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जनज्वार विशेष

'दलित होने के कारण RSS-ABVP ने बनाया मुझे अपनी साजिश का शिकार', नवरात्र पोस्ट पर विवादों में आये काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर मिथिलेश गौतम का दावा

Janjwar Desk
3 Oct 2022 1:43 PM IST
दलित होने के कारण RSS-ABVP ने बनाया मुझे अपनी साजिश का शिकार, नवरात्र पोस्ट पर विवादों में आये काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर मिथिलेश गौतम का दावा
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विश्वविद्यालय प्रबंधन जिन पर पूरी जिम्मेदारी है सुरक्षा व्यवस्था की, वे मुंह बाये खड़े रहे, जिन छात्रों ने यह हरकत है उन्होंने प्रोफेसर सुशील चंद्र गौतम क़ो भी मारा है, यह 2 साल पहले की बात है, अभी पिछले साल प्रोफेसर के एस जायसवाल क़ो कॉलर पकडकर मारा गया था, लेकिन कॉलेज प्रशाशन ने कुछ नहीं किया...

वाराणसी के महात्मा गांधी विद्यापीठ के गेस्ट लेक्चर मिथिलेश कुमार गौतम को मां दुर्गा पर की गयी एक टिप्पणी को आधार मानकर पद से हटा दिया गया है। साथ ही विश्वविद्यालय में प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी गई है। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा था, ''नौ दिन के नवरात्र व्रत से अच्छा है कि महिलाएं नौ दिन भारतीय संविधान और हिंदू कोड बिल पढ़ लें, उनका जीवन गुलामी और भय से मुक्त हो जाएगा। जय भीम।'

बता दें कि गेस्ट लेक्चरर मिथिलेश गौतम विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस विभाग से जुड़े हैं। मिथिलेश गौतम ने आखिर अपनी पोस्ट में ऐसा क्या लिखा था कि उसे आपत्तिजनक मान लिया गया

जनज्वार के संपादक अजय प्रकाश ने मिथिलेश कुमार गौतम से तमाम मुद्दों पर बातचीत की

हम संक्षेप में जानना चाहेंगे आपने क्या टिप्पणी की थी?

ये जो घटना है वह बीती 28 सितंबर की है। उस दिन मैंने एक पोस्ट डाली थी, दो लाइनों की। जिसमें लिखा था कि 'भारतीय महिलाओं क़ो नवरात्र के 9 दिन व्रत की जगह भारतीय संविधान पढ़ाया जाये' जिससे वे अपनी दास्ता और गुलामी से मुक्त हो सकें। अब इस पोस्ट क़ो कुछ तथाकथित मानसिकता वाले लोगों ने देखा तो पने ब्लॉग पर मुझे गाली गलौज लिखना शुरू किया। इसके बाद ये सिलसिला बढ़ता चल पड़ा।

इन तमाम बातों पर मैंने आज तक किसी क़ो रिप्लाई नहीं दिया। इन्हीं लोगों में से एक लड़का है गणेश राज, जिसने बोला सुबह कैंपस आइये। ज़ब मैं सुबह पहुंचा तो महिषासुर क़ो राजा की तरह दिखाकर, एक फोटो एडिट करके मेरे नाम से छपवाकर मुझे जान से मारने की कोशिश की गयी। इसके बाद इन लड़कों ने बवाल करते हुए वीसी से मेरी शिकायत की और वीसी ने बिना किसी तथ्यात्मक बात के मुझे निलंबित कर दिया। इन लोगों ने महिषासुर की फोटो गलत ढंग से बनवाकर उसका आरोप मेरे ऊपर लगाया कि उसे मैंने पोस्ट किया है। यह पूरी तरह तथ्यों से परे बात है।

आपने लिखा भारतीय महिलाओं क़ो व्रत की जगह भारतीय संविधान पढना चाहिए, उसके पीछे आपकी मंशा क्या थी?

जहां तक मैंने संविधान पढ़ा है और समझा है, उससे लगा कि महिलाओं के अंदर ये भावना जगे कि उन्हें भी समाज में बराबरी का दर्जा मिले। संविधान पढ़ने से महिलाओं को उनके अधिकारों की सही जानकारी मिलेगी। मेरे साथ कई महिलायें जुड़ी हैं, लोग जुड़े हैं, मेरी मंशा थी कि उन्हें जागृत किया जाये। इन्हें पुरुष सत्तात्मक समाज की गुलामी से छुटकारा मिल सके। इसके अलावा मेरी कोई और गलत मंशा नहीं थी।

28 सितंबर के बाद ज़ब 29 सितंबर क़ो आपको कॉलेज में बुलाया गया, आपके सामने हुड़दंग हुआ, उस दौरान विश्वविद्यालय प्रबंधन का क्या रोल था, ख़ासकर तब ज़ब आप एक दलित शिक्षक है?

मुझे लगता है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन जिन पर पूरी जिम्मेदारी है सुरक्षा व्यवस्था की, वे मुंह बाये खड़े रहे। जिन छात्रों ने यह हरकत है उन्होंने प्रोफेसर सुशील चंद्र गौतम क़ो भी मारा है। यह 2 साल पहले की बात है। अभी पिछले साल प्रोफेसर के एस जायसवाल क़ो कॉलर पकडकर मारा गया था, लेकिन कॉलेज प्रशाशन ने कुछ नहीं किया। जिस लड़के ने यह सब किया वही लड़का कॉलेज प्रेसीडेंट का चुनाव लड़ता है। इसी लड़के ने सबसे पहले मेरी पोस्ट पर गाली-गलौज शुरू की और पूरे बवाल में इसी का हाथ है, लेकिन प्रबंधन कार्रवाई की जगह उसका पक्ष लेता आया है।

यह जिस विद्यार्थी की आप बात कर रहे हैं, वह किसी संगठन से जुड़ा है अथवा नॉर्मल छात्र नेता है?

यह छात्र अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ा हुआ है। साथ ही वह आरएसएस के लिए भी कार्य करता है। इसके साथ ही कुछ कॉलेज प्रबंधन के सवर्ण मानसिकता के लोगों जिनमें स्टॉफ शामिल है, का उसे पूरा सपोर्ट मिलता है। लड़का वहीं से सीखता है कि कहां कैसे प्लानिंग करनी है। वर्तमान समय में काशी विद्यापीठ का यही हाल है। ज़ब से आरक्षण का पालन होने लगा है तब से खलबली और बढ़ गई है। इस मानसिकता के लोग आज भी नहीं चाहते कि दलित बराबरी पर बैठें।

क्या इसके बाद कोई कागजी कार्रवाई अथवा किसी से पत्राचार किया गया है?

मैं संविधान क़ो जानता हूं—मानता हूं तो संवैधानिक आदमी हूं। अब वाईस चांसलर ने मुझे निलंबित किया है और प्रतिबंध लगा दिया है। अब मैं कैंपस तो जा नहीं सकता हूं, ज़ब वे बुलाएंगे तो हाजिरी दूंगा। दूसरी बात मैंने चांसलर क़ो अपना पक्ष में लिखकर दे दी है। मुझे लगातार धमकियां मिल रही हैं। फेसबुक पर भी धमकियां मिल रही हैं। पुलिस पर मुझे अरेस्ट करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। अपनी सुरक्षा के लिहाज से मैंने एक शिकायत थाने में दे दी है। कल क़ो मेरे साथ कोई भी हादसा हो सकता है। इसके अलावा मैंने एक मेल जाति आयोग क़ो भी भेज दिया है, ताकि मेरे साथ कोई अनहोनी न हो।

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