Ghaziabad News : गाजियाबाद में वैक्सीन घोटाला : छह महीने में जब पैदा हुए 36 हजार बच्चे तो 56,000 को कैसे लग गया टीका
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Ghaziabad News जनज्वार। टीका लगाने के मामले में आंकड़ों के हेरफेर का मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में स्वास्थ्य विभाग के बीसीजी के टीकाकरण के आंकड़ों में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यह मामला है, बच्चों के जन्म लेने और उन्हें टीका लगाने के आंकड़ों को लेकर। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 36000 बच्चों ने जन्म लिया और आंकड़ों में बताया गया 56000 बच्चों को बीसीजी (bacille calmette- guerin) का टीका लगाया गया है।
क्या है पूरा मामला
स्वास्थ विभाग के आंकड़ों के अनुसार गाजियाबाद जिले में पिछले 6 महीने के अंदर करीब 36000 बच्चों ने जन्म लिया है। वहीं बीते 6 महीने में 56000 बच्चों को बीसीजी का टीका लगा दिया गया है। आंकड़ों की मानें तो जिले में अप्रैल से सितंबर तक 36021 बच्चों ने जन्म लिया है जिसमें 18378 लड़का और 175643 लड़की पैदा हुई है। जबकि इस पूरी अवधि में एक 51642 गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण किया गया था। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से सितंबर तक स्वास्थ्य विभाग ने 56259 बच्चों को बीसीजी वैक्सीन की डोज दी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब 6 महीने के अंदर केवल 36000 बच्चों का जन्म हुआ है तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा 56000 बच्चों को बीसीजी का टीका कैसे दिया जा सकता है।
क्या है बीसीजी वैक्सीन
बता दें कि बीसीजी वैक्सीन नवजात शिशु को दिया जाता है। यह टीका बच्चों को टीवी रोग से बचाने के लिए दिया जाता है। जो केवल एक ही बार लगता है। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि बीसीजी का यह टीका या तो बच्चों को जन्म के समय ही लगा दिया जाता है या फिर बच्चे के डेढ़ महीना होने तक लगाया जा सकता है। जन्म के दौरान बच्चे को 0.5 एमएस डोज दी जाती है और बाद में एक एमएल डोस दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का कहना है कि डोज कितनी भी हो। लेकिन उसे एक ही टीके के रूप में गिना जाता है, और आंकड़ों में दर्ज किया जाता है। यह बीसीजी का टीका सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क लगाया जाता है। जबकि प्राइवेट अस्पताल में इसे लगवाने के लिए शुल्क देना होता है।
आंकड़ों में 20000 टीके का अंतर
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जो आंकड़े बताए गए हैं, उनमें बच्चों के जन्म के आंकड़े और लगाए गए बीसीजी के टीके के आंकड़ों में एक बहुत बड़ा अंतर है। अप्रैल से दिसंबर तक जिले में 36021 बच्चों ने जन्म लिया। वहीं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 56259 बच्चों को बीसीजी वैक्सीन डोज दी गई है। आंकड़ों पर गौर करें तो जन्म लेने वाले बच्चों और बीसीजी का टीका लगाने वाले बच्चों की संख्या में 20238 का अंतर है। यहां खटकने वाली बात यह है कि यदि जिले में 36000 बच्चों का जन्म हुआ है तो 56000 बच्चों को टीका कैसे लगाया जा सकता है। स्वास्थ विभाग द्वारा जो आंकड़े बताए गए हैं उसे देखते हुए ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि सरकारी अस्पतालों में आने वाला टीका कहीं निजी अस्पतालों तक तो नहीं पहुंच रहा है। क्या सरकारी अस्पतालों के नाम पर आए हुए बीसीजी वैक्सीन को प्राइवेट अस्पतालों को बेचा जा रहा है।
अधिकारियों ने गड़बड़ी से किया इनकार
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में टीके की गड़बड़ी को लेकर जो मामला सामने आया है। उस पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से पूछताछ की गई तो, उन्होंने मामले में गड़बड़ी होने से साफ इनकार कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि काम की तलाश में मजदूर लोग बड़ी संख्या में अपने परिवार के साथ जनपद आते हैं, ऐसे में जो बच्चे बाहर से यहां आते हैं। उनके अभिभावक उन्हें यहां के सरकारी अस्पतालों में टीका लगवाते है। बाहर से आए बच्चों को लगाए गए टीकों के आंकड़े भी दर्ज किए जाते हैं। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि, इस मामले में या तो स्वास्थ केंद्रों में ही गड़बड़ी हुई है या आंकड़ा अपडेट करने के दौरान गड़बड़ी हो सकती है।
डाटा एंट्री में गलती की होगी जांच
स्वास्थ विभाग द्वारा बताए गए आंकड़ों में बच्चों के जन्म और बच्चों को लगाए जाने वाले बीसीजी वैक्सीन डोज के आंकड़ों में अंतर को लेकर सीएमओ की प्रतिक्रिया सामने आई है। सीएमओ डॉ भवतोष शंखघर ने बताया कि, यह भी हो सकता है, कई बार मार्च या अप्रैल में जन्मे बच्चों को यह टीका बाद में लगाया जाता है, जो नए सत्र में दर्ज होता है। ऐसे में डेटा एंट्री में कोई भी गलती हो सकती है। हालांकि जहां भी गड़बड़ी है उसकी जांच कराई जाएगी।