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जनज्वार विशेष

टोक्यो ओलंपिक: कम लोकप्रिय खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने परचम लहराया तो कई बड़े खिलाड़ी उम्मीदों की बोझ तले दब गए

Janjwar Desk
8 Aug 2021 4:23 AM GMT
टोक्यो ओलंपिक: कम लोकप्रिय खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने परचम लहराया तो कई बड़े खिलाड़ी उम्मीदों की बोझ तले दब गए
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(टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अपना अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है)

इससे पहले किसी एक ओलंपिक में भारत का सबसे बढ़िया प्रदर्शन कुल छह मेडल जीतने का था, लंदन ओलंपिक में भारत ने छह पदक जीते थे..

राजेश पाण्डेय का विश्लेषण

जनज्वार। टोक्यो में भारत ने अपने ओलंपिक इतिहास का अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। जेवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही टोक्यो ओलंपिक में भारत ने कुल मिलाकर सातवां पदक अपने नाम किया, जो देश का ओलंपिक में अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

इससे पहले किसी एक ओलंपिक में भारत का सबसे बढ़िया प्रदर्शन कुल छह मेडल जीतने का था। इससे पहले लंदन ओलंपिक में भारत ने छह पदक जीते थे, जो देश का अभी तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में अबतक भारत ने एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है। टोक्यो ओलंपिक की शुरुआत में ही भारत को पहला मेडल वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू ने दिलाया था। मणिपुर की इस खिलाड़ी ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। इसके बाद पीवी सिंधु ने बैडमिंटन तथा

लवलीना बोरगोहेन ने बॉक्सिंग में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। अपने पहले ओलंपिक अखाड़े में उतरे रेसलर रवि दहिया ने अपने प्रदर्शन से हर किसी का दिल जीतते हुए कुश्ती में सिल्वर मेडल पर कब्जा किया। वहीं, पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो में 41 साल के सूखे को खत्म करते हुए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। नीरज चोपड़ा के मैच से ठीक पहले भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने भी देश की झोली में एक कांस्य पदक डाला।

इस बार की खास बात भारत की हॉकी टीमों का प्रदर्शन भी रहा है। भारत की पुरुष और महिला, दोनों हॉकी टीमों ने लंबे अरसे बाद ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। पुरुष हॉकी टीम हालांकि गोल्ड पर निशाना लगाने से चूक गई लेकिन ब्रॉन्ज मेडल जीतकर टीम ने 41 सालों का सूखा खत्म कर दिया।

इससे पहले 1980 के मास्को ओलंपिक में हॉकी टीम पोडियम तक पहुंची थी, जहां उसने गोल्ड जीता था लेकिन मास्को ओलंपिक में कई मजबूत यूरोपियन टीमें प्रतियोगिता में शामिल नहीं हुईं थीं। इस बार पुरुष हॉकी टीम हालांकि सेमीफाइनल मुकाबले में मौजूदा चैंपियन अर्जेंटीना से कड़े संघर्ष में हार गई लेकिन प्लेऑफ मुकाबले में मजबूत जर्मन टीम को धूल चटाकर पोडियम तक पहुंची। महिला हॉकी टीम हालांकि ब्रॉन्ज जीतने से चूक गई लेकिन उसने संघर्ष का जो जज्बा दिखाया, उसे लंबे अरसे तक याद रखा जाएगा। टीम पहली बार ओलंपिक में चौथे स्थान पर रही।

इस बार कुछ ऐसे खेलों में भी देश के खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन कर सबको चकित कर दिया, जिन खेलों की देश में उतनी लोकप्रियता नहीं है। महिला गोल्फ में भारत की अदिति अशोक ने अपने दमदार प्रदर्शन से सबको चौंका दिया।

वे अंतिम राउंड के पहले तक दूसरे स्थान पर थीं और गोल्ड या सिल्वर जीतने की उम्मीद बन गई थी लेकिन खराब मौसम से प्रभावित चौथे दौर में तीन अंडर 68 का स्कोर कर वे चौथे स्थान पर रहीं और पोडियम तक का सफर तय नहीं कर सकीं। अदिति का कुल स्कोर 15 अंडर 269 रहा और वे दो स्ट्रोक्स से पदक जीतने से चूक गईं। ओलंपिक में ऐतिहासिक पदक के करीब पहुंची अदिति ने सुबह दूसरे नंबर से शुरुआत की थी, लेकिन वे बाद में पिछड़ गईं।

महिला तलवारबाजी में भी भारतीय खिलाड़ी ने जुझारू प्रदर्शन कर सबका ध्यान खींचा। हालांकि वे पदक नहीं जीत सकीं लेकिन ऊंची रैंकिंग वाली विपक्षी खिलाड़ियों को जो फाइट दी उसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई।

वहीं एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीत देश का 116 सालों का पदक का सूखा खत्म किया। इससे पहले किसी भारतीय ने कभी भी ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में पदक नहीं जीता था। 1900 में नॉर्मन प्रिटचार्ड ने एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीते थे। हालांकि, वे भारतीय नहीं, बल्कि भारत ने जन्मे अंग्रेज थे।

हालांकि कई ऐसी प्रतियोगिताओं में भारतीय खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके, जिनमें उनसे पदक की उम्मीद थी। शूटिंग और आर्चरी की प्रतियोगिताएं ऐसी रहीं, जिनमें अच्छी रैंकिंग के बावजूद खिलाड़ी देश की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके।

टोक्यो में बॉक्सिंग लीजेंड मैरीकॉम से देश को एक और स्वर्ण पदक की उम्मीद थी लेकिन वे इस बार पुराना प्रदर्शन दुहरा नहीं सकीं। टोक्यो से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।

टोक्यो ओलिंपिक में शूटिंग में भारत की ओर से 15 सदस्यीय मजबूत दल पहुंचा था और माना जा रहा था कि निशानेबाज मेडल पर निशाना लगाएंगे। देश को शूटिंग से मेडल लाने की काफी ज्यादा उम्मीदें थीं। ओलिंपिक खेलों के इतिहास में भारत ने अब तक सबसे ज्यादा व्यक्तिगत मेडल शूटिंग में ही हासिल किए हैं। पिछले चार में से तीन ओलिंपिक में भारत को इस खेल में मेडल हासिल हुआ था। शूटिंग में अबतक का सबसे बड़ा दल टोक्यो पहुंचा था।

2019 में वर्ल्ड कप में भारत का रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन रहा। भारत ने साल के चारों वर्ल्ड कप में मेडल जीते और ओलिंपिक कोटा भी हासिल किया। भारत ने इस साल वर्ल्ड कप में कुल 39 मेडल जीते थे। दिव्यांश पंवार, सौरभ चौधरी और इलावेनिल वालारिवान को आईएसएसएफ ने गोल्डन टार्गेट अवार्ड से सम्मानित किया था। लेकिन सबकुछ पक्ष में होने के बावजूद टोक्यो में निशानेबाजों ने निराश किया।

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