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आजीविका

मोदी सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के बाद कुलियों के पेट पर मारी लात, लखनऊ में आयोजित अखिल भारतीय बैठक में सैकड़ों कुलियों ने लिया भाग

Janjwar Desk
17 Oct 2024 12:59 PM GMT
मोदी सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के बाद कुलियों के पेट पर मारी लात, लखनऊ में आयोजित अखिल भारतीय बैठक में सैकड़ों कुलियों ने लिया भाग
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मौजूदा मोदी सरकार कुलियों के काम पर लगातार हमला कर रही है, इस सरकार ने विकलांग, बीमार और वृद्ध के नाम पर स्टेशनों पर बैटरी रिक्शा चालू की थी, जिससे अब सामान्य यात्रियों को भी ढोया जा रहा है, हाल ही में रेलवे ने आउटसोर्सिंग कंपनी के जरिए ट्रॉली व्यवस्था शुरू कर दी है...

लखनऊ। आधुनिकरण और निजीकरण के कारण रेलवे में लगातार कुलियों का काम कम होता जा रहा है और उनके सामने अपनी आजीविका को चलाने का जबरदस्त संकट पैदा हो गया है। भारत का संविधान देश के हर नागरिक को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार देता है और सरकार की जिम्मेदारी इसे सुनिश्चित करने की है। ऐसे में रेलवे के अभिन्न अंग कुलियों के परिवार की जिंदगी को बचाने के लिए रेलवे में नौकरी देना सरकार की जिम्मेदारी है और उसे कुलियों को 2008 की तरह एक बार फिर रेलवे में समायोजित करना चाहिए। यह मांग आज लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर कुलियों की अखिल भारतीय बैठक में मजबूती से उठी। बैठक की अध्यक्षता राम सुरेश यादव, फतेह मोहम्मद, जलील अहमद, अरुण कुमार यादव के अध्यक्ष मंडल ने की और संचालन कलीम मकरानी ने किया।

बैठक में कुलियों की विभिन्न यूनियनों ने मिलकर राष्ट्रीय कुली मोर्चा का गठन किया है। बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर संचालित रोजगार अधिकार अभियान का समर्थन किया गया और 10 नवंबर को दिल्ली में आयोजित उसके सम्मेलन में भाग लेने का फैसला किया गया। इसके साथ ही 11 नवंबर से 14 नवंबर तक संसद के शीतकालीन सत्र में कुलियों के सवाल को उठवाने के लिए दिल्ली में सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों, सासंदों, गणमान्य नागरिकों, मजदूर और विभिन्न जन संगठनों के लोगों से मिला जायेगा। बैठक में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर के मौके पर दिल्ली में कुली संवाद कार्यक्रम करने का निर्णय भी लिया गया।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा सरकार कुलियों के काम पर लगातार हमला कर रही है। इस सरकार ने विकलांग, बीमार और वृद्ध के नाम पर स्टेशनों पर बैटरी रिक्शा चालू की थी, जिससे अब सामान्य यात्रियों को भी ढोया जा रहा है। हाल ही में रेलवे ने आउटसोर्सिंग कंपनी के जरिए ट्रॉली व्यवस्था शुरू कर दी है। इतना ही नहीं रेल के डिब्बों से घर तक पहुंचाने के लिए बेवसाइट शुरू की गई है। इस सबने कुलियों की जिंदगी को तबाह कर दिया है। हालत इतनी बुरी है कि रेलवे से स्वास्थ्य सुविधा, हेल्थ कार्ड, बच्चों की शिक्षा, वर्दी आदि की सुविधाओं के आदेश भी हुए वह कागज के ढेर बनकर रह गए हैं।

वक्ताओं ने कहा कि कुलियों को सरकारी नौकरी देने में संसाधनों की कमी नहीं है। अगर देश के सुपर रिच की संपत्ति पर टैक्स लगाया जाए तो इतने आर्थिक संसाधन इकट्ठे हो जाएंगे कि कुलियों की नौकरी में वेतन पर व्यय होने वाले धन के साथ-साथ भारत के हर नागरिक को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। बैठक में प्रयागराज में कुलियों के ऊपर लादे मुकदमे पर आक्रोश व्यक्त करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की भी मांग उठी।

बैठक के मुख्य वक्ता वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर और विशिष्ट अतिथि नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के एस. यू. शाह, रंजन सिंह रहे। बैठक को मुंबई से नंदू यादव, देहरादून से राजकुमार, झांसी से गोलू ठाकुर, भुसावल से अनिल सांवले, हुबली से अमजद, अलीगढ़ से सुरेंद्र यादव, न्यू जलपाईगुड़ी से चंद्रशेखर मुखिया, भोपाल से रामबाबू बिलाला, संत हरिदास नगर से राम महावर, मनमाड से अकबर भाई, मुंबई से अशोक आवर, नासिक से प्रकाश वोडके, पुणे से कालूराम दोहरे, ग्वालियर से मूलचंद, वर्धमान से राजकुमार यादव, हावड़ा से कन्हैया ग्वाला, थाणे से भगवान देशमुख, कुर्ला से लालजी यादव, जोधपुर से ओमप्रकाश सिंधी, कानपुर से अलीमुद्दीन, हुबली से इमाम, कांजी पेठ से बेंकट, गुवाहाटी से डी. हजारिका, मधुपुर से ओमप्रकाश, शिकोहाबाद से श्याम सुंदर, हजारीबाग से अनिल मंडल, डेहरी ऑन सोन से संदीप, विजयवाड़ा से नागेश्वर, रायगढ़ से धनीराम, सतना से उमेश शर्मा, जबलपुर से जीशान, बेंगलुरु से दिलशेर खान, लालडिंग असम से धनंजय उपाध्याय, कानपुर से रामजन्म यादव, पटना से तृप्ति कुमार, मुंशी यादव आदि ने संबोधित किया और सम्मेलन में सैकड़ों की संख्या में कुली उपस्थित रहे।

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