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Pradhan Mantri Awas Yojana: 2022 तक सभी को पक्का मकान देने का वादा महज जुमला, बिहार में अभी भी पन्नी के नीचे सोने को बेबस परिवार

Janjwar Desk
14 Aug 2022 4:45 PM GMT
Pradhan Mantri Awas Yojana: 2022 तक सभी को पक्का मकान देने का वादा महज जुमला, बिहार में अभी भी पन्नी के नीचे सोने को बेबस परिवार
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Pradhan Mantri Awas Yojana: बिहार में प्रधान मंत्री आवास योजना की हकीकत की कुछ अलग ही बयान कर रही है। आपको बता दें कि भारत सरकार 2022 तक सभी लोगों को पक्का मकान देने का वादाकर रखी है।

राहुल तिवारी की रिपोर्ट

बिहार में प्रधानमंत्री आवास योजना की हकीकत पीएम मोदी के वादों को ही झुठलाती नजर रही है। गौरतलब है कि भारत सरकार 2022 तक सभी गरीब वर्ग के लोगों को पक्का मकान देने का वादा किया हुआ है। 2022 का अगस्त बीतने को, मगर अभी भी अनगिनत ेऐसे जरूरतमंद परिवार हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवाज नहीं मिल पाया है। ये लोग पन्नी डालकर सड़क पर गुजारा करते हैं।

शिवहर जिले के माली पोखरभिंडा पंचायत के एक अतिपिछड़ा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली शारदा देवी का परिवार भी उन लोगों में से एक है, जिनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लॉलीपॉप साबित हुई है। शारदा देवी के पति विकलांग हैं और कोई भी काम करने में असमर्थ हैं। शारदा देवी की तीन बेटियां और एक 11 साल का बेटा है। इस परिवार के पास घर तो छोड़िए जमीन भी सिर्फ इतनी है कि उसमें मुश्किल से एक घर बन पायेगा।। इसी जमीन पर झोपड़ी डालकर शारदा देवी पूरे परिवार के साथ जीवन यापन करने को मजबूर है।

शारदा देवी कहती हैं, मुखिया सरपंच के साथ जिला के तमाम आला अधिकारियों के ऑफिस का चक्कर लगा लगा कर हार गयी हूं, लेकिन फिर भी आज तक उन्हें किसी भी तरह की मदद नहीं मिल पाई है, घर मिलना सिर्फ एक ख्वाब बनकर रह गया है।

शारदा देवी कहती हैं इस घर में ही गुजर जायेगा मेरा जीवन, अब नहीं नसीब हो पायेगी पक्की छत

शारदा देवी कहती हैं, अब मैं हार मान गई हूं। अब मैं कहीं नहीं जाऊंगी, मैंने पूरा जीवन सड़क के किनारे फूस के मकान में गुजार दिया है, आगे भी गुजर जायेगा। मेरे पति विकलांग हैं और अक्सर बीमार भी रहते हैं। वह भी कोई कामगाज नहीं कर पाते हैं। मैं स्कूल में खिचड़ी बनाती हूं तो मेरा घर चलता है, जिस दिन मैं खिचड़ी नहीं बनाऊंगी उस दिन मैं भूखी रहती हूं। बाहर से भी किसी तरह की मदद नहीं मिल पाती। किसी तरह अपने बच्चों का लालन पालन कर रही हूं। मुखिया, सरपंच और पंचायत समिति के साथ जिले के लगभग सभी अधिकारियों के पास घर बनवाने की सिफारिश लेकर जा चुकी हूं, मगर किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। शारदा सरकार से अपील करती हैं, मुझे कुछ नहीं तो रहने के लिए पक्का मकान ही दे दिया जाए।

पढ़ने की उम्र में बेटा होटल में बर्तन धोता है

शारदा देवी कहती हैं, मेरे बेटे की उम्र महज 11 साल है और पति के विकलांग होने की वजह से मेरे अलावा घर में कमाने वाला कोई नहीं है। मैंने अपने बेटे को एक होटल में बर्तन धोने के काम पर लगाया हुआ है। बेटे को काम करते हुए 3 महीने हो गए हैं, अभी तक होटल मालिकने ₹1 भी नहीं दिया। जबकि होटल मालिकसे ₹500 प्रतिमाह मेहनताना देने की बात हुई थी। हम तो सब जगह से ठगे ही जा रहे हैं, मुझे आगे की रास्ता दिखाई नहीं देता कि क्या होगा।

चंदा मांग मंदिर में की दो बेटियों की शादी

शारदा देवी बताती हैं, मेरी तीन बेटियां हैं, जिसमें दो की शादी मैंने गांव समाज से चंदा मांग कर मंदिर में की। एक बेटी अभी भी कुंवारी है। अब उसकी शादी का भी हमें टेंशन है, क्योंकि समाज में भी मदद मिलनी बहुत मुश्किल है। मेरी बेटी की शादी कैसे होगी, यह भी भगवान भरोसे है।

बकौल शारदा, 'मेरी गरीबी और लाचारी देखकर आसपास के लोग हमें सिर्फ सांत्वना देते हैं। मदद करने का वादा भी करते हैं, लेकिन साथ नहीं देते हैं। मैं जिस दिन स्कूल में खिचड़ी नहीं बनाती हूं उस दिन मुझे खाने के लिए कुछ नहीं होता है। मैं अगल बगल में जाती हूं तो लोग मुझे चावल गेहूं भी नहीं देते हैं कि मैं खा सकूं। लोग सिर्फ बातों से ही साथ देते हैं। शासन प्रशासन से भी किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली।

घूस देने पर ही प्रधानमंत्री आवास योजना में मिलता है घर

अन्य ग्रामीण बताते हैं जो घूस देता है उसी को प्रधानमंत्री आवास योजना में घर मिलता है। वार्ड पार्षद से लेकर अधिकारी तक घूस लेते हैं। जो नहीं देता है, उनको घर नहीं मिलता है। अगर पहले किसी को घर मिल भी गया है तो दूसरी किस्त के लिए दर दर भटकना पड़ता है। एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर कोई नया घर बनता है तो यहां उसी के नाम से घर पास हो जाता है। यह अधिकारी और प्रतिनिधि लाभुक के साथ मिलकर तय कर लेते हैं।

लोगों के कहने से जनता दरबार गई, लेकिन खाली हाथ लौटी

शारदा देवी बताती हैं, कुछ लोगों ने बोला था कि जिलाधिकारी के जनता दरबार में जाइए, वहां से आपको घर मिलेगा। मैं जनता दरबार में भी गई थी। जब मैं वहां गई तो मुझे कोई अधिकारी नहीं मिला, और बोला गया कि जनता दरबार में आपका कुछ नहीं होगा। मैं वहां से दरबदर भटकती-भटकती अपने गांव आ गई।

शारदा देवी कहती हैं, मुखिया और वार्ड पार्षद हमेशा बोलते हैं इस बार आप को घर मिल जाएगा लेकिन वह हमेशा आस बंधाते हैं। मुझे घर मिलना तो छोड़िये, इन लोगों का चक्कर लगाते लगाते मैं परेशान हो गई हूं। अब किसी से उम्मीद नहीं दिखती है कि वह मुझे घर भी देगा, शायद मैं पक्के मकान में इस जन्म में कभी नहीं सो पाऊंगी।

गांव के ही अवधेश कुमार कहते हैं कि मेरी शादी नहीं हुई है। हम मुखिया को बोलते हैं तो वो बोलता है, आपको घर मिल जायेगा। अब तक कोई घर नहीं दिया। मैं अभी भतीजे के पास रहता हूं। अगर भतीजा लोग नहीं रखे तो मेरा क्या हाल होगा, वो भगवान ही समझेंगे। अब हम उम्मीद छोड़ चुके हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर भी मिलेगा।

मुखिया के घर से मात्र 30 मीटर की दूरी पर है शारदा का घर

शारदा देवी के घर से मुखिया का घर महज 30 मीटर की दूरी पर है, लेकिन उनकी बेबसी से मुखिया जी ही बेखबर हैं। जब जनज्वार ने मुखिया से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि मैं अभी नया मुखिया बना हूं। अभी प्रधानमंत्री आवास योजना में नया अप्लाई नहीं हुआ है। अगर अब होगा तो मैं इनका काम करवा दूंगा। इतने दिन से अगर इन्हें घर नहीं मिल पाया है तो यह पूर्व मुखिया और पूर्व पार्षद की वजह से नहीं हुआ होगा। अब पंचायत में किसी को घर देना होगा मैं सबसे पहले इन्हीं को घर दूंगा।

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