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जनज्वार विशेष

लक्षद्वीप को मालदीव बनाने का ख़्वाब वाराणसी को क्योटो बनाने जैसा, 93 पूर्व नौकरशाह विरोध में आये सामने

Janjwar Desk
8 Jun 2021 12:14 PM IST
लक्षद्वीप को मालदीव बनाने का ख़्वाब वाराणसी को क्योटो बनाने जैसा, 93 पूर्व नौकरशाह विरोध में आये सामने
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लगातार जतायी जा रही हैं लक्षद्वीप के दूसरा कश्मीर बनने की आशंका, विरोध-प्रदर्शन जारी

BJP के नेताओं की तरफ से बयान तो स्वदेशी का आता है, पर उनकी जुबान पर हमेशा विदेश ही चढ़ा होता है, लक्षद्वीप को मालदीव बनाने का ख़्वाब वैसा ही है, जैसे वाराणसी को क्योटो बनाने का या फिर सड़कों को पेरिस जैसे बनाने का....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

जनज्वार। देश के 93 पूर्व नौकरशाहों ने कोंस्टीच्युशनल कंडक्ट ग्रुप के तहत लक्षद्वीप की हालत के सम्बन्ध में चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखा है, और साथ ही एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को शीघ्र ही हटाने की मांग की है। इससे पहले ऐसी मांग अनेक राजनेता और लक्षद्वीप से सांसद मुहम्मद फैजल भी कर चुके हैं, पर सरकार अपने चरित्र के अनुसार हरेक ऐसी मांग को ठंडे बस्ते में डालती जा रही है।

लक्षद्वीप एक ऐसा उदाहरण है जिससे बीजेपी के कोविड 19 के विस्तार में भूमिका और मुस्लिमों के प्रति द्वेष को आसानी से समझा जा सकता है। एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल की एक ही विशेषता है, वे प्रधानमंत्री मोदी के करीबी हैं। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उनके मंत्रिमंडल में गृहमंत्री अमित शाह को जब तड़ीपार घोषित किया गया, उस दौरान वर्ष 2010 से 2012 तक पटेल गुजरात के गृहमंत्री पद पर आसीन रहे।

जाहिर है वे कट्टर हिंदूवादी, छद्म राष्ट्रवादी, पूंजीपतियों से लगाव, निरंकुशता और मुस्लिमों से घृणा वाली विचारधारा के नेता हैं। यह भी सर्वविदित है कि हमारे प्रधानमंत्री को ऐसे ही लोग पसंद भी हैं। दिसम्बर 2020 में पटेल को केंद्र सरकार ने अपना दमनकारी एजेंडा लागू करने के लिए 94 प्रतिशत मुस्लिम बहुलता वाले लक्षद्वीप का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर दिया।

पटेल पहली बार लक्षद्वीप चार्टर्ड प्लेन से 2 दिसम्बर 2020 को पहुंचे और उसी दिन से उन्होंने बीजेपी का एजेंडा लागू करना शुरू कर दिया। हवाई अड्डे से राजभवन जाते हुए, उन्हें किसी खाली जमीन पर नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में एक पुराना बैनर लटकता दिखा, फिर उन्होंने गाडी रोककर उस जमीन के मालिकों को बुलाया और पुलिस के हवाले कर दिया।

लक्षद्वीप में कोविड 19 के विस्तार में पटेल की स्पष्ट भूमिका है। 2 दिसम्बर तक देश में कोविड 19 के लगभग एक करोड़ मामलों के बाद भी लक्षद्वीप में इसका एक भी मामला सामने नहीं आया था। वहां किसी बाहरी के जाने पर कोरेंटाइन के सख्त नियम थे और लोगों का मास्क पहनना अनिवार्य था। पटेल ने कभी स्वयं मास्क नहीं पहना और कोविड 19 से बचाव के सभी नियमों को हटा दिया। इसके विरुद्ध जब स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया तब पटेल के इशारे पर 22 लोगों को पुलिस ने तमाम आरोप लगाकर हिरासत में बंद कर दिया।

जाहिर है, इन सारे कदमों के बाद लक्षद्वीप के सभी 36 द्वीपों तक कोविड 19 पहुँच गया। इस समय वहां कोविड 19 के लगभग 9 हजार एक्टिव केस हैं, यानी लगभग 12 प्रतिशत आबादी संक्रमित है और लगभग 40 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। कोविड के दौर में बीजेपी का यह रवैय्या पूरे देशभर में देखा गया, हरेक चुनाव में देखा गया और इसे फैलाने में प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक सक्रिय रहे।

पटेल में मुस्लिम बहुल केंद्रशासित प्रदेश में पशुओं की रक्षा के नाम पर बीफ पर रोक लगा दी। दूसरी तरफ वहां शराब की दुकानों का जाल बिछा दिया, जबकि लक्षद्वीप में पिछले चार दशकों से शराब पर पूर्ण प्रतिबन्ध था। पटेल ने एक आदेश के तहत ग्राम पंचायतों में उन व्यक्तियों को चुनाव में खड़ा होने से प्रतिबंधित कर दिया, जिनके 2 से अधिक बच्चे हैं। पटेल ने एक अन्य आदेश के तहत सभी स्थानीय डेयरी को बंद करा दिया और उनका सारा काम गुजरात के अमूल को दे दिया। अब पटेल लक्षद्वीप में पर्यटन का वैसा विकास करने का ख़्वाब देख रहे हैं, जैसा मालदीव में है।

बीजेपी के नेताओं की तरफ से बयान तो स्वदेशी का आता है, पर उनकी जुबान पर हमेशा विदेश ही चढ़ा होता है। लक्षद्वीप को मालदीव बनाने का ख़्वाब वैसा ही है, जैसे वाराणसी को क्योटो बनाने का या फिर सड़कों को पेरिस जैसे बनाने का। बीजेपी से जुड़े सभी नेताओं की खासियत यह है कि जो वो कहते हैं, उसके ठीक उल्टा करते हैं।

प्रधानमंत्री जी पर्यावरण संरक्षण पर खूब भाषण देते हैं, हमारे परंपरा की याद करते हैं, पर तथ्य यह है की मोदी जी के कार्यकाल में केवल सामाजिक ताना बाना छिन्न-भिन्न हुआ है, अर्थव्यवस्था पाताल लोक में पहुँची है, बेरोजगारी चरम पर है – ऐसा नहीं है, बल्कि पर्यावरण भी पूरी तरह से बर्बाद है। एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल जिस मालदीव जैसा लक्षद्वीप को बनाना चाहते हैं, वह देश दुनिया में पर्यावरण विनाश के कारण चर्चित है।

मालदीव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय मछुआरों को सागर तट से हटा दिया गया, किनारे के सारे वनस्पति काट दिए गए, और कोरल रीफ जैसे पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर दिया गया। इन सबके कारण मालदीव जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देशों में एक बन गया है। पटेल इसी मॉडल को लागू कर रहे हैं।

स्थानीय मछुआरों को सागर तट से हटा दिया गया है, और बड़े भव्य टूरिस्ट रिसोर्ट को बनाने की तैयारी चल रही है। जाहिर है, कुछ ही महीनों में लक्षद्वीप के दुर्लभ कोरल रीफ हमेशा के लिए नष्ट हो जायेंगें, सागर तटों पर बड़े कंस्ट्रक्शन होने लगेंगें और इन तटों से स्थानीय लोगों को बेदखल कर पूंजीवादियों का कब्ज़ा हो जाएगा। केवल सागर तट ही नहीं, बल्कि नई सड़कों को बनाने के लिए और पुरानी सड़कों को चौड़ा करने के लिए पटेल के इशारे पर हजारों की संख्या में पेड़ अवैध तरीके से काटे जा रहे हैं।

पटेल ने अनेक नए कानूनों का ड्राफ्ट केंद्र के गृह मंत्रालय के पास स्वीकृति के लिए भेजा है और यदि ये स्वीकृत हो गए, जिसकी पूरी संभावना है, तो फिर लक्षद्वीप दूसरा कश्मीर बन जाएगा। जिस तरह कश्मीर की स्थानीय जनता हमेशा संगीनों के साए में रहती है और हरेक स्थानीय कारोबार चौपट हो चुका है – पर सरकार इसे अपनी सफलता मानती है, ऐसी ही हालत लक्षद्वीप की करने की तैयारी है।

लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन के तहत विकास परियोजनाओं के नाम पर किसी भी स्थानीय व्यक्ति की जमीन बिना कारण बताये सरकार अधिग्रहित कर सकती है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस क़ानून के बाद स्थानीय लोगों की जमीन सीधा पूंजीपतियों के हाथ में पहुँच जायेगी, और स्थानीय लोगों को विरोध का कोई अधिकार नहीं होगा।

लक्षद्वीप प्रिवेंशन ऑफ़ एंटी-सोशल एक्टिविटीज रेगुलेशन के अनुसार पुलिस किसी को भी बिना आरोप लगाए कम से कम एक वर्ष के लिए जेल में बंद कर सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है की यहाँ अपराध की संख्या नगण्य है, जाहिर है इस क़ानून का उपयोग सरकार के विरोध की आवाजों को बंद करने के लिए किया जाएगा। बीजेपी जहां पहुँचती है वहां अपराध अपने साथ ही ले जाती है, हाल में ही अचानक वहां नशीले पदार्थों के और हथियारों के जखीरे बरामद होने लगे हैं। यह इस सरकार की बहुत पुरानी चाल है, जिसे अब लक्षद्वीप में आजमाया जा रहा है।

देश के 93 पूर्व नौकरशाहों ने हरेक मुद्दे का विस्तार से विश्लेषण किया है, पर जाहिर है सरकार नहीं सुनेगी क्योंकि यह सब सरकारी साजिश के तहत ही किया जा रहा है। यह सब मोदी जी के न्यू इंडिया की पहचान है। लक्षद्वीप के पंचायतों के अध्यक्ष हसन बोदुमुखा के अनुसार स्थानीय आबादी डरी हुई है, और इस आबादी को एक ऐसा विकास नजर आ रहा है, जिससे वे अपने अधिकारों से और अपनी संपत्ति से बेदखल हो जायेंगे। हसन बोदुमुखा कहते हैं कि विकार का कोई विरोध नहीं करते पर ऐसा विकास नहीं होना चाहिए जिससे पर्यावरण, लोग, लोगों की पहचान और आस्था का विनाश होने लगे।

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