पुणे के पत्रकार पांडुरंग की मौत मामले में सामने आया ऑडियो, कोविड हॉस्पिटल इंचार्ज ने कहा मरने दो
photo : social media
जनज्वार। कोरोना की भयावहता और इससे होने वाली मौतों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। छोटा—बड़ा हर वर्ग इसका शिकार बन रहा है। कई पत्रकारों की भी अब तक कोरोना से मौत हो चुकी है। मगर ऐसे मामलों में कोरोना से ज्यादा इलाज के अभाव में मौतों का खुलासा ज्यादा हो रहा है।
महाराष्ट्र के पुणे में पत्रकार पांडुरंग की कोरोना से हुई मौत के बाद उनके घरवालों ने भी आरोप लगाया कि चिकित्सकीय लापरवाही और समय पर एम्बुलेंस न मिलने की वजह से उनकी जान गयी। पुणे के जंबो कोविड अस्पताल में पांडुरंग ने इलाज के दौरान 2 सितंबर को दम तोड़ दिया था।
परिवार समेत अन्य लोगों ने भी आरोप लगाया था कि टीवी पत्रकार पांडुरंग और अन्य कोरोना रोगियों को जंबो अस्पताल के इंचार्ज ने जीवन रक्षक दवाओं के बगैर ही मरने के लिए छोड़ दिया था।
पांडुरंग की बहन ने भी ये आरोप लगाया कि, "यहां अराजकता है, डॉक्टरों को प्रशिक्षित नहीं किया गया है। सरकार ने करोड़ों रुपये लगाकर कोविड अस्पताल बनाए, लेकिन मरीजों को अस्पताल तक शिफ्ट करने के लिए कार्डियक एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं की।"
जंबो कोविड अस्पताल के इंचार्ज डॉ. गुप्ता और जंबो अस्पताल की ही दो महिला डॉक्टर के बीच का जो ऑडियो सामने आया है, उसमें महिला डॉक्टर्स इंचार्ज डॉक्टर गुप्ता को कह रही हैं कि अस्पताल में जीवन रक्षक दवाइयां और इंजेक्शन नहीं हैं।
ऑडियो में यह भी सुना जा सकता है कि महिला डॉक्टर्स इंचार्ज हेड डॉक्टर गुप्ता को कह रही हैं कि अस्पताल में जीवन रक्षक दवाइयां, इंजेक्शन नहीं हैं और 4 कोविड रोगियों की मौत हो गई है, क्योंकि वे उन्हें जीवन रक्षक दवाएं नहीं दे सके।
महिला डॉक्टर्स की इस बात पर डॉ. गुप्ता झल्ला पड़ते हैं और महिला डॉक्टर को चिल्लाकर कहते हैं कि अगर पीएमसी का स्वास्थ्य विभाग दवा नहीं दे रहा है तो मैं इसके लिए क्या कर सकता हूं। अगर मरीज मर रहे हैं तो उन्हें मरने दो, बस अनदेखा करो।'
महिला डॉक्टर्स डॉ. गुप्ता से ऑडियो में यह आग्रह करते हुए सुनाई दे रही हैं कि अगर अस्पताल में सुविधाएं नहीं है तो फिर क्यों अस्पताल कोविड मरीजों को भर्ती कर रहा है? जिसके जवाब में डॉ. गुप्ता कह रहे हैं, पीएमसी के अधिकारियों का जबरदस्त दबाव है, इसलिए भर्ती करने पड़ रहे हैं।
इतना ही नहीं दोनों महिला डॉक्टर्स डॉक्टर गुप्ता से यह भी कंप्लेंट कर रहे हैं कि यहां वॉशरूम, शौचालय की भी सफाई नहीं हो रही है। सफाई कर्मचारी बाथरूम और शौचालय साफ नहीं हैं, जिस पर चिढ़कर डॉक्टर गुप्ता कहते हैं कि वह हर मामले को आखिर कैसे देख सकते हैं।
गौरतलब है कि 42 वर्षीय टीवी पत्रकार पांडुरंग रायकर को सर्दी और बुखार के बाद 28 अगस्त को कोरोना पॉजिटिव निकला था। इस दौरान वे अपने पैतृक घर अहमदनगर में थे। यहां सांस लेने में परेशानी होने लगी तो उन्हें एम्बुलेंस से पुणे लाया गया। पुणे आने के बाद पांडुरंग रायकर पहले लगातार अस्पताल के चक्कर काटते रहे,मगर उन्हें किसी ने भर्ती नहीं किया। आखिरकार उन्हें कोविड के लिए बनाया गये जंबो अस्पताल में बड़ी मुश्किल से एक बेड मिला। 1 सितंबर को उनकी को उनकी तबियत काफी खराब हुई। आक्सीजन स्तर लगातार गिरने के बाद उन्हें वेंटिलेटर में रखा गया, मगर बुधवार 2 सितंबर की सुबह उनकी मौत हो गयी।