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Ground Zero : ऐसे पहुंचता है समुद्र से हमारी रसोई तक नमक, गुजरात का कच्छ क्षेत्र है उत्पादन का बड़ा केंद्र
Ground Zero : स्वाद की दुनिया के दो विशेष तत्व नमकीन और मीठे में से मीठा जहां खेत में उगाए गन्ने से लेकर चीनी बनने तक विभिन्न श्रेणियों के सफर की प्रक्रिया से जुड़ा है तो हमारी थाली तक पहुंचने वाले नमक की यात्रा भी कम दिलचस्प नहीं है। कोई भी सब्जी जो नमक के बिना बनती ही नहीं है वह नमक अपने मूल तत्व में सोडियम और क्लोरीन से बना होता है। नमक को प्राप्त करने के लिए दुनिया अभी भी परंपरागत तौर पर चट्टानों और समुद्र के खारे पानी पर ही निर्भर है। तीन तरफ समुद्री सीमा से जुड़ा भारत अपनी जरूरत भर का अधिकांश नमक समुद्र से ही प्राप्त करता है।
यूं तो कई समुद्र तटीय राज्यों में नमक का उत्पादन किया जाता है, लेकिन गुजरात के कच्छ क्षेत्र में इसका व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। हमारी जीभ का स्वाद बढ़ाने वाला जो नमक जिन परिस्थितियों से उत्पादित होकर हम तक पहुंचता है, वहां नमक मजदूरों की कई दर्दनाक कहानियां सुनने को मिलती हैं। नमक मजदूरों को जिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है, उनमें उनके शरीर के कई हिस्से गलने की कगार पर पहुंच जाते हैं।
क्या है नमक
विश्व के किसी भी हिस्से में कहीं से लेकर कहीं तक भी बहने वाली नदी हो, अंततः वह समुद्र में ही जाकर विलीन होती है। लेकिन अपना अस्तित्व समुद्र की गोद में अर्पित करने से पहले यह नदी जिस क्षेत्र से भी गुजरती है, उस क्षेत्र में मौजूद विभिन्न मिनरल्स को अपने साथ बहाकर ले आती है। यह मिनरल्स नदी के पानी के साथ ही समुद्र में विलीन हो जाते हैं। पूरे विश्व भर की अलग अलग नदियां अलग अलग क्षेत्रों से होकर बहते हुए अलग अलग क्षेत्रों के मिनरल्स को समुद्र में पहुंचाकर इसके पानी को खारा कर देती हैं। इसके साथ ही समुद्र के अंदर पत्थरों से भी मिनिरल समुद्र में मिलते रहते हैं। इसलिए समुद्र में मिनरल्स बहुत ज्यादा होते हैं। यही मिनरल्स नमक है।
ऐसे बनता है नमक
समुद्र के खारे पानी से नमक कैसे बनता है, यह जानने के लिए जनज्वार की टीम ने कच्छ क्षेत्र का दौरा किया। जहां मीलों तक फैले समुद्रतटीय क्षेत्र में नमक की यह खेती हो रही थी। समुद्र के तट पर पड़ी खाली जमीन पर क्यारियां बनाकर उनमें समुद्र में के पानी को इकट्ठा किया गया है। समुद्र के पानी को जब भाप बनाकर उड़ा दिया जाता है तो इसके बाद जो क्यारी में बचता है, वहीं नमक है। लेकिन, ठहरिए। अभी यह नमक हमारे खाने के लिए तैयार नहीं हुआ है। इसे ऐसा समझिए कि यह नमक का भ्रूण है, जिसे कई प्रक्रियाओं के बाद विकसित होकर शुद्ध नमक का रूप लेना अभी बाकी है।
क्यारियों में पड़े इस नमक को एक जगह इकट्ठा करके इसके बड़े बड़े ढेर बना लिए जाते हैं, जिसके बाद कई जगहों पर यह ढेर पहाड़ जैसे भी दिखने लगते हैं। इसके बाद नमक के इस ढेर को क्रेशर मशीन पर क्रेश करते हुए रसायनिक प्रक्रिया से शुद्धता का रूप दिया जाता है। इसके बाद रिफाइन होकर यह पैकेट में बंद होने चला जाता है। वही पैकेट, जो हमारे घरों में आम तौर पर पाया जाता है।
नमक के और विकल्प
समुद्री पानी से नमक प्राप्त करने के अलावा इसे नमक की खानों से भी प्राप्त जाता है। दुनिया में नमक की बड़ी-बड़ी खाने भी हैं। पहाड़ों के ऊपर पत्थरों के रूप में भी नमक पाया जाता है। पाकिस्तान के खैबर क्षेत्र में नमक की सबसे बड़ी खान है। जो विभाजन के पहले भारत का सबसे बड़ा नमक का स्रोत हुआ करता था। यहां पर जमीन में सौ फुट से भी से ज्यादा मोटी नमक की परते हैं। इसके अलावा भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के मंडी जिले में भी नमक की बहुत बड़ी खान है, जहां से नमक निकाला जाता है।
मंडी के पास में गुंमा नाम के स्थान पर डेढ़ सौ फुट से भी अधिक मोटी नमक की परत है। लेकिन इसमें 15% तक सिलिका मिला होने के कारण यह मनुष्य के खाने योग्य नहीं है। इसका इस्तेमाल अन्य जरूरतों में किया जाता है। भारत में नमक का दूसरा बड़ा स्रोत राजस्थान है, जहां पर सांभर झील के नजदीक एक बहुत ही विशाल गड्ढे में झील का नमकीन पानी इकट्ठा होता है। सांभर झील का पानी नमकीन होने के कारण यहां से भी काफी मात्रा में नमक निकलता है।