अंबानी को लूट की छूट और मनरेगा समेत मजदूरों को न्यूनतम संवैधानिक मजदूरी नहीं देना देश के करोड़ों मजदूरों पर बड़ा हमला
विशद कुमार की रिपोर्ट
Patna news : केंद्र की मोदी सरकार द्वारा मनरेगा में कई नयी तकनीक को जरूरी करने और मजदूरों का मजदूरी भुगतान समय पर नहीं करने की वजह से मनरेगा मजदूरों का मनरेगा से मोहभंग हो रहा है। वे मनरेगा के तहत होने वाली योजनाओं में काम के प्रति उदासीन हो रहे हैं और रोजगार के लिए अन्यत्र पलायन कर रहे हैं। इससे आने वाले दिनों में केंद्र सरकार को एक बहाना मिल सकता है कि मनरेगा योजना फेल हो रही है और सरकार इसे खत्म करने की दिशा में बढ़ सकती है। इन तमाम आशंकाओं के मद्देनजर देश के कई मजदूर व सामाजिक संगठन चिन्तित हैं और वे केंद्र सरकार की इस साजिश के खिलाफ आंदोलन की दिशा में बढ़ रहे है। इसी के तहत दिल्ली के जंतर-मंतर पर मनरेगा से जुड़े संगठन मनरेगा संघर्ष मोर्चा और मजदूरों द्वारा 100 दिनों का धरना दिया जा रहा है।
अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक बैठक की गयी और उसके बाद 30 मार्च को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा ने बताया कि मनरेगा संघर्ष मोर्चा द्वारा केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा की योजना को मारने की साजिशों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे 100 दिनों के धरना में खेग्रामस सक्रिय भागीदार है।
पत्रकार सम्मेलन में कहा गया कि संगठन ने इस आंदोलन को पूरे देश में फैलाने की योजना बनाई है और जिला मुख्यालयों पर कार्यक्रम होंगे। वहीं दिल्ली के धरना में मई में एक सप्ताह की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। संगठन ने नारा दिया है कि ‘न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी मनरेगा मजदूरों को मान्य नहीं है।’ अंबानी को लूट की छूट और मनरेगा व अन्य मजदूरों को न्यूनतम संवैधानिक मजदूरी नहीं देना देश के करोड़ों मजदूरों पर हमला है।
संगठन ने प्रवासी मजदूरों की मांगों को आगे बढ़ाने के लिए ऐक्टू से मिलकर एक राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफार्म बनाने का फैसला किया है। बैठक से राष्ट्रीय स्तर मनरेगा सेल और राज्यों में मनरेगा मजदूर सभा गठित करने का फैसला किया है। गांव के दलित.गरीबों के जीवन जीविका से जुड़े सवालों का चार्टर बनाकर प्रखंडों से राष्ट्रपति को भेजा जाएगा और 27 अप्रैल को पूरे देश के प्रखंडों पर प्रदर्शन होगा।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि हाउसिंग राइट को मौलिक अधिकार बनाने को लेकर पूरे देश में संगठन अभियान चला रहा है। गरीबों की बस्तियों पर चल रहे बुल्डोजर के खिलाफ प्रतिरोध संगठित किया जा रहा है। भाजपा के इस वायरस का असर बिहार पर भी है। बिहार में इस वायरस के खात्मे को लेकर हम संघर्षरत हैं। हमने बिहार सरकार से मांग की है कि तमाम अनधिकृत बस्तियों.टोलों और बसावट का मुकम्मल सर्वे हो और नया वास . आवास कानून बनाए। हम बिहार में भाजपा का बुल्डोजर राज का अवशेष नहीं चलने देंगे। सरकार सर्वे नहीं करेगी तो खेग्रामस सर्वे अभियान चलाएगा।
पत्रकारों से बात करते हुए विधायक सह राज्य सचिव गोपाल रविदास ने कहा कि गरीबों के बिजली अधिकार के प्रति सरकारें संवेदनशील नहीं है। गरीबों का बकाया बिजली बिल माफ हो और 200 यूनिट फ्री बिजली मिले। विधायक सह राज्य अध्यक्ष बीरेंद्र गुप्ता ने कहा कि 3000 रुपए मासिक पेंशन सरकार दे और दलित.गरीबों पर बढ़ते हमले पर रोक लगाए। तमाम वृद्धों-विकलांगों को न्यूनतम 3000 रुपए मासिक पेंशन दिया जाए।
दलित-गरीबों के आंदोलन को नया आयाम देने के लिए संगठन ने अगिआंव से युवा विधायक मनोज मंजिल को अपना राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नामित किया है। कार्यकारिणी की संगठन के राष्ट्रीय सम्मेलन के उपरांत यह पहली बैठक थी। इसमें 14 राष्ट्रीय उपाध्यक्षों और 10 राष्ट्रीय सचिवों का भी चुनाव किया गया।