Milk Price : सावधान! मुद्रास्फीति का रहा यही हाल तो दूध का दाम आम आदमी को करेगा बेहाल
Milk Price
Milk Price : रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध और लंबा चला तो सबसे ज्यादा नुकसान गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए कि मुख्य मुद्रास्फीति की वजह से डेयरी उत्पाद खासकर दूध की कीमतों में और ज्यादा उछाल तय है। फिर मोदी सरकार इसी तरह बाजार के भरोसे बैठी रही तो तो बहुत जल्द दूध का दाम आसमान छू सकता है। डेयरी क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि रूस यूक्रेन युद्ध की मार का सबसे ज्यादा नुकसान आम लोगों का होना तय है।
दूध की कीमतों को बढ़ने से रोकना मुश्किल
यानि वैश्विक घटनाक्रम एक तरफ आम लोगों की परेशानी को बढ़ाने वाला है तो दूसरी तरफ भारतीय डेयरी क्षेत्र के लिए यह स्थिति लाभ सौदा साबित हो रहा है। डेयरी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अमूल (Amul) के प्रबंधन निदेशक आरएस सोढ़ी का दावा है कि आगे जाकर बिजली, लॉजिस्टिक्स और पैकेजिंग लागत के बढ़ते दबाव के कारण दूध कीमतों ( Milk Price ) में बढ़ोतरी को रोकना मुमकिन नहीं होगा। उनका कहना है कि दूध की कीमतों में मजबूत बनी रहेंगी। मैं, यह नहीं कह सकता कि कितनी लेकिन इतना तय है कि जो कीमत है उससे घटने का सवाल नहीं है। हां, दूध की कीमत ऊपर जा सकती हैं।
बिजली, लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग सब कुछ हुआ महंगा
डेयरी उत्पाद कंपनी अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी का कहना है कि अमूल सहकारी कंपनी ने पिछले 2 साल में कीमतों में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इसमें मार्च में दूध की कीमतों में प्रति लीटर दो रुपए की वृद्धि भी शामिल है। इसके पीछे मुद्रास्फीति ( Key Inflation ) बड़ी चिंता का विषय है।
किसानों के लिए भी लाभ का सौदा
सोढ़ी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि डेयरी उद्योग में मुद्रास्फीति चिंता का कारण नहीं है। किसान को उपहले से ज्यादा कीमत मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बिजली की बढ़ी कीमतें कोल्ड स्टोरेज के खर्च को बढ़ाती हैं, जो लगभग एक-तिहाई से अधिक बढ़ गई हैं। लॉजिस्टिक्स लागत भी बढ़ी है और पैकेजिंग के मामले में भी ऐसा ही है। महामारी के दौरान दूध कीमतों में 1.20 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। किसानों की प्रति लीटर आय भी चार रुपए तक बढ़ी है।
डेयरी उत्पादों का निर्यात बढ़ा
रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन वैश्विक घटनाक्रम भारतीय डेयरी क्षेत्र के लिए अच्छे साबित हो रहे हैं। ऐसा इसलिए कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला टूटने से भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है। अकेले कोरोना महामारी से संबंधित व्यवधानों ने अमूल के निर्यात राजस्व को एक वर्ष में तीन गुना बढ़कर 1,400 करोड़ रुपए से अधिक करने में मदद की है। अब अमूल जैविक खाद्य व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए तैयार है।