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LIC Policy : कोरोनाकाल में 2.3 करोड़ से अधिक जीवन बीमा पॉलिसियों को लोगों ने छोड़ा, मिलने वाली राशि जमा प्रीमियम से भी कम

Janjwar Desk
26 Aug 2022 12:15 PM IST
LIC Policy : कोरोनाकाल में 2.3 करोड़ से अधिक जीवन बीमा पॉलिसियों को लोगो ने छोड़ा, मिलने वाली राशि जमा प्रीमियम से भी कम
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LIC Policy : कोरोनाकाल में 2.3 करोड़ से अधिक जीवन बीमा पॉलिसियों को लोगो ने छोड़ा, मिलने वाली राशि जमा प्रीमियम से भी कम

कोरोना वायरस के चलते आम जीवन काफी प्रभावित हुआ है। इसका असर बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम भुगतान पर भी हुआ है। 2021-22 में बीमा पॉलिसियों के मैच्योरिटी से पहले ही सरेंडर करने के मामलों में तेज वृद्धि देखी गई...

LIC Policy : कोरोना वायरस के चलते आम जीवन काफी प्रभावित हुआ है। इसका असर बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम भुगतान पर भी हुआ है। 2021-22 में बीमा पॉलिसियों के मैच्योरिटी से पहले ही सरेंडर करने के मामलों में तेज वृद्धि देखी गई। आंकड़ों की माने तो 2021-22 के दौरान 2.3 करोड़ से अधिक जीवन बीमा पॉलिसियों को लोगों ने छोड़ दिया है।

ग्राहकों को होता है भारी नुकसान

बता दें 2020-21 में छोड़ी गईं पॉलिसियों की संख्या (69.78 लाख) से तीन गुना से अधिक हैं। जब लोगों को मुश्किल समय में अपने पैसे की सख्त जरूरत होती है, तब पॉलिसी बंद करने के अधिकांश मामलों में पॉलिसी लेने वाले ग्राहकों को वो रकम मिल पाती है, जो भुगतान किए गए प्रीमियम से भी कम होती है। ऐसे में ग्राहकों को भारी नुकसान होता है।

पॉलिसी से मिलने वाले रिटर्न पर पड़ता है असर

बता दें अगर आप समय से पहले पॉलिसी छोड़ते हैं तो सबसे बड़ा असर आपको पॉलिसी से मिलने वाले रिटर्न पर पड़ता है, क्योंकि मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम सरेंडर वैल्यू से काफी कम होती है। इस मामले में वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि मनी-बैक, एंडोमेंट और पूरे जीवन की योजनाओं के मामले में पॉलिसी धारक सरेंडर करने पर भुगतान किए गए प्रीमियम का लगभग 50 प्रतिशत खो सकता है, परंतु इस बात का कोई भी सही और सटीक जवाब नहीं है कि पॉलिसी सरेंडर करने के दौरान मिलने वाली रकम क्या हो सकती है। इसमें यह देखना पड़ता है कि पॉलिसी किस प्रकार की है। इसके अलावा यह भुगतान किए गए प्रीमियम के सालों और पॉलिसी की अवधि पर भी यह तय करता है।

सरेंडर वैल्यू की जांच

एएम यूनिकॉर्न प्रोफेशनल के संस्थापक सूर्य भाटिया का कहना है कि अक्सर लोग सरेंडर वैल्यू की जांच नहीं करते हैं और यह मान लेते हैं कि पॉलिसी का वर्तमान मूल्य वही है, जो उन्हें सरेंडर करने पर मिलेगा। हालांकि बाद में ही उन्हें पता चलता है कि जो राशि उन्हें मिली है, वो वर्तमान मूल्य से काफी कम है। इसलिए सरेंडर करने का फैसला लेने से पहले सरेंडर मूल्य का पता लगा लेना चाहिए।

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