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Fluoride in Drinking-water: झारखंड का एक ऐसा गांव जहां अशुद्ध पानी के कारण दो साल में 17 लोगों की गई जान
Fluoride in Drinking-water: झारखंड का एक ऐसा गांव जहां अशुद्ध पानी के कारण दो साल में 17 लोगों की गई जान
विशद कुमार की रिपोर्ट
Fluoride in Drinking-water: झारखंड की राजधानी रांची से 200 किलोमीटर दूर मेदिनीनगर (पलामू) के जिला मुख्यालय से तकरीबन 65 किलोमीटर पिपरा प्रखंड की मधुबाना पंचायत में स्थित है दमवा गांव। जहां की आबादी है लगभग 600 की।
गांव के ही फौज से रिटायरमेंट लेकर सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय कर्नल संजय सिंह ने दो महीने पहले इस गांव में कैंसर से लगातार हो रही मौतों को लेकर जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक को लिखा, तब सिविल सर्जन अनिल सिंह की अगुवाई में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजी गई।
टीम ने गांव के कई जलस्रोतों के नमूने लेकर उन्हें जांच के लिए एनएबीएल (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन) की लैब में भेजा था। कर्नल संजय सिंह के मुताबिक जांच की जो रिपोर्ट आई है, उसमें गांव के तीन जलस्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा तय मानक से 300 प्रतिशत तक ज्यादा बताई गई है। उनका कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन को तत्काल यहां के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की दिशा में कदम उठाना चाहिए, लेकिन अब तक कोई हरकत नहीं दिख रही है।
उल्लेखनीय है कि पलामू के पिपरा प्रखंड अंतर्गत दमवा गांव के हालात कितने संगीन हैं, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बीते दो साल के भीतर छह सौ की आबादी वाले इस गांव में 17 लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है। अब भी आधा दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से बीमार हैं। इनमें तीन के कैंसर से ग्रस्त होने की पुष्टि हो चुकी है। पेयजल विभाग ने भी माना है कि गांव के कई घरों में जिन जलस्रोतों का इस्तेमाल पेयजल के रूप में किया जा रहा है, उसका पानी पीने योग्य नहीं है। इसमें हानिकारक तत्व फ्लोराइड खतरनाक मात्रा में मौजूद हैं।
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने ग्रामीणों से अत्यधिक फ्लोराइड की मात्रा वाले जलस्रोतों के पानी का उपयोग नहीं करने की अपील की है। ऐसे जलस्रोतों पर लाल निशान भी लगा दिये गये हैं।इधर ग्रामीणों का कहना है कि जब तक गांव में बाहर से जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं होती, उनके सामने इस पानी के इस्तेमाल के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
ग्रामीणों के मुताबिक, पिछले दो वर्षों में गांव के जिन लोगों की कैंसर से मौत हुई है, उनमें सरयू सिंह, रतन सिंह, नागदेव रविदास, शीला देवी, दामोदर देवी, मानमती देवी, गणेश सिंह की पत्नी, शिवशंकर सिंह, फुलकलिया देवी सहित कुल 17 लोग शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर लोग ब्लड कैंसर से पीड़ित थे।
गांव के रामनरेश पासवान बताते हैं कि मेरी पत्नी चार साल पहले बीमार पड़ी। जांच हुई तो पता चला कि वह से कैंसर पीड़ित है। कई जगहों पर इलाज के बाद भी उनकी हालत खराब होती गई और लगभग डेढ़ साल में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। इसी साल फुलकलिया देवी की भी मौत कैंसर से हुई। उनके परिजनों ने भी दिल्ली, बनारस, पटना सहित कई शहरों में इलाज कराया, लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका।
दमवा के अलावा पलामू के दर्जनों गांवों में पानी में फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा की शिकायतें लगातार मिली हैं। जानकारों के मुताबिक पेयजल में एक पीपीएम तक फ्लोराइड की मात्रा स्वीकार्य है, परंतु पलामू के कई हिस्सों में यह मात्रा छह पीपीएम से भी अधिक पहुंच रही है। इस वजह से पलामू के लोगों में बोन डेंसिटी (अस्थि घनत्व) कम होने की शिकायतें बेहद आम हैं।