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स्वास्थ्य

कड़ाके की ठंड हो सकती है जानलेवा, सतर्क रहकर रखें अपना ख्याल !

Janjwar Desk
31 Dec 2025 1:10 PM IST
कड़ाके की ठंड हो सकती है जानलेवा, सतर्क रहकर रखें अपना ख्याल !
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कड़ाके की ठंड के चलते कोल्ड डायरिया, पेट दर्द, उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। इसके अलावा शुगर, हाई बीपी, हृदय रोग, सांस की बीमारी, हड्डी रोग, नेत्र रोग, मस्तिष्क रोग, बाल रोग और महिला रोगों के मरीज भी ओपीडी में पहुंच रहे हैं...

कड़ाके की ठंड में कैसे रखें अपना ख्याल बता रहे हैं जनस्वास्थ्य चिकित्सक डॉ. एके अरुण

देश में शीतलहर के कारण स्ट्रोक, कोल्ड डायरिया, हार्ट और सांस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।शीतलहर के चलते लकवा जैसे गंभीर मामले भी सामने आने लगे हैं। देश भर के मेडिकल कॉलेजों में लकवा के मरीजों को गंभीर हालत में देखा जा रहा है।

ठंड से बढ़ा स्ट्रोक (Paralysis) का खतरा

कड़ाके की ठंड के कारण खून गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है, जिससे रक्त नलिकाओं में थक्के (ब्लड क्लॉट) जमने का खतरा बढ़ जाता है। यही थक्का मस्तिष्क तक पहुंचकर स्ट्रोक या लकवा का कारण बन सकता है।ठंड में धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है और हृदय पर दबाव बढ़ जाता है। इसके कारण अचानक शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी, सुन्नपन, बोलने या समझने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है।

कोल्ड डायरिया और पेट दर्द के मरीज भी बढ़े

कड़ाके की ठंड के चलते कोल्ड डायरिया, पेट दर्द, उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। इसके अलावा शुगर, हाई बीपी, हृदय रोग, सांस की बीमारी, हड्डी रोग, नेत्र रोग, मस्तिष्क रोग, बाल रोग और महिला रोगों के मरीज भी ओपीडी में पहुंच रहे हैं।

ठंड में बरतें ये सावधानियां

आम लोगों से अपील है कि ठंड में विशेष सावधानी बरतें—

—सुबह-शाम ठंडी हवा से बचें।

—बुजुर्ग और बीपी-शुगर के मरीज नियमित दवा लें।

—शरीर को पूरी तरह ढंककर रखें।

—ठंडा पानी और बासी भोजन से बचें।

—अचानक कमजोरी, बोलने में परेशानी या हाथ-पैर सुन्न होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचें।

ठंड से बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है। लापरवाही भारी पड़ सकती है। किसी भी लक्षण को हल्के में न लें और सावधानी बरतें। किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या अस्पताल पहुंचें। (हील इनिशिएटिव)

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