Begin typing your search above and press return to search.
स्वास्थ्य

अब भारतीय कफ सिरप पीने से उज्‍बेकिस्‍तान में 18 बच्चों की मौत, गांबिया भी लगा चुका है 66 बच्चों की मौत का आरोप

Janjwar Desk
29 Dec 2022 9:50 AM IST
अब भारतीय कफ सिरप पीने से उज्‍बेकिस्‍तान में 18 बच्चों की मौत, गांबिया भी लगा चुका है 66 बच्चों की मौत का आरोप
x

अब भारतीय कफ सिरप पीने से उज्‍बेकिस्‍तान में 18 बच्चों की मौत, गांबिया भी लगा चुका है 66 बच्चों की मौत का आरोप 

उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि भारत की कंपनी मैरियन बायोटेक के डॉक 1 मैक्स सिरप पीने से उसके देश के 18 बच्चे मौत के मुंह में समा गये हैं, मैरियन बायोटेक नोएडा में स्थित है...

Marion Biotech cough syrup Doc-1 Max : पिछले दिनों गांबिया सरकार ने भारत पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि यहां बने कफ सिरप पीने से उसके देश के 66 मासूमों की मौत हो गयी थी और अब ऐसा ही आरोप उज्बेकिस्तान ने लगाया है। आरोप है कि भारतीय कफ सिरप पीने से 18 बच्‍चों की मौत हो गयी है।

उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 28 दिसंबर को दावा किया है कि भारत की कंपनी मैरियन बायोटेक के डॉक 1 मैक्स सिरप पीने से उसके देश के 18 बच्चे मौत के मुंह में समा गये हैं। मैरियन बायोटेक नोएडा में स्थित है।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक बच्चों की मौतें उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर में हुई हैं। उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारतीय कंपनी मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड को 2012 में उज्बेकिस्तान में रजिस्टर्ड किया गया था। उसी साल से मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने दवाओं की बिक्री भी शुरू कर दी थी।

उज्बेकिस्तान के लोकल मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लैब टेस्‍ट्स के दौरान सिरप में एथिलीन ग्‍लाइकॉल नाम का केमिकल मिला है और इसी केमिकल की वजह से एक और भारतीय कंपनी- हरियाणा की मेडन फार्मा जांच के दायरे में है, क्योंकि अक्टूबर में अफ्रीकी देश गांबिया ने आरोप लगाया था कि मेडन फार्मा के बनाए कफ सिरप से उनके यहां 66 बच्चों की मौत हो गयी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कड़ा कदम उठाने को कहा था। बाद में मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था, मगर बाद में मेडन फार्मा द्वारा बनाये गये कफ सिरप को सरकार की ओर से क्लीनचिट दे दी गई थी।

डॉक्टरों की राय में डाईएथिलीन ग्‍लाइकॉल और एथिलीन ग्‍लाइकॉल मीठे होते हैं, मगर यह बेहद जहरीले रंगहीन गाढ़े लिक्विड का मेल है। अक्‍सर ये ग्लिसरीन में दूषित पदार्थों की तरह मिलते हैं। ग्लिसरीन को कई सिरप तैयार करने में स्‍वीटनर की तरह इस्‍तेमाल किया जाता है।

गौरतलब है कि गांबिया में बड़े पैमाने पर कफ सिरप इस्तेमाल करने से हुई मौतों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुरुआत में भारत में बनने वाली चार कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) डॉ.वी.जी. सोमानी ने WHO को पत्र लिखकर कहा था कि WHO ने गांबिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित चार कफ सिरप से अपरिपक्व रूप से जोड़ दिया, जिसने दुनियाभर में भारत के दवा उत्पादों की छवि पर बुरा प्रभाव डाला है, जबकि इन चारों कफ सिरप के नमूने सरकारी लैब में जांचे गए और नियमों के अनुरूप पाए गए।'

Next Story

विविध