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Kutch News : PM मोदी की महत्वाकांक्षी योजना का हश्र - चालू होने के 24 घंटे में ही टूटी गुजरात की नर्मदा नहर, सिर्फ 20% ही छोड़ा गया था पानी
Kutch News : मुख्यमंत्री रहते जिस नर्मदा नहर का सपना दिखाया PM मोदी ने, चालू होने के 24 घंटे बाद ही टूटी
कच्छ से दत्तेश भावसार की ग्राउंड रिपोर्ट
Kutch News : गुजरात में फिलहाल भाजपा की डबल इंजन सरकार है, जिसका विकास अभी-अभी कच्छ जिले में दिखाई दिया। एक तरफ नर्मदा की कच्छ ब्रांच नहर में भारत के आखिरी गांव तक पानी पहुंचाने का उत्सव 6 जुलाई को मनाया गया, दूसरी तरफ हर्षोल्लास मनाये जाने के मात्र 24 घंटे के भीतर नर्मदा की नहर 50 मीटर तक टूट गई, जबकि इस कैनाल में अभी मात्र 20% ही पानी छोड़ा गया है। कैनाल कई जगहों से टूट चुकी है।
कच्छ ब्रांच नहर के काम में बहुत बड़े भ्रष्टाचार की शिकायत पूर्व में भी की गई थी, लेकिन नर्मदा निगम के अफसरान कभी भी किसी शिकायत पर कोई कार्यवाही करने के मूड में नहीं दिखे। फलस्वरूप 11 जुलाई को नर्मदा की कैनाल चालू होते ही 50 मीटर तक टूट गयी।
कैनाल टूटने के कारण आसपास के खेतों में पानी भर गया है, जिससे किसानों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। इससे पहले भी नर्मदा की कैनाल 52 जगह से टूटी हुई होने की शिकायतें नर्मदा निगम को दी जा चुकी थीं, मगर किसी ने इस तरफ कान नहीं दिया।
नर्मदा नदी के पानी को कच्छ तक पहुंचाने का सपना हमारे प्रधानमंत्री यानी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखाया था। इसके लिए 2017 के चुनाव से पहले कच्छ तक नर्मदा के पानी को पहुंचाने के लिए एक बड़ा पंपिंग स्टेशन भी बनाया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि भौगोलिक तौर पर कच्छ का इलाका ऊंचाई पर स्थित है और वहां पानी पहुंचाया जाना बहुत मुश्किल होता।
यहां भाजपा की डबल इंजन सरकार में पहले से भ्रष्टाचार खूब फलफूल रहा था, इसलिए कभी कोई कार्यवाही नहीं हुई। गौरतलब है कि जहां से कैनाल शुरू होती है, वहां से कच्छ तक के सफर में हर वर्ष कई जगहों से कैनाल टूट जाती है, जिसके कारण आसपास के खेतों में पानी भर जाता है, किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हो जाती है। नर्मदा निगम के अधिकारी कैनाल टूटने का कारण नेवलों को बताते आये हैं। नर्मदा नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि नेवले नर्मदा की कैनाल कुतर जाते हैं। नेवलों को कारण बता इस दिशा में जांच बंद कर दी जाती है।
नर्मदा की टूटी हुई कैनाल के बारे में स्थानीय किसान नारान भाई गढवी कहते हैं, 'ऐसी हल्की गुणवत्ता वाली कैनाल बनाने के लिए गुजरात सरकार को शर्म आनी चाहिए। इस कैनाल में अभी सिर्फ 2 फिट पानी भरा है। अगर यह कैनाल अपनी पूरे कार्यक्षमता पर होती तो यहां बहुत बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। इससे पहले भी यह कैनाल कई जगहों पर टूट चुकी है। वोवर गांव के नजदीक बहुत बड़ा गड्ढा पड़ चुका है, लेकिन नर्मदा निगम के अधिकारी पुलिस की सहायता से लोगों को वहां पहुंचने नही देते। भुजपुर के पास भी कई जगहों पर कैनाल टूटी हुई थी, जिसको रिपेयर किया गया है। जिस जगह पर कैनाल टूटी है उससे आगे कोडाय पल के पास भी केनाल में गड्ढे होने की जानकारी सामने आ रही है, जो किसी बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण देती प्रतीत होती है।'
एक अन्य पीड़ित किसान कहते है, नर्मदा कैनाल कई जगहों पर पहले भी टूट चुकी है, जिसका कारण नेवलों और चूहों को ठहरा दिया जाता है, मगर यह नहीं बताया जाता कि ये चूहे और नेवले चारपाये हैं या फिर दोपाये।
पीड़ित किसान कहते हैं, 'आश्चर्य की बात तो यह है कि गुजरात विधानसभा में भी सरकार की तरफ से ऐसे बेबुनियाद कारण बताए गए, जो कभी भी गले से नहीं उतरते। नर्मदा निगम के अधिकारियों ने इस जगह कैनाल टूटने का कारण असामाजिक तत्वों द्वारा केनाल को नुकसान पहुंचाना बताया गया और पुलिस में शिकायत की, लेकिन हर जगह असामाजिक तत्व केनाल तोड़ दें यह मुमकिन नहीं लगता।
हालांकि अधिकारियों ने केनाल में हल्की गुणवत्ता का कार्य किये जाने और भ्रष्टाचार की बातों को नहीं कबूला है, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार इस काम में बहुत ही बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। नर्मदा निगम के अधिकारियों का यह बहाना किसानों के गले नहीं उतर रहा है। कैनाल टूटने से जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उनको मुआवजा देने की मांग उठ रही है।