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गुजरात चुनाव 2022

Gujrat Chunav : प्रबुद्ध नागरिकों ने खटखटाया EC का दरवाजा, शाह के खिलाफ की कार्रवाई की मांग

Janjwar Desk
29 Nov 2022 5:07 AM GMT
Gujrat Chunav : प्रबुद्ध नागरिकों ने खटखटाया ईसी का दरवाजा, शाह के खिलाफ की कार्रवाई की मांग
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Gujrat Chunav : प्रबुद्ध नागरिकों ने खटखटाया ईसी का दरवाजा, शाह के खिलाफ की कार्रवाई की मांग

Gujrat Election 2022 : अमित शाह ने महुधा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों को सबक सिखाया था। उसके बाद से गुजरात में अभी तक शांति है।

Gujrat Election 2022 : गुजरात विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच 2002 दंगों ( Gujrat riots 2002 ) को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit shah ) के बयान को लेकर एक बार फिर विवाद चुनाव आयोग ( Election Commission ) तक पहुंच गया है। देश के कुछ प्रबुद्ध नागरिकों ( Pro human right activists ) ने शाह के बयान को उकसाने वाला करार दिया है। उनके इस बयान को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया गया है। पूर्व नौकरशाहों और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग से गुजरात ( Gujrat ) में एक चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान पर कार्रवाई की मांग की है।

EC करे सख्त कार्रवाई

प्रबुद्ध नागरिकों में शामिल भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएएस सरमा और जगदीप छोकर ने 26 नवंबर को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त एसी पांडे और चुनाव आयुक्त गोयल को लिखे एक पत्र में सबसे पहले गुजरात में खेड़ा जिले के महुधा में एक रैली के दौरान शाह के बेहद आपत्तिजनक बयान का मुद्दा उठाया है। अपने पत्र में इन लोगों ने चुनाव आयोग से इस तरह के विभाजनकारी संबोधनों की अनुमति नहीं देने का आग्रह करते हुए शाह के खिलाफ जांच और आवश्यक सजा की भी मांग की है।

लोगों को कानून अपने हाथ में लेने दिया गया

ईएएस शर्मा ने बताया कि शाह के 25 नवंबर के बयान के यह निहितार्थ निकलते हैं कि कानून प्रवर्तन प्राधिकरणों के अलावा राजनीतिक दल और लोगों के कुछ वर्गों ने कानून अपने हाथ में लेकर दूसरों को सबक सिखाया। उन्होंने चुनाव आयोग से कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिलकिस बानो मामले में 11 बलात्कार के दोषियों को रिहा करने की भी मंजूरी दी थी। इन बातों का भी ख्याल रखना जरूरी है।

153ए का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन

प्रबुद्ध नागरिकों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि बयान भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए का उल्लंघन है जो धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने से संबंधित है। इस पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 भी लागू होती है, जो 153ए समेत आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दोषसिद्धि होने पर अयोग्यता प्रदान करती है।

खेड़ा में क्या कहा था शाह ने

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit shah ) ने कहा था कि गुजरात में कांग्रेस के शासनकाल में अक्सर सांप्रदायिक दंगे होते थे। कांग्रेस विभिन्न समुदायों और जातियों के सदस्यों को एक-दूसरे के खिलाफ उकसाती थी। कांग्रेस ने ऐसे दंगों के जरिये अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया। भाजपा सरकार ने 2002 में दंगाइयों को सबक सिखाने का काम किया। तब से लेकर अब तक गुजरात में शांति है। साल 2002 में सबक सिखाए जाने के बाद से अराजक तत्वों ने वह रास्ता छोड़ दिया। वे लोग 2002 से 2022 तक हिंसा से दूर रहे। भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर गुजरात में स्थायी शांति कायम की है।

Gujrat Election 2022 : बता दें कि 2002 में गोधरा में ट्रेन में आग लगने की घटना में लगभग 59 हिंदू तीर्थयात्रियों और कारसेवकों के मारे जाने के बाद मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। अमित शाह ने सबक सिखाने वाला बयान वास्तव में दिया है तो यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। चुनाव आचार संहिता के मुताबिक कोई भी नेता या व्यक्ति ऐसा बयान नहीं दे सकता जिसमें लोगों से जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की कोई अपील शामिल हो।

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