिया, डेंगू या इस तरह की और भी तमाम बीमारियां बहुत बड़ी आफत बनकर आती हैं। यहां से 20 किलोमीटर की दूरी पर सदर अस्पताल होने से लोगों के लिए एक और बड़ी समस्या है, क्योंकि इस मौसम में खासकर बच्चे और बुजुर्गों में मच्छर के काटने की वजह से डायरिया और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी होती है, लोगों को इलाज करवाने के लिए 20 किलोमीटर की दूरी तय कर शिवहर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।

ग्रामीण दिनेश सहनी व्यथित होकर कहते हैं, ग्रामीणा कहते हैं, 'बाढ़ खत्म होने के बाद हमारे गांव में बहुत सी बीमारियां होती हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती है। हम लोग खुद अपने स्तर से कोई निजी क्लीनिक जाते हैं या सदर अस्पताल में जाते हैं। हमारे गांव में तो बाढ़ के समय कई लोगों की मृत्यु भी हो जाए हो जाती है और वजह पता भी नहीं चल पाती है। इस साल भी किसी तरह की सरकारी मदद की आस नहीं है।


इस गांव में 300 घर और लगभग 15 सौ की आबादी है, लेकिन अभी तक इस गांव को सरकारी मदद नहीं मिली है। लोगों का कहना है कि सरकार तो हमें मरने के लिए छोड़ देती है। बाढ़ के मौसम में किसी भी तरह के आपदा से निपटने के लिए हमें कोई मदद नहीं मिलती है। यहां तक की नाव भी हम सब ग्रामीण खुद से बनाते हैं। बस सरकार के द्वारा सिर्फ कागज पर ही सबकुछ होता है। आज तक कोई भी सरकारी मदद नहीं मिली है।

ग्राम पंचायत बेलवा के मुखिया चंदन पासवान कहते हैं, 'पहले का तो मुझे पता नहीं मैं इस बार नया मुखिया बना हूं और मैं पूरी तरह से तैयार हूं कि इस बार मेरे पंचायत में बाढ़ के वक्त किसी भी तरह की जान माल का नुकसान न हो और जो भी सरकार की योजनाओं के तहत ग्रामीणों को मदद होने वाली होगी, मैं पूरी इमानदारी से करूंगा। पहले क्या नहीं हुआ, यह मैं इसलिए नहीं बता पाऊंगा, क्योंकि मैं पहले ही से गांव का मुखिया नहीं था। यह पहले वाले मुखिया बता पाएंगे, लेकिन इस बार इस गांव में किसी तरह की समस्या नहीं हो इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं।'

वहीं पिपराही, जिला शिवहर के प्रखंड विकास पदाधिकारी वशीक हुसैन दावा करते हैं, 'प्रशासन इस बार पूरी तरह से तैयार है। किसी भी तरह की स्थिति में ग्रामीणों की मदद के लिए वहां मुस्तैद रहेंगे, अभी से ही जवानों द्वारा कैंप किया जा रहा है। यहां पर बागमती नदी के ऊपर एक डैम बनाया जा रहा है, जिससे इसके पानी को बूढ़ी गंडक नदी में मिलाया जा सकेगा। डैम का काम अंतिम चरण में है। जैसे ही काम टाइम पर काम पूरा होगा, मरकटिया गांव के ऊपर बाढ़ का खतरा भी कम हो जाएगा। इस गांव के समानांतर बांध का निर्माण भी हो रहा है। काम पूरा हो जाने के बाद इस गांव में बाढ़ का पानी नहीं जा सकेगा। प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में है।'

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