Female Orgasm in India : भारत में 70 फीसदी पुरुष महिलाओं को नहीं करवा पाते हैं आर्गेज्म का अहसास! सोशल मीडिया पर जारी है 'गंभीर बहस', जानिए 'महिलाओं के आर्गेज्म' के बारे में सबकुछ
Female Orgasm in India : भारत में 70 फीसदी पुरुष महिलाओं को नहीं करवा पाते हैं आर्गेज्म का अहसास! सोशल मीडिया पर जारी है 'गंभीर बहस', जानिए 'अर्गेज्म' के बारे में सबकुछ
Female Orgasm in India : सोशल मीडिया (Social Media) पर इन दिनों लाउडस्पीकर (Loudspeaker), हिंदू-मुस्लिम (Hindu Muslim) और बुल्डोजर (Bulldozer) के आलावे एक और मुद्दे पर गरमागरम बहस चल रही है। एक पर एक विशेषज्ञ तर्क दिए जा रहे हैं इस बारे में। जी हां, हम बात कर रहे हैं महिलाओं के आर्गेज्म (Female Orgasm) की। लेखिका और पत्रकार अणुशक्ति सिंह (Anu Shakti Singh) के नाम से सोशल मीडिया पर एक पोस्टर शेयर किया गया है जिसमें उन्होंने सवाल किया है कि "भारत जैसे देश में जहां 70 प्रतिशत महिलाओं को आर्गेज्म नहीं मिलता है वो कहीं ना कहीं तो इसे तलाशेंगी। नैतिकता सिर्फ पुरुषों के लिए ही क्यों?" क्या इसका यह मतलब नहीं कि 70 प्रतिशत पुरुष महिलाओं को आर्गेज्म का अहसास नहीं करवा पाते हैं।
कहां से शुरू हुई आर्गेज्म पर बहस?
साल 2019 में भी सोशल मीडिया पर फेक ऑर्गैजम पर हैशटैग #IFakedItToo ट्रेंड हुआ था। यह मुहिम एक कॉन्डम ब्रैंड की ओर से शुरू की गयी थी। इस ब्रेंड ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि भारत में 70 पर्सेंट से ज्यादा महिलाएं हर बार सेक्स के दौरान ऑर्गैजम फील नहीं करती हैं। ब्रैंड के ट्वीटर अकाउंट से स्वारा भास्कर, पूजा बेदी और अपारशक्ति खुराना जैसे एक्टरों ने इस विषय पर लोगों से खुलकर बात करने की अपील की थी।
आर्गेज्म का हाल शहर हो या गांव हर जगह एक जैसा
सेक्स का आनंद हर कोई लेना चाहता है। सेक्स के दौरान सबसे महत्वपूर्ण एहसास होता है आर्गेज्म। ऐसे में यह हैरानी की बात है कि भारत में 70 फीसदी महिलाएं आर्गेज्म का अनुभव करने से वंचित हैं यानि उन्हें यह पता ही नहीं है कि सही मायने में सेक्स का चरमसुख क्या होता है। मुंबई की सेक्सुअलिटी एज्यूकैटर नियती एन शाह का कहना है कि ये समस्या केवल ग्रामीण महिलाओं की ही नहीं है बल्कि शिक्षित शहरी महिलाओं की स्थिति भी ऐसी ही है।
समलैंगिकों में आर्गेज्म का प्रतिशत महिलाओं से बेहतर
हम अक्सर फिल्मों में देखते हैं कि महिलाओं का आर्गेज्म एक जैसा होता है पर असल जिंदगी में ऐसा होता नहीं है। हर शरीर अलग होता है और हर आर्गेज्म भी। वास्तव में ऐसा भी मुमकिन है कि किसी महिला को जिंदगी भर आगेज्म हुआ ही ना हो। अमेरिका में साल 1966 में हुए मास्टर्स और जॉनसन की एक रिसर्च के अनुसार सेक्स के दौरान 95 प्रतिशत पुरुषों को आर्गेज्म होता है जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा सिर्फ 65 से 70 फीसदी है। इसे आगेज्म गैप का नाम दिया गया है। समलैंगिकों में यह गैप बहुत कम है। गे (Gay) में 89 और लेस्बियन (Lesbian) में 86 प्रतिशत लोग आर्गेज्म का अनुभव करते हैं।
जानिए महिलाएं कैसे करती हैं आर्गेज्म का अनुभव?
कुदरत ने पुरुषों को आर्गेज्म दिया ताकि स्पर्म एग तक पहुंच सके और दुनिया आगे बढ़ सके। लेकिन कुदरत ने महिलाओं को आर्गेज्म क्यों दिया। डॉक्टर्स इतना ही समझ पाए हैं कि महिलाओं में सेक्सुअल रिस्पांस को चार हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक्साइटमेंट, प्लैटौ आर्गेज्म और रेजोल्युशन। इसे कुछ ऐसे समझ सकते हैं कि जब आपको कोई पहाड़ चढ़ना होता है तो चोटी से पहुंचने से पहले आपको कुछ फासला चढ़ना होता। लेकिन शुरुआत में ही इस बात की एक्साइटमेंट होती ही है कि आप एक पहाड़ फतह करने जा रहे हैं। यही एक्साइटमेंट है जो अक्सर फोरप्ले के दौरान शुरू हो जाता है।
आर्गेज्म के दौरान बढ़ जाती है दिल की धड़कनें
इस दौरान बीपी बढ़ता है दिल की धड़कनें तेज हो जाती है और ब्रेस्ट (Breast) और वेजाइना (Vagina) की तरफ ब्लड फ्लो (Blood Flow) बढ़ जाता है। इसके बाद आता है दूसरा फेज या प्लैटो। यहां भी एक्साइटमेंट (Excitement) जारी रहता है बल्कि और ज्यादा बढ़ जाता है। क्लिटोरस के टिश्यूज (Clitoris Tissues) और फैलते रहते हैं इस हद तक कि क्लिटोरस (Clitoris) को छूना दर्दनाक भी हो सकता है। ऐसे में क्लिटोरस खुद को क्लिटोरल हुड (Clitoral Hood)) के अंदर छुपा लेती है ताकि उसे कोई नुकसान ना पहुंचे। और फिर आता है तीसरा और सबसे अहम फेज आर्गेज्म। पुरुषों से अलग हर महिला एजैकुलेट नहीं करती हैं और जो करती हैं उनका एजैकुलेशन (Ejaculation) पुरुषों जितना नहीं होता है ज्यादा से ज्यादा एक छोटे चम्मच के बराबर।
आर्गेज्म से दिमाग में 30 से अधिक सिस्टम हो जाते हैं एक्टिवेट
आर्गेज्म के दौरान कई हार्मोंस रिलीज होते हैं। जिनमें सबसे खास होता है आॅक्सिटोसिन (Oxytocin) यही हमें अच्छा महसूस कराता है। और अपने पार्टनर के साथ जुड़े होने का एहसास कराता है। इसके अलावा आर्गेज्म के दौरान दिमाग में 30 से भी ज्यादा सिस्टम एक्टिवेट हो जाते हैं। इसके बाद शरीर धीरे-धीरे रिलेक्स करता है। सब कुछ फिर से नॉर्मल होने लगता है। ये है आखिरी रेजुल्यूशन फेज।
कुछ महिलाएं करती हैं मल्टीपल आर्गेज्म का अनुभव
हां कुछ महिलाएं पहले बतायी गयी प्रक्रिया के बाद फिर पहले फेज पर लौट सकती हैं और इस तरह से मल्टिपल आर्गेज्म अनुभव कर सकती हैं। लेकिन सबके साथ ऐसा नहीं होता है। वास्तव में यह अनुभव जो पार्न मूवीज में दिखाया जाता है उससे अलग होता है। पॉर्न मूवीज में हो होता है वो सिर्फ वहीं होता है वास्तविक जिंदगी में नहीं। इसलिए अगर आप पॉर्न देखते हैं तो इस डिस्क्लेमर के साथ देखिए कि डू नॉट ट्राई दिस एट होम।
महिलाओं के आर्गेज्म को लेकर समाज में हैं कई मिथक
फीमेल आगेज्म को लेकर कई तरह के मिथक हैं। और सबसे बड़ा मिथक यह है कि आगेज्म सिर्फ वजाइनल होता है। यानि सिर्फ संभोग से ही ऐसा मुमकिन है। हालांकि यह सच नहीं है। इस सोच की वह हैं सिगमंड फ्राइड। साइकोएनालिसिस और थ्योरी आॅफ सेक्सुआलिटी लिखने वाले सिगमंड फ्राइड को लगा था कि उन्होंने आखिरकार औरतों को समझ लिया है। उन्होंने कहा था कि क्लिेटोरिस और वजायना और जिन महिलाओं को क्लिटोरिस को छूने से आर्गेज्म होता है उन महिलाओं में कुछ गड़बड़ है। सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक गड़बड़ भी है। इन्हें इलाज की जरुरत है। क्योंकि एक महिला को असली आर्गेज्म सिर्फ एक पुरुष ही दे सकता है। इंटरकोर्स के दौरान।
आर्गेज्म का कारण जानने के लिए महिलाओं के दिमाग कर स्कैनिंग की गयी
फ्राइड की बातों पर लोगों को इतना भरोसा हुआ कि आने वाले सालों में कुछ बुद्धिजीवियों ने यहां तक सुझा दिया इस बीमारी को ठीक करने का यही इलाज है कि ऐसी महिलाओं का क्टिोरिस ही काटकर अलग कर दिया जाए। यहां तक कि आर्गेज्म के दौरान महिलाओं का ब्रेन तक स्कैन किया गया ताकि समझ में आ सके कि महिलाओं को आर्गेज्म कैसे और सबसे बढ़कर क्यों होता है। लेकिन इस सवाल का आज तक कोई सटीक जवाब नहीं मिल पाया है।
महिलाओं में आर्गेज्म के लिए क्लिटोरिस महत्वपूर्ण
महिलाओं में आर्गेज्म के लिए जो हिस्सा रिस्पान्सिबल होता है उसे क्लिटोरिस कहा जाता है। इसे स्टिमुलेट करने के ही आर्गेज्म का एहसास किया जा सकता है। कहीं इसका नाम ही नहीं दिखता औ और दिखता भी है तो छुपा हुआ सा। आइए जानते हैं कि क्लिटोरिस आखिर है क्या। बाहर से यह किसी मटर के दाने जैसा दिखता है पर अंदर में यह तकरीबन 10 सेमी जितना लंबा होता है।
इस कारण ज्यादातर महिलाएं नहीं अनुभव कर पाती हैं आर्गेज्म
हमारे देश में सेक्स और उसके बारे में बात करना एक वर्जित विषय माना जाता है। जैसे लड़कियों को शुरू से ही अपने प्राइवेट पार्ट्स को नहीं छूना, एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर ना बैठना, घुटनों तक कपड़े पहनना, स्कर्ट्स के नीचे शॉर्ट्स पहनना जैसी बातें सिखायी जाती है। इस तरह के अनुभव से गुजरने के कारण लड़कियों में अपनी बॉडी को लेकर आत्मविश्वास नहीं पैदा हो पाता है। वास्तव में इस तरह के कल्चर में महिलाएं अपने आपको जकड़ा हुआ महसूस करने लगी हैं, और यही वजह है कि वे साथी के साथ सेक्स के दौरान भी वह खुलकर अंतरंगता जाहिर नहीं कर पाती हैं। सेक्स करते समय महिला ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाती है। वास्तव में आर्गेज्म पाना दोनों पार्टनर्स का बराबर का अधिकार है, लेकिन शुरुआत से ही सेक्स के प्रति अपनी इच्छाओं को दबाते रहने से आर्गेज्म का अहसास नहीं हो पाता है।
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