निपाह के लक्षण भी कोरोना जैसे, इसमें में भी होता है सर्दी-बुखार-सिर दर्द, पहचान के तरीकों को जानना है जरूरी
मोना सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार। केरल में कोरोना महामारी के कहर के बीच रविवार को निपाह वायरस के संक्रमण से 12 वर्षीय बच्चे की मौत की खबर आई है। ये मौत कोझीकोड इलाके में हुई है। वायरस को कंफर्म करने के लिए बच्चे के सैंपल एनआईवी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वायरोलॉजी) पुणे भेजे गए थे। इस वायरस की गंभीरता का अंदाजा आप लगा सकते हैं कि उस इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है। केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने खुद इसकी घोषणा की है। साथ ही अलर्ट जारी करते हुए पड़ोसी जिलों कन्नूर और मलप्पुरम में अलर्ट जारी किया गया है।
कोझीकोड मैं एक निपाह कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। यहां मरने वाले बच्चे के घर से 3 किलोमीटर के दायरे में ट्रैफिक को डायवर्ट भी कर दिया गया है। जिस वार्ड में निपाह वायरस मिला उसे सील कर दिया गया है। उसके आसपास के अन्य वार्डों में लॉकडाउन लगा दिया गया है। बच्चे के संपर्क में आने वाले 251 लोगों की पहचान कर ली गई है। उनमें से 129 स्वास्थ्य कर्मी है, 38को प्राथमिक लिस्ट में रखा गया है। जिनमें से 2 में निपाह के लक्षण दिखाई दिए हैं। इन 38 लोगों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कर लिया गया है। मेडिकल कॉलेज में निपाह के लिए अलग फ्लोर पर वार्ड बनाए गए हैं।
क्या है निपाह वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह एक जूनोटिक वायरस है। मतलब जो वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है। इसके साथ-साथ यह एक इंसान से दूसरे इंसान में भी फैलता है। ये वायरस चमगादड़ से जानवरों में और फिर इंसानों में फैल सकता है। यह एक ड्रॉपलेट इनफेक्शन है। ड्रॉपलेट का मतलब निपाह वायरस चमगादड़ की लार से फैलता है। यह मेगा बैट्स या फ्रूट बैट यानी फल खाने वाले चमगादड़ों के लार से फैलता है। जब यह चमगादड़ फलों को खाता है तो उसकी लार फलों पर लग जाती है। और जब उसी फल को इंसान या जानवर खाते हैं तो वो निपाह वायरस से संक्रमित हो जाते हैं। यह सूअर, बिल्लियों और कुत्तों के जरिए भी फैल सकता है। इसलिए चमगादड़ों की ज्यादा आबादी के बीच ऐसे जानवरों के संपर्क में रहने वाले लोगों को ज्यादा खतरा है।
निपाह वायरस सबसे पहले कहां पाया गया
पहली बार साल 1999 में मलेशिया के निपाह में पाया गया। इसका नाम भी उस जगह के नाम पर है। इससे संक्रमित पहले व्यक्ति की मौत साल 1999 में हुई थी। ये वायरस शुरू में सिंगापुर में भी फैला था। लेकिन दोबारा यह मलेशिया में अब तक नहीं फैला है। भारत में निपाह वायरस का पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल में पाया गया था। इसके बाद 2007 में बंगाल में कुछ केस मिले थे। वहीं, दक्षिण भारत में पहली बार केरल के कोझीकोड जिले में ही 2018 में इस वायरस से संक्रमित 19 लोगों की पहचान हुई थी। जिनमें से 17 लोगों की मौत हो गई थी।
निपाह वायरस के लक्षण
ये सबसे चौंकाने वाली बात है कि निपाह वायरस के लक्षण भी कोरोना से मिलते जुलते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी आना, गले में खरास होना, चक्कर आना, थकान लगना, होश ना रहना और एक क्यूट इंसेफेलाइटिस जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों में असामान्य निमोनिया और सांस की गंभीर समस्याएं होती हैं। समस्या बढ़ने पर एन्सेफेलाइटिस के दौरे पड़ते हैं। और मरीज कई बार कोमा में भी चला जाता है। इस वायरस के लक्षण दिखने के बीच का समय 4 से 14 दिन है। कुछ मामलों में लक्षण दिखने में 45 दिनों का समय भी लग सकता है। इस वायरस की वजह में डेथ रेट यानी जान जाने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 40 से 75 प्रतिशत मामले में मौत हो जाती है। इस वायरस को निप्स (NIPS) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत में 3 से 14 दिन तक तेज सिर दर्द और बुखार आ सकता है और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, निपाह वायरस का इन्फेक्शन इंसेफलाइटिस से जुड़ा है। इंसेफलाइटिस का मतलब है दिमाग में सूजन आना। जिससे दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है।
क्या है दवा और वैक्सीन
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अभी तक निपाह वायरस से बचने के लिए कोई खास दवा या वैक्सीन नहीं बनी है। लेकिन वैक्सीन और दवा बनाने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक कड़ी मेहनत कर रहे हैं। निपाह वायरस के संक्रमण से उत्पन्न होने वाली सांस की परेशानी और न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों से निपटने के लिए आईसीयू की जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वायरस से संक्रमित इलाके में सबसे पहले जानवरों के रहने वाले एरिया को इंसानों से अलग कर देना चाहिए।
संक्रमित जानवरों को मारकर जला देना चाहिए या फिर गहरे गड्ढे में दफनाना चाहिए। इसके अलावा संक्रमित इलाके में दूसरे जानवरों की आवाजाही पर रोक लगानी चाहिए। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार संक्रमित इलाके से आए हुए लोगों को साबुन और पानी से अच्छी तरह हाथ धोना चाहिए। इसके साथ ही कटे हुए फलों को नहीं खाना चाहिए। फलों को अच्छी तरह से धोकर खाना चाहिए।
भारत और बांग्लादेश दोनों में ही निपाह वायरस के संक्रमण को खजूर के जूस पीने से जोड़कर देखा गया था। भारत यहां पर रात में खजूर के पेड़ पर बर्तन बांधकर खजूर का जूस इकट्ठा किया जाता है। रात में चमगादड़ इन्हीं बर्तनों पर पेशाब कर देते हैं। और इसी जूस को पीने से इंफेक्शन फैलता है। कंबोडिया और थाईलैंड में चमगादड़ की बीट से खाद बनाया जाता है। जिसे गुआनो कहा जाता है।
निपाह वायरस और कोरोना वायरस के लक्षण कैसे पहचानें
कोरोना वायरस सबसे ज्यादा फेफड़ों पर असर डालता है जबकि निपाह वायरस में दिमाग में सूजन आती है। और इंसेफलाइटिस के दौरे पड़ते हैं। मरीज कोमा में भी जा सकता है। इसी 1 लक्षण से दोनों में अंतर किया जा सकता है। निपाह वायरस के लिए भी आरटी पीसीआर (RT-PCR) और एंटीजन टेस्ट उपलब्ध हैं। इसलिए संक्रमण होने की स्थिति में कोरोना और निपाह वायरस दोनों के लिए अलग-अलग टेस्ट जरूर कराएं। क्योंकि शुरुआती लक्षण दोनों में लगभग एक जैसे ही होते हैं।