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ग्राउंड रिपोर्ट

Janjwar Ground Report : मौसम की बेरुखी से बनारस के गेंदा की खेती करने वाले किसानों को लाखों का नुकसान

Janjwar Desk
22 Oct 2022 4:07 PM IST
Janjwar Ground Report : मौसम की बेरुखी से बनारस के गेंदा की खेती करने वाले किसानों को लाखों का नुकसान
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Janjwar Ground Report : मौसम की बेरुखी से बनारस के गेंदा की खेती करने वाले किसानों को लाखों का नुकसान

Janjwar Ground Report : 'इस बार देर से आया मानसून और इसके बाद देर तक चली बारिश से गेंदा की खेती पर असर पड़ा है। दीपावली तक कम से कम डेढ़ लाख रुपए कमा लेते थे, लेकिन इसबार बमुश्किल 50 हजार ही कमा पाया हूं। दीपावली और लगन सीजन से बेहतर कमाई की आस है।'

बनारस से पवन कुमार मौर्य की रिपोर्ट

Janjwar Ground Report : भारत में किसानों की आय को दोगुना करने करने के लिए केंद्र सरकार, कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारें जुटी हुई हैं। इसके तहत लाखों करोड़ों किसानों को पारंपरिक खेती को छोड़कर नगदी यानि कैश क्रॉप की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उत्तर प्रद्रेश में सबसे अधिक गेंदा फूल उत्पादन में वाराणसी अग्रणी है। जनपद के किसान को खरीफ सीजन के शुरुआत में सूखे जैसे हालात और लौटते मानसून की अधिक बारिश से पौधे की बढ़वार प्रभावित हुई। बदलते मौसमी दशाओं की मार झेलते किसान डिमांड खूब होने के बाद भी फूल का उत्पादन कम होने से आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि दो दशकों में ऐसे पहली बार हो रहा है कि बाजार में डिमांड खूब है, लेकिन माल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उन्हें दीपावली और इसके बाद लगन सीजन में अच्छी आमदनी की उम्मीद है।

वाराणसी जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर अराजीलाइन विकासखंड के राजातालाब क्षेत्र में मेहंदीगंज गांव स्थित है। मेहदीगंज हाइवे से लगा है। ट्रांसपोर्ट की बढ़िया कनेक्टिविटी होने की वजह से सिर्फ 22 मिनट में यहां के किसान अपने खेती उत्पाद को मंडी (मलदहिया) में पहुंचा देते हैं। मेहदीगंज की आबादी 2000 हजार से अधिक है, और इसमें से एक हजार लोग कृषि कार्य करते हैं जिला उद्यान विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनपद के बड़ागांव, राजातालाब, चिरईगांव, चोलापुर, हरहुआ, कशी विद्यापीठ, पिंडरा और सेवापुरी विकासखंड के सैकड़ों गांवों में हजारों किसान फूल की खेती करते हैं। इनमें गेंदा और गुलाब प्रमुख है।

लौटते मानसून की अधिक बारिश से फूल की खेती को हुए नुकसान की दिखते किसान सुशील।

मेहदीगंज में एक बीघे में फूल की खेती करने वाले समरजीत अपने खेत में तोड़े गए गेंदे के फूलों को इकठ्ठा करते हुए मिले। ''आज से लगभग बाइस साल पहले धान-गेहूं और सब्जी की खेती से परिवार का भरण-पोषण करने वाले किसानों को 'इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने एक नई दिशा दी। मेहदीगंज के दो दर्जन से अधिक किसानों को गेंदा फूल की खेती करने के लिए प्रशिक्षण और मुफ्त में बीज दिया। इनमें से कुछ किसानों ने प्रशिक्षण को गंभीरता से नहीं लिया। वे आज तक धान-गेहूं और सब्जी की खेती करते आ रहे हैं। जबकि, मैंने (समरजीत पटेल), सुशिल, प्रेमचंद्र, रामचंद्र, सुमन, मंजू पटेल, मुन्नी देवी, शुभम, सुनील, मंहैयालाल, बाबूलाल, चन्द्रिका प्रसाद ने प्रशिक्षण मिलने के बाद कुछ नया करने की ठानी।"

फिर पीछे मुड़कर नहीं देखे किसान

समरजीत आगे कहते हैं "हमलोगों ने मिलकर साल 2000 के मार्च-अप्रैल में सावधानी पूर्वक गेंदे की नर्सरी तैयार की। खेत में गेंदा की नर्सरी समय से निराई-गुड़ाई, खाद, कीट और सिंचाई प्रबंधन की उचित व्यवस्था की। सभी के पौधों में अगस्त में फूल खिलने लगे। महीने भर बाद नवरात्र, दशहरा, धनतेरस, दीपावली और फिर शादी सीजन में डिमांड भी बम्पर बनी रही। इसके पहले धान-गेहूं की खेती से पूरे वर्ष में 15 हजार रुपए नहीं बचा पाते थे। वहीं गेंदे की खेती और बिक्री से लागत छोड़कर मैंने महज चार महीने में ही 30 हजार रुपए कमाये। मेरे साथ फूल की खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ। इसके बाद से हमलोगों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।"


मानसून ने कर दिया नुकसान, फिर भी उम्मीद बाकी

"मैंने, गेंदे की खेती से होने वाले मुनाफे से पक्का घर बनवाया, मोटरसाइकिल, मंडी में माल पहुँचाने के लिए टैम्पू ख़रीदा, लड़के को एमएससी तक की पढ़ाई करवाई साथ ही साथ भविष्य के लिए बचत भी कर रहे हैं। अपने खेत पर कम से कम तीन से चार लोगों को पूरे वर्ष भर रोजगार भी देता हूं। अब तो हमलोगों से जानकारी लेकर गांव के दो दर्जन से अधिक किसान गेंदे की खेती कर मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं, इस बार देर से आया मानसून और इसके बाद देर तक चली बारिश से गेंदा की खेती पर असर पड़ा है। दीपावली तक कम से कम डेढ़ लाख रुपए कमा लेते थे, लेकिन इसबार बमुश्किल 50 हजार ही कमा पाया हूं। दीपावली और लगन सीजन से बेहतर कमाई की आस है।

दीपावली पर फूलों की मांग अधिक होने के चलते फूल की तुड़ाई करतीं महिला किसान मंजू ।

मौसम की दगाबाजी

लगभग एक बीघे में चार-चार विस्वा में अगैती-पिछैती गेंदा की खेती करने वाले सुशील कहते हैं कि "मैं आठवीं तक पढ़ा हूं और पहले दूसरे के यहां मजदूरी करता था। लेकिन जब से फूलों की खेती करने लगा हूं। तब से अच्छा मुनाफा प्राप्त होता हैं और लागत को छोड़कर अच्छी बचत भी हो जा रही है। मैं पूरे साल में 365 दिन के हिसाब से फूलों की खेती करता हूं। फूलों को सीधे बेचने के बजाय मैं माला बनाकर बेचता हूं. रोजाना मंडी में माल अच्छे दामों पर बिक जाता है और प्रतिदिन एक हजार से बारह सौ रुपए नगद मिलते हैं। खर्च काटकर पांच से छह सौ रुपए की रोजाना शुद्ध बचत मिलती है। इस साल मौसम की दगाबाजी से मेरी चार विस्वा में लगी फसल को नुकसान पहुंचा है। अन्य खेतों में जो फसलें लगाई हैं, उनसे उत्पादन में देर हो रही है। दीपावली पर फूलों की मांग अधिक रहती हैं, लेकिन उत्पादन कम हो रहा है। अच्छी धूप और कुहरा नहीं पड़ेगा तो इसकी भरपाई लगन सीजन में हो सकती है।"

राजातालाब के मेहंदीगंज में गेंदा फूलों की खेती।

महिलाएं भी आ रहीं आगे

मेहंदीगंज की सुमन का जीवन भी फूलों की खेती करने से बदल गया है। "पहले धान-गेहूं की उपज के बिक्री पर ही परिवार का खर्च टिका रहता था, जो नाकाफी था। कर्ज आदि लेकर बच्चों की पढ़ाई और तमाम काम करने होते थे। लेकिन, जब से गेंदा फूल की खेती करने लगी हूं, तब से आर्थिक रूप से सशक्त हो गई हूं। मैं दो-तीन महिला श्रमिकों के साथ अब मैं अपने खेत में काम करती हूं। बहुत अधिक दिक्कत नहीं है, लेकिन सितम्बर में अधिक बरसात से उत्पादन कम हो रहा है। " उन्होंने कहा। ''

वाराणसी जनपद में विकासखंडवार गेंदा फूल के खेती का रकबा

विकासखंड क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)

  • बड़ागांव 36
  • चिरईगांव 65
  • आराजीलाइन 72
  • चोलापुर 30
  • हरहुआ 42
  • काशी विद्यापीठ 70
  • पिंडरा 52
  • सेवापुरी 43

गेंदा फूल की खेती में जुटे किसान - 2000 से अधिक किसान

(वर्ष 2021 के आंकड़ें)

बनारस छोड़ कलकत्ता चले गए फूल व्यापारी

मलदहिया स्थित किसान फूलमंडी में फूलों के व्यापारी भार्गव राय कहते हैं कि "इस बार जनपद के गांवों से माल कम आ रहा है। मौसम की बेरुखी से किसान बताते हैं कि पौधों में फूल कम खिल रहे हैं। मंडी में इन दिनों किसानों का माल पच्चीस सौ से तीन हजार रुपए सैकड़े गेंदा फूल के (माला) की नगद खरीद की जा रही है। पिछले साल चार हजार से पांच हजार रुपए रेट था। हमलोगों की मंडी में स्थानीय या आसपास के व्यापारी ही फूल खरीदने पहुंच रहे हैं। कोलकाता की मंडी में फूल के रेट कम पर खरीद के लिए अधिकतर बाहरी फूल व्यापारी कलकत्ता से ही माल मंगा रहे हैं। इससे हमलोगों और किसानों को नुकसान हो रहा है।"

अगली फसल पर सब्सिडी व अन्य सुविधाएं

वाराणसी जिला उद्यान निरीक्षक ज्योति कुमार सिंह ने "जनज्वार" से कहते हैं कि "जनपद में वर्ष 2021 के रबी, जायद और खरीफ सीजन को मिलकर 410 हेक्टेयर में दो हजार से अधिक किसान खेती कर रहे हैं। मौसमी आपदा यथा बाढ़, सूखा या अन्य बीमारी की वजह से फसल के 30 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर राजस्व कर्मियों द्वारा सर्वेक्षण कराया जाता है। इसके बाद नुकसान की भरपाई की जाती है। वहीं, मौजूदा समय में गेंदा फूल की खेती फसल बीमा योजना के तहत कवर में नहीं आती है। इसलिए फूल किसानों को नुकसान आदि भरपाई आदि के तौर पर बीज, एग्रो किट, अगली फसल पर सब्सिडी व अन्य सुविधाएं दी जाती हैं, ताकि किसान भाई नई फसल या खेती में समय से जुटकर अच्छी उपज प्राप्त कर लें। जनपद में जो भी फूल की खेती करना चाहते हैं, वे यूपी हॉर्टिकल्चर की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करें या जिला उद्यान कार्यालय कचहरी आकर आधार कार्ड, बैंक खाता पासबुक, वोटर कार्ड की छायाप्रति जमा कर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।"

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