भयावह : कोरोना काल में करोड़ों लोग हुए बेरोजगार तो मुकेश अंबानी बने 100 बिलियन डॉलर के मालिक
जनज्वार। कोरोना महामारी के इन डेढ़ सालों में लाखों लोगों ने अपनी जिंदगी से हाथ धो दिए। वहीं करोड़ों लोगों की नौकरी भी चली गई। पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहे लोगों के लिए यह खाई और गहरी हो गई। वहीं दूसरी ओर देश के चुनिंदा अमीर लोग और अमीर हो गए। इसी महामारी के बीच डीमार्ड के संस्थापक राधाकिशन दमानी भी हाल ही में दुनिया के सौ अमीरों की सूची मं शामिल हो गए हैं।
वहीं दूसरी ओर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चैयरमेन मुकेश अंबानी भी सौ बिलियन डॉलर की ओर तेजी से बढ़े हैं। मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति अब 92.6 बिनियन डॉल हो गई है। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक कुछ दिन पहले ही मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 3.7 बिलियन डॉलर इजाफा हुआ है।
इस इजाफे के साथ ही वह एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने। वहीं दुनियाभर के अमीर लोगों की सूची में उनका स्थान 12वां है। इस समय अंबानी दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे से सिर्फ दस बिलियन डॉलर ही पीछे रह गए हैं, बफे की कुल संपत्ति 102.6 बिलियन डॉलर है।
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर भाव 4.12 फीसदी की तेजी के साथ 2,388.25 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, मार्केट वैल्यू के हिसाब से सबसे बड़ी कंपनी का शेयर सेंसेक्स के शेयरों में सर्वाधिक लाभ में रहा। मार्केट कैपिटल का यह स्तर हासिल करने वाली रिलायंस देश की पहली कंपनी है।
मुकेश अंबानी ने हाल ही में सस्ती ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन शुरू करने की घोषणा भी की थी। इसके अलावा कंपनी की टेलीकॉम सब्सिडियरी जिओ का एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) भी बढ़ने की संभावना है। इससे जियो के वैल्यूएशन में बढ़ोतरी होगी। सऊदी अरामको के साथ रिलायंस की डील भी आगे बढ़ रही है। इससे कंपनी के शेयर प्राइस में तेजी आई है और यह अगले 9 से 12 महीनों तक जारी रह सकती है।
कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा नुकसान पहुंचा है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में एक करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। वहीं कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर अबतक करीब 97 फीसदी परिवारों की इनकम घट गई है।
द इकनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में पाया गया कि देश के अधिकांश क्षेत्रों में मजदूरी पिछले 15 वर्षों से सालाना 3% की मुद्रास्फीति-समायोजित दर से बढ़ रही है जबकि कामकाजी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी सातवें वेतन आयोग द्वारा अनुशंसित न्यूनतम वेतन से कम कमाता है।
'स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया' शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट में पाया गया कि 82% पुरुष और 92% महिला श्रमिक 10,000 रुपये प्रति माह से कम कमाते हैं।
सेंटर फॉर इंडियन इकॉनोमी (CMIE) के चीफ एग्जिक्यूटिव महेश व्यास ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि बेरोजगारी की दर 12 फीसदी तक पहुंच सकती है, जो कि 8 फीसदी पर थी। इस दौरान करीब एक करोड़ लोग बेरोजगार हुए, जिसका मुख्य कारण कोरोना की दूसरी लहर ही है।
महेश व्यास के मुताबिक, अब जब आर्थिक गतिविधियां खुल रही हैं तो कुछ ही दिक्कत कम होगी, पूरी नहीं। महेश व्यास ने बताया कि जिन लोगों की नौकरी गई है, उन्हें दोबारा रोजगार काफी मुश्किल से मिल रहा है। क्योंकि असंगठित क्षेत्र तो कुछ हदतक रिकवर कर रहा है, लेकिन जो संगठित क्षेत्र है या अच्छी क्वालिटी की नौकरी है, उस क्षेत्र में वापसी में अभी वक्त है।