Begin typing your search above and press return to search.
ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report : आर्थिक तंगी के कारण नहीं करा पाया पथरी का इलाज, जहर खाकर युवक ने दी जान

Janjwar Desk
13 Aug 2022 2:34 PM IST
Ground Report : आर्थिक तंगी के कारण नहीं करा पाया पथरी का इलाज, जहर खाकर युवक ने दी जान
x
Ground Report : पथरी की बीमारी और आर्थिक तंगी से हार कर युवक ने मंगलवार को कीटनाशक दवा पीकर जान दे दी, युवक ने कीटनाशक दवा पीते अपने रिस्तेदारों को वीडियो भी शेयर किया...

Ground Report : कोरोना काल में लाकडाउन के दौरान गुजरात के सूरत से पैदल चलकर रामदास उर्फ पंकज सात दिनों में फतेहपुर पहुंचा था। इस दौरान उसने भूख और प्यास की पीड़ा भी सही थी लेकिन वह पथरी की बीमारी और आर्थिक तंगी से हार कर मंगलवार को कीटनाशक दवा पीकर जान दे दी। युवक ने कीटनाशक दवा पीते अपने रिस्तेदारों को वीडियो भी शेयर किया। पूरे परिवार में मौत का गम देखने को मिला। पिछले दिन गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया। जिससे रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया गया। घटना को लेकर माता पिता और परिवार के आंखों में सिर्फ आंसू थे।

यूपी के फतेहपुर जिला मुख्यायल से करीब पचास किमी दूर हथगाम ब्लाक क्षेत्र में चकदोस्तपुर मोहम्मदपुर(मुगलानीपुर) गांव है। यहां के दलित मेवालाल के बेटे रामदास उर्फ पंकज (26) ने कीटनाशक दवा पीकर जान दे दी। पिता ने बताया शनिवार दोपहर को पंकज घर से पथरी की दवा लेने भुलभुलियापुर गांव के लिए निकला था। औंग थाना क्षेत्र के बिजौली गांव में रिश्‍तेदारी में रुक गया। रविवार को दवा खायी थी, फिर मंगलवार को दवा खाकर दोपहर को निकला, उसी दिन शाम करीब चार बजे रिश्‍तेदारों ने सूचना दी कि पंकज बेसुध है। उसे लेकर जिला अस्पताल आ रहे, वहीं पहुंचने की बात कही। सूचना मिलते परिजनों में कोहराम मच गया। उनके जिला अस्पताल पहुंचने से पहले रामदास की सांसे थम गई।


गरीबी के हालात बया करते नहीं रुके आंसू

पंकज की मां चन्द्रावती ने बताया कि बेटे को पित्त में पथरी थी। उसका दो सालों से इलाज चल रहा था। वह पति और दो बच्चों समेत मेहनत मजदूरी करके पेट पालते थे। उसने स्‍वयं सहायता समूह से तीस हजार रूपये का कर्ज लेकर बेटे के इलाज में लगा दिया। अपने नाते रिश्‍तेदारों के अलावा गांव के एक साहूकार से हाल में ही पांच हजार रूपये का कर्ज पांच रूपये सैकड़ा में लेकर बेटे को इलाज के लिए भेजा था। उसने जो गम दिया कभी नहीं भूलेगी। पंकज सबसे बड़ा था। उससे छोटे अंकित, मनोज, जैन सिंह, बेटी हिमांशी व सुनीता है। कहा कि बेटे के इलाज में लाखों रूपयें कर्ज हो गया।

कीटनाशक दवा पीते शेयर किया वीडियो

पंकज ने कीटनाशक दवा पीते हुए वीडियो बनाया और उसे रिश्‍तेदारों को शेयर किया। जब तक औंग रेलवे क्रासिंग के पास पहुंचे तब वह बेसुध हालत में मिला। इलाज के लिए ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई।

लाकडाउन में तीन ने किया था सूरत से गांव तक पैदल का सफर

मृतक के चाचा मोनू ने बताया कि वह पंकज और गांव का अंकित सूरत में मजदूरी करते थे। लाकडाउन लगने पर काम-धंधा बन्‍द हो गया तो खाने के लाले पड़ गये वहीं साधन के अभाव में तीनों सात दिन पैदल चलकर अपने पैतृक गांव पहुंचे थे। इस बात को कहते हुये मोनू दहाड़ मार कर रो पड़ा। मोनू की पत्‍नी ने बताया कि उसका मकान पिछले साल बारिश में गिर गया था जिससे समूचे परिवार की जान जाते बची थी। महिला ने बताया कि अपने मायके से रूपये लेकर किसी तरह से एक कमरा बनाकर गुजर-बसर कर रही है। अभी तक उसे प्रधानमन्‍त्री आवास नहीं मिला।

सुन्दर की पत्नी गुडि़या बताती है कि नाती पंकज होनहार था, कक्षा 8 वीं पास था। वह लाकडाउन में घर आने के बाद मजदूरी करता था। पथरी के चलते पेट में असहनीय दर्द होने पर भी दर्द की दवा खाकर काम करता था। उसके पास साढ़े तीन बीघा जमीन है। उसने अपने तीन बेटो को एक-एक बीघा जमीन बाट दी और खुद के हिस्से में आधा बीघा जमीन रखी थी। वह तीनों बेटो से अलग रहती है। मेहनत मजदूरी करके जीवन-यापन कर रही है। उसे और उसके बेटो को प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं दिया गया। आज भी परिवार को कच्चे मकान में गुजारा करना पड़ रहा। ग्राम प्रधान ने उसके पति सुन्दर और सोनू को जाब कार्ड बनाया। परिवार के अन्य किसी को जाब कार्ड न बनाये जाने से मनरेगा मजदूरी का काम भी नहीं मिलता है।

आयुष्मान कार्ड फिर भी नहीं मिला इलाज

मेवालाल का परिवार शिक्षित न होने से सरकार की योजनाओं को उसे जानकारी नहीं। बताया कि पंकज की मौत के बाद कागजों में आयुष्मान कार्ड मिला। जिसे कुछ दिनों पहले पंकज ने बनवाया था। परिवार के लोगों को ये भी जानकारी नहीं है कि आयुष्मान कार्ड के जरिये लोग बीमारी के दौरान पांच लाख तक का इलाज निशुल्क करा सकते है।

भगवान कहे जाने वाले डाक्टर ने लौटाया

परिजनों को आरोप है पंकज को इलाज के लिये जिला अस्पताल ले गये। डाक्टर को असहनीय दर्द होने की बात बतायी। निजी पैथालॉजी से जांच कराकर रिपोर्ट दिखाने को कहा गया। पंकज को पथरी होने पर डाक्टर ने सलाह दी आपरेशन नहीं हो सकता। वैदिकी इलाज से ठीक होने की सलाह दी। इन्हीं वजहों के चलते जडी बूटी से ठीक होने की बात बतायी, फतेहपुर से लेकर बांदा जिले तक गये और दवा खिलाई लेकिन पूरी तरह निजात नहीं मिल सकी।

परिजनों ने की मदद

पंकज की चाची राजरानी ने बताया कि पथरी होने से पंकज को कभी कभी असहनीय दर्द होता। उसने स्यंम सहायता समूह से बीस हजार रूपयें का कर्ज लेकर इलाज के लिये दिये ये सब कैसे हो गया बताते आंखों में आंसू आ गये। कहा कि उसे पैसों का गम नहीं भतीजे पंकज के खो देने का सदमा है। बताया पति सोनू के नाम जाब कार्ड बना है। पति के परदेस रहने पर जाब कार्ड में मजदूरी करती करीब साल भर से काम नहीं मिला। जिससे परिवार में आर्थिक समस्या है। यह भी बताया उनके जेठ मेवालाल और उनकी पत्नी चन्द्रा, पंकज व उनके एक अन्य बेटे का जाब कार्ड नहीं बनाया गया। जब कभी कहने पर ग्राम प्रधान काम पर बुला लेते और दूसरे के जाब कार्ड में मजदूरी भरकर पैसों को भुगतान कर देते। जाब कार्ड परिवार के अन्य लोगों को क्यों नहीं बनाया गया। इसकी जानकारी उसे नहीं है। जबकि केंद्र और प्रदेश की सरकारें सभी को काम देने की बात करती है। बताया उसे 2021 से जाब कार्ड में काम नहीं मिला है।

क्या बोले प्रधानपति

ग्राम प्रधान शाहीन के पति इस्तिखार ने बताया कि हम रसूलपुर गांव में रहते है। मुगलानीपुर हमारे गांव का मजरा है। पंकज की मौत की जानकारी दूसरों से मिली है। उनके परिजनों ने मुझे कुछ भी नहीं बताया। यदि परिजन मेरे पास आते हर संभव मदद किये जाने की बात कही है।

मदद की आस में किसान-मजदूर परिवार

पीडि़त परिवार किसान और मजदूर है, मेवालाल के पिता सुन्‍दर ने एक बीघे जमीन हिस्‍से की बेटे को दी है। पंकज की मौत के बाद पूरा परिवार सदमें है। हादसे के बाद प्रशासन की ओर से अभी तक कोई जांच करने तक नहीं पहुंचा न ही उसे किसी प्रकार की तत्‍काल मिलने वाली अहेतुक सहित किसी प्रकार की इमदाद नहीं दी गई।

Next Story

विविध