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Fatehpur News : जहर उगल रहे फतेहपुर के हैंडपंप, बीमारी को गले लगाने को मजबूर लोग कर रहे पलायन
Drinking Water Problem : फतेहपुर में हैंडपंप से साफ पानी नहीं निकलने पर नदी से पानी ढोने को मजबूर लोग, पर वह पानी भी गंदा ही है। फोटो- जनज्वार
फतेहपुर से लईक अहमद की रिपोर्ट
Fatehpur News : बरसात होने वाली है। लेकिन उससे पहले बिन पानी (Drinking Water Problem) सैंकड़ों परिवार या तो पलायन को मजबूर हो रहे हैं अथवा बीमारी से ग्रसित। बात है कानपुर और प्रयागराज के बीच बसे फतेहपुर की। यहां के हैंडपंप गर्मी बढ़ने के साथ एक बार फिर जहर उगलने लगे हैं। फिलवक्त जिले के एक चौथाई ब्लॉक के दर्जनों गांव फ्लोराइड वाले पानी की अधिकता का शिकार बने हुए हैं। हालात कितने खराब हैं, इसका अंदाजा गांव में रहने वालों की सेहत देखने से पता चलता है। आलम यह है कि तमाम बीमारियों के साथ अब लोगों के दांत तक खराब होने की शिकायतें मिलने लगी हैं।
लिहाजा परिवारों ने अपने बच्चों को खुद से दूर रख कर उन्हें इस समस्या से बचाने की मुहिम छेड़ रखी है। यह दीगर बात है कि हरेक परिवार ऐसा करने की इस स्थिति में नहीं है। यहां के गांव केसरीपुर से अब तक 125 परिवार कानपुर में जा बसे हैं। जिसका कारण सिर्फ और सिर्फ पानी है।
दोआबा की सरजमीं सालों से इस समस्या से आजिज है। दशक भर पहले जल निगम की टीमों ने गंगा और यमुना किनारे बसे गांव की तहकीकात की तो एक के बाद एक तमाम गांव विषैले पानी के साक्षी बने नजर आए। भिटौरा, देवमई, मलवां व असोथर ब्लॉक के 26 गांवों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा मिलने से जहरीले पानी की तहकीकात हो सकी।
दरअसल, यह पानी पीने से शरीर की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। जिससे विकलांग होने की प्रबल संभावना रहती है। अगर किसी गर्भवती महिला को यह पानी दिया जाता है तो नवजात के विकलांग होने की संभावना रहती हैं। गर्मी की दस्तक के साथ ही एक बार फिर फ्लोराइड से ग्रसित गांव की जनता में हलक की प्यास बुझाने की चुनौती आन पड़ी है।
पानी की खराबी से ग्रसित गांव
जनपद फतेहपुर के मैथयापुर, नरायनपुर, चौराइन, भूरी, बसावनपुर, लौहारी, अग्निहोत्री का पुरवा, श्यामपुर, अहेवा, शाहपुर कोरिया, लक्ष्मनपुर, खरगपुर, रामपुर, करवापुर, राधानगर, लकड़ी मैथायापुर, रारा, बरौहा, आधारपुर, सलेमपुर, गनेशपुर, बाबा का पुरवा, इब्राहिमपुर, पहनी व सरसी गांव हैं। जिसमें देवमई ब्लाक के केसरीपुर व भिटौरा ब्लाक के चौहट्टा गांव अत्यंत खतरनाक है। इन दो गांवों में सालों पहले पानी की जांच हुई तो फ्लोराइड की मात्रा 70 फीसदी पायी गई। विभाग ने लोगों को फिल्टर पानी पीने की सलाह दी है और कहा है कि उस पानी का उपयोग कपड़े धोने में ही कर सकते हैं। केसरीपुर गांव के लोगों का कहना है कि जिम्मेदार विभाग ने पिछले सात सालों से पानी की जांच ही नहीं की है।
तीन हैंडपंपों में लगी फिल्टर मशीन खराब
फतेहपुर स्थित देवमई ब्लाक के गांव भैसौली मजरे केसरीपुर गांव का पानी अत्यंत दूषित होने से 125 परिवार कानपुर में बस गये। पानी पीने के लिए 20 हैंडपंप लगे है। इनमें से तीन हैंडपंपों में जलकल विभाग ने वर्ष 2010 में फिल्टर मशीनें लगवाई तो लेकिन वे भी सालों से खराब है। यहां निर्भर सिंह के दरवाजे पर लगे हैंडपंप में फिल्टर मशीन लगाई गई थी। लेकिन अब हैंडपंप और मशीन दोनों खराब है और हैंडपंप के ठीक बगल में गोबर का ढे़र लगा है। करीब 50 सालों से पानी की गंभीर समस्या है, इसके बावजूद अब तक पानी की टंकी का निर्माण नहीं कराया गया।
क्या कहते हैं ग्रामीण?
केसरीपुर के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह का कहना है कि दूषित पानी की वजहों से गांव अनेक लोग तंबाकू सेवक के आदी बन रहे। उन्होंने तंबाकू सेवन से राहत मिलने की बात कही है। इसी गांव के रहने वाले 40 वर्षीय दिग्विजय सिंह का कहना है कि 25-30 लोगों को गंभीर समस्या है। दूषित पानी पीने से वह चल फिर नहीं पाते उनके पैर टेढ़े हो गये। गांव के हैंडपंप तो चल रहे लेकिन उनमे लगी मशीनें खराब है। उनके गांव के युवाओं के भी दांत खराब हो रहे और गठिया रोग की समस्या पैदा हो रही है। इसी तरह गांव के ही शिव खेलावन (80), दिग्विजय सिंह (70) व मिथलेश(70) करीब दो दशक से गठिया रोग से पीडित है।
यमुना और गंगा नदी के किनारे बसे गांव में भी पानी की किल्लत देखने को मिली। रिंद नदी के ऊपर बसे ग्राम पंचायत बिजुरी मजरे टरूवापुर की पड़ताल की गई तो टरूवापुर में 10 हैंडपंप लगे है सभी हैंडपंप पानी उगल रहे। अन्य जरूरत के लिए लोग नदी का पानी लाकर अपनी आवशयकता पूरी करते है। वहीं टरूवापुर के इंद्रजीत, राधे, अनिल, अजीत, अमित, इंद्रपाल व अमरपाल में पानी की टंकी नहीं होने का दर्द झलका है।
खराब हालात में डीएम के पत्र को नहीं मिली तवज्जो
यमुना किनारे 11 कि०मी० चौडे और 68 कि०मी० लम्बे हालात बुंदेलखंड जैसे है। लोग नदी से पानी लाते और पीने के अलावा अन्य जरूरतें पूरी करते है। इतना ही नहीं जनपद के तत्कालीन डीएम अभय कुमार ने शासन को पत्र लिखकर यमुना इस पार के 11 किमी. चौड़े क्षेत्रफल को बुंदेलखंड की सुविधाएं दिये जाने की मांग शासन से की थी। जिसे इतना वक्त गुजरने के बावजूद तवज्जो नहीं मिल सका है।
दगा देती फिल्टर मशीनों पर क्या बोले जिम्मेदार
फ्लोराइड पानी को साफ करने के लिए सालों पहले हैंडपंप में फिल्टर मशीनें लगाई गई थीं। इन मशीनों में ज्यादातर खराब हो चुकी हैं। पानी की दिक्कत को लेकर हमने जब जल निगम के एक्सईएन एए सिद्दकी से बात की तो हमें बताया गया कि 'भिटौरा ब्लाक के जिन गांवों का पानी विषैला पाया गया है, वहां के हैंडपंप और कुओं के पानी के पीने पर रोक लगी है। हैंडपंप में फिल्टर मशीनें लगाने का काम किया गया है। जहां इनकी और दरकार होगी वहां शीघ्र ही फिल्टर मशीनें उपलब्ध कराने का काम किया जाएगा।'