बाबा रामदेव के दिव्य फॉर्मेसी की बीपी-शुगर और थाईराइड समेत 5 दवाओं पर लगाये बैन को क्यों लिया वापस, पतंजलि ने बताया बड़ा षड्यंत्र
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Baba Ramdev Divya Pharmacy : बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी की पांच दवाओं के उत्पादन पर तीन दिन पहले लगाये गये बैन को विभाग ने चूक मानकर हटाया, मगर असल सवाल यह है कि इतने बड़े स्तर पर आखिर चूक हो कैसे सकती है, कहीं किसी दबाव में तो नहीं हटाया गया बैन...
देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी की 5 दवाओं पर लगाया गया प्रतिबंध तीन दिन में ही वापस ले लिया है। मामले में सफाई देते हुए उत्तराखंड ड्रग रेगुलेटर ने कहा कि हमने पिछला आदेश जल्दबाजी में जारी किया था और यह एक गलती थी। बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी का दावा है था कि यह दवाएं रक्तचाप, मधुमेह, गोइटर, ग्लूकोमा और हाई कोलेस्ट्रॉल का इलाज कर सकती हैं।
केरल के एक चिकित्सक डॉ केवी बाबू ने जुलाई में इस संबंध में शिकायत कर दिव्य फार्मेसी पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज (आब्जेक्शनेबल एडवर्टाइजमेंट) एक्ट, ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट और ड्रग्स एंड कास्मेटिक रूल्स के उल्लंघन का आरोप लगाया था। डॉ. बाबू ने राज्य की लाइसेंसिंग अथारिटी को जो शिकायत भेजी थी, उस पर कार्रवाई करते हुए आयुर्वेद विभाग के औषधि नियंत्रक डॉ. जीएससी जंगपंगी की ओर से दिव्य फार्मेसी को नोटिस देकर भेजा बताया गया है कि निदेशालय स्तर पर गठित पैनल ने इन दवाओं के फार्मूलेशन शीट व लेबल क्लेम का परीक्षण किया।
नोटिस में कंपनी को अपनी रिपोर्ट में नवीन फार्मूलेशन शीट अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करने को कहा गया था। इतना ही नहीं दिव्य फार्मेसी से एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण तलब करते हुए कहा गया था कि भ्रामक/आपत्तिजनक विज्ञापनों को तत्काल मीडिया स्पेस से हटाकर इन दवाओं का निर्माण बंद कर दें।
जिन दवाओं के उत्पादन पर रोक लगाई गई थी, उनमें दिव्य मधुग्रिट टैबलेट, दिव्य आइग्रिट गोल्ड, दिव्य थायरोग्रिट टैबलेट, दिव्य बीपी ग्रिट और दिव्य लिपिडाम टैबलेट शामिल थी। बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी के लिए दवाएं बनाने वाली दिव्य फार्मेसी को पांच दवाओं के उत्पादन पर रोक लगाने को योग गुरु बाबा रामदेव ने 'आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफिया' पर साजिश करने का आरोप लगाया था। कंपनी ने कहा था कि या तो विभाग अपनी गलती सुधार कर इस षडयंत्र में लिप्त व्यक्ति के विरुद्ध उचित कार्यवाई करे अन्यथा पतंजलि को हुए संस्थागत नुकसान की क्षतिपूर्ति सहित इस षडयंत्र के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित करने के लिए संस्था कानूनी कार्यवाई करेगी। इसी के तीन दिन बाद विभाग ने इस मामले में चूक स्वीकार करते हुए यू टर्न ले लिया है।
प्रतिबंध हटाने के आदेश के बाद पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिजारीवाला ने कहा 'हम आयुर्वेद को बदनाम करने के इस तर्कहीन कृत्य का संज्ञान लेने के लिए उत्तराखंड सरकार के विनम्रतापूर्वक आभारी हैं और गलती को समय पर ठीक करने के लिए भी। कंपनी ने कहा कि विगत 30 वर्षों के निरंतर प्रयास और शोध के माध्यम से पतंजलि संस्थान ने दुनिया में पहली बार अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित दवा के रूप में आयुर्वेदिक दवाओं की स्वीकृति उत्पन्न की है। दुर्भाग्य से, उत्तराखंड के आयुर्वेद लाइसेंसिंग प्राधिकरण के कुछ अज्ञानी, असंवेदनशील और अयोग्य अधिकारी आयुर्वेद की पूरी ऋषि परंपरा को कलंकित कर रहे हैं। एक अधिकारी की यह अविवेकपूर्ण त्रुटि आयुर्वेद की परंपरा और प्रामाणिक शोध पर एक प्रश्नचिह्न है, इसे पूरी तरह से कलंकित करने के लिए उठाया गया है। पतंजलि को दुर्भावनापूर्ण रूप से बदनाम करने के लिए जानबूझकर यह निंदनीय कार्य किया गया था।'