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जनज्वार विशेष

गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने ही गुरु को किया था गोलियों से छलनी, कोर्ट के बाहर लगती थी कचहरी

Janjwar Desk
5 July 2020 4:40 PM GMT
गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने ही गुरु को किया था गोलियों से छलनी, कोर्ट के बाहर लगती थी कचहरी
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साफ-सुथरी छवि वाले सिद्धेश्वर पांडेय को जरा भी अंदाजा नहीं था कि एक दिन उनका ही पढ़ाया छात्र उनकी हत्या कर देगा। कई गोलियां छाती पर मारने के बाद विकास ने उनके बेटों को भी धमकाया, मामले की पैरवी करने पर जान से मारने की धमकी भी दी....

मनीष दुबे की रिपोर्ट

कानपुर। विकास दुबे उर्फ पंडीजी आज ये नाम उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ से भी ज्यादा चर्चा में बना हुआ है। विकास की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा कानपुर के शिवली के ताराचंद इंटर कॉलेज में हुई थी। कक्षा आठ तक पढा विकास 17 साल की उम्र में ही क्राइम की दुनिया में उतर गया था। उसने पहला मर्डर अपने ही गांव के सोनेलाल को गोली मारकर किया था। बाद के दिनों में विकास ने एक जमीन के लिए अपने ही गुरु को मौत के घाट उतार दिया था।

साल 2000 तारीख 11 नवम्बर को विकास ने अपने गुरु सिद्धेश्वर पांडेय को सीने पर कई गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया था। पांडेय परिवार ने विकास के आतंक को बेहद करीब से महसूस किया है। शिवली के ताराचंद्र इंटर कॉलेज के बगल के पड़ा खाली प्लाट स्कूल मास्टर की हत्या का कारण बना। सिद्धेश्वर का परिवार पिछले 20 सालों से विकास की धमकियों और दहशत को झेल रहा है। पांडेय इस प्लाट में डिग्री कॉलेज बनवाना चाहते थे तो विकास इसपर कब्जा करना चाहता था।

साफ सुथरी छवि वाले सिद्धेश्वर पांडेय को जरा भी अंदाजा नहीं था कि एक दिन उनका ही पढ़ाया छात्र उनकी हत्या कर देगा। कई गोलियां छाती पर मारने के बाद विकास ने उनके बेटों को भी धमकाया, मामले की पैरवी करने पर जान से मारने की धमकी भी दी। बावजूद इसके बेटों ने हिम्मत नहीं हारी।

सिद्धेश्वर पांडेय के बड़े बेटे राजेन्द्र कहते हैं वह पिछले 20 सालों से विकास की धमकियों को झेलते आ रहे हैं, पर उससे मिली हर धमकी के बाद पिता का चेहरा आंखों के आगे घूम जाता था। दोनों भाई कानून को अपने हाथों में नहीं ले सकते और ना ही विकास से लड़ सकते थे। दोनों भाई जब धमकियों से नहीं डरे तो विकास ने उन्हें 30 लाख की रकम देने की पेशगी रखी, लेकिन उसकी रकम पर दोनों भाइयों ने थूक दिया। इस मामले के फैसले में विकास को उम्रकैद की सजा हुई। राजेन्द्र कहते हैं कि पिता की हत्या और मामले की पैरवी में उन्होंने 14 वर्ष जो झेला है, उसे याद कर वो सारी रात सो नहीं पाते। विकास हर किसी को खरीद सकने की छमता रखता है।

बहुत कम लोगों को यह बात पता है कि शिवली के ताराचंद्र इंटर कॉलेज के सामने भी विकास का घर है। कुछ साल पहले तक यहां विकास का छोटा भाई दीपू रहता था, अब वह लखनऊ में रहने लगा है। वह जब तब यहां बनी दुकानों से किराया वसूलने आता है। इसके अलावा ताराचंद्र इंटर कॉलेज की खाली जमीन पर अभी भी विकास के गुर्गों का कब्जा है। यहां के दुकानदार विकास के गुर्गों को खुद जाकर हफ्ता देते हैं।

कोर्ट के सामने सजती थी विकास की कचहरी

2001 में संतोष शुक्ला हत्याकांड को अंजाम देने के बाद विकास 5 साल तक कानपुर देहात की कोर्ट में पेशी के लिए आता-जाता रहा। विकास की रंगबाजी के उन दिनों को याद करते हुए अधिवक्ता शिवकांत कहते हैं, 'संतोष शुक्ला हत्याकांड के समय ककवन में दो पाल बंधुओं की भी हत्या हुई थी। वे पाल बंधुओं की हत्या मामले के वकील थे और कोर्ट जाते थे। वहां उन्होंने विकास के जलवों को अपनी आंखों से देखा था। कोर्ट परिसर के बाहर ही उसकी खुद की कचहरी सजा करती थी। किसी मिनिस्टर से मुलाकात करने जैसी लाइन लगती थी उसके आगे।

शिवकांत कहते हैं, उसके रुतबे को देखकर पुलिस भी उससे अपराधी जैसा व्यवहार करने से घबराती थी। कोर्ट के बाहर उसके गुर्गों की फौज देखकर मामले के गवाहों की हालत पतली हो जाती थी। संतोष शुक्ला हत्याकांड की पैरवी इतनी लचर थी कि मामला कोर्ट में कहीं ठहरा ही नहीं और विकास बरी हो गया। न गोलियों का मिलान हुआ और ना ही असलहे का। एक एक कर सभी गवाह पलटते गए। विकास के बरी होने के बाद इसका दावा हाईकोर्ट में भी किया जा सकता था, पर किया नहीं गया।

विकास से डरते हैं ग्रामीण

बिकरु गांव में विकास का आतंक इस कदर है कि कोई भी व्यक्ति उसके खिलाफ मुंह नहीं खोल सकता। कहा जाता है इस गांव की हर पांच की भीड़ में दो आदमी विकास के होते हैं, जो उसके लिए जान दे और ले सकते हैं। विकास पर 71 मुकदमे हैं। गांव के एक शख्स का कहना है कि उसे पुलिस पर भरोसा नहीं। दो चार दिन रहने के बाद पुलिस चली जायेगी। कुछ भी बोला तो विकास या उसके आदमी उन्हें जान से मार देंगे। उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा।

कुल मिलाकर विकास की दहशत अधिक है और पुलिस पर लोगों का भरोसा नहीं है। बिकरु कांड के बाद तो यहां के लोगों का पुलिस पर भरोसा लगभग लगभग खतम हो चुका है। और इस सबकी दोषी कोई और नहीं बल्कि खुद पुलिस ही है।

बेहद शातिर है विकास

टॉप मोस्ट वांटेड विकास दुबे बहुत ही शातिर अपराधी है, यदि उसके अपराधिक इतिहास पर नजर डाली जाए तो उसने हर अपराध करने के बाद सबसे पहला काम सुबूत मिटाने का किया है। विकास उस रात की डीवीआर अपने साथ लेकर फरार हुआ है। पुलिस विकास की तलाश के साथ ही उस डीवीआर को भी तलाश रही है, जिसमें उस रात की पूरी कहानी कैद है।

घर के खंडहर होने से पहले विकास ने घर की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा था। दो बीघे जमीन पर बने आलीशान घर को चारों तरफ से सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया था। पूरे मकान के चारों तरफ लगभग 12 फिट ऊंची चारदीवारी थी। घर के मुख्य दरवाजे पर दो सीसीटीवी कैमरे लगे थे, इसी तरह से घर के चारों तरफ भी कैमरे लगाए गए थे। जिसकी डीवीआर विकास फरार होने से पहले निकाल ले गया।

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