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ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report : बिना नदी, नहर और नल के राजस्थान के गांव में सिर्फ 20 दिन के पानी से पूरे सालभर चलाना पड़ता है काम

Janjwar Desk
5 Sept 2022 12:43 PM IST
Ground Report : बिना नदी, नहर और नल के राजस्थान के गांव में सिर्फ 20 दिन के पानी से पूरे सालभर चलाना पड़ता है काम
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Ground Report : राजस्थान के बाड़मेर जिले का एक ऐसा गांव है जहां पानी का कोई स्रोत या साधन नहीं है, इस गांव में रहने वाले परिवारों और किसानों को केवल 20 दिन के पानी से ही पूरे साल भर का काम करना पड़ता है...

Ground Report : राजस्थान के बाड़मेर जिले का एक ऐसा गांव है जहां पानी का कोई स्रोत या साधन नहीं है। बाड़मेर जिले के सनप्रा गांव में रहने वाले परिवारों और किसानों को केवल 20 दिन के पानी से ही पूरे साल भर का काम करना पड़ता है। यानी कि 20 दिन के पानी को ही ग्रामीणों को साल भर प्रयोग में लाना पड़ता है। राजस्थान के मरुस्थल में किसानों ने बताया कि वह किस तरह साल भर का पानी संरक्षित करते हैं और बिना नदी, नाला, नहर और नल के कैसे जीते हैं। इस गांव में ग्रामीणों और किसानों का पानी संरक्षित करने वाला तरीका हैरान कर देने वाला है। यह लोग पानी की एक बूंद तक बर्बाद होने नहीं देते हैं।

यह सिर्फ सनप्रा गांव के लोगों की कहानी नहीं है, बल्कि आसपास के कई गांवों में पानी की इस किल्लत से ग्रामीण जूझते हैं और अपने सालभर के पानी का इंतजाम बारिश के पानी के संरक्षण से करते हैं।

केवल बारिश का पानी ही है एकमात्र सहारा

बाड़मेर जिले के इस गांव में कोई पानी का स्रोत नहीं है। केवल बारिश का पानी ही इनके लिए एकमात्र सहारा है। बारिश के मौसम में 15 से 20 दिन जो बारिश का पानी एकत्र होता है, उसे ही यहां ग्रामीण और किसान संरक्षित करके रखते हैं, जिसे वे साल भर अपने प्रयोग में लाते हैं। इस गांव में ना नदी है, ना नहर है और न ही नल। इस गांव से चार किलोमीटर दूर टैंकर से पानी आता है। अतिरिक्त पानी की जरुरत पड़ने पर ग्रामीणों को 4 किलोमीटर दूर पानी लेने के लिए जाना होगा।

ऐसे बारिश का पानी संरक्षित करते हैं ग्रामीण

बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए ग्रामीणों ने एक गहराई वाला कुआं बना रखा है। जब बारिश आती है तो उसका पानी उस कुएं में जमा हो जाता है। इस तरह के तीन से चार कुएं बने हुए हैं, जिसमें बारिश के समय पानी एकत्र होता है। यही नहीं बारिश के समय घर की छत से भी जो पानी टपकता है, उसके नीचे भी प्लास्टिक के ड्रम लगा रखे हैं, जिसमें छत से टपकता हुआ पानी उस ड्रम में चले जाए और जमा हो सके। ग्रामीण कहीं भी बारिश के पानी का एक बूंद तक बर्बाद होने नहीं देते हैं। उसे पूरी तरह संरक्षित करते हैं।

बारिश के पानी से ही चलाना पड़ता है सालभर काम

परिवार की महिला ने बताया कि कुएं में जमा हुए बारिश के पानी से ही साल भर का काम चलाना पड़ता है। बकरी और गायों को पानी पिलाना, कपड़े धोना, सफाई करना और अन्य कामों के लिए भी इसी पानी का इस्तेमाल होता है। परिवार के एक युवक ने बताया कि केवल 20 से 25 दिन की बारिश में साल भर का पानी एकत्र कर लेते हैं। जिसके बाद एक साल तक उस पानी का प्रयोग करते हैं। फिर जब अगले साल बारिश का मौसम आता है तो उस कुएं को साफ करके दोबारा पानी एकत्रित किया जाता है।

कहते हैं जल ही जीवन है और असल में पानी को किस तरह से संरक्षित किया जाता है, वह मरुस्थलीय गांव के ग्रामीणों से सीखने की जरूरत है।

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