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बिजली का निजीकरण राष्ट्रीय हितों और संविधान के खिलाफ, महंगाई की मार झेलती जनता होगी महंगी बिजली खरीदने को मजबूर

Janjwar Desk
9 Feb 2025 10:10 PM IST
बिजली का निजीकरण राष्ट्रीय हितों और संविधान के खिलाफ, महंगाई की मार झेलती जनता होगी महंगी बिजली खरीदने को मजबूर
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file photo

Sonbhadra news : निजीकरण विरोध के आंदोलन को कुछ नौकरशाहों की मंशा तक सीमित न करके इसे कॉर्पोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ लक्षित किया जाना चाहिए। साथ ही आंदोलन को फैक्ट्री और विभाग के गेट तक ही नहीं आम जनता तक ले जाने की आज जरूरत है...

सोनभद्र, ओबरा। 'बिजली का निजीकरण राष्ट्रीय हितों और संविधान की भावना के विरुद्ध है। डॉक्टर अंबेडकर ने आजादी के पहले और संविधान बनाते समय कहा था कि बिजली को सस्ता और सरकारी क्षेत्र में होना चाहिए। यह देश में औद्योगीकरण और कल्याणकारी राज्य में आम आदमी की सामाजिक आर्थिक स्थिति को सहारा देने के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का फैसला प्रदेश में औद्योगीकरण को बाधित करेगा और भीषण महंगाई से पीड़ित आम जनता को बेहद महंगी बिजली खरीदने के लिए मजबूर करेगा। इसलिए समाज के सभी हिस्सों को इस निजीकरण के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।'

यह अपील आज रोजगार अधिकार अभियान के सिलसिले में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में स्थित ओबरा आए पूर्व श्रम बंघु और एआईपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने पत्रकारों से संवाद करते हुए कहीं। इस अवसर पर बिजली के निजीकरण के खिलाफ एआईपीएफ की आम जनता के नाम अपील को भी जारी किया गया।

उन्होंने बताया कि अपने ओबरा प्रवास के दौरान दो दिनों में उन्होंने विभिन्न कर्मचारी संगठनों, अभियंताओं, कर्मचारियों एवं मजदूरों से संवाद किया। उनसे भी अपील की है कि निजीकरण विरोध के आंदोलन को कुछ नौकरशाहों की मंशा तक सीमित न करके इसे कॉर्पोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ लक्षित किया जाना चाहिए। साथ ही आंदोलन को फैक्ट्री और विभाग के गेट तक ही नहीं आम जनता तक ले जाने की आज जरूरत है।

उन्होंने रोजगार अधिकार अभियान के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की गारंटी, देश में सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती, हर नागरिक के सम्मानजनक जीवन की संवैधानिक गारंटी और इसके लिए संसाधन जुटाने के लिए कॉर्पोरेट घरानों की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाने व काली अर्थव्यवस्था पर लगाम लगाने के सवाल पर यह अभियान पूरे देश में चल रहा है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से पूंजी का पलायन लगातार हो रहा है। यह बात प्रदेश के वित्त मंत्री ने भी खुद स्वीकार की है। सोनभद्र जनपद में ही यहां के लोगों की बैंकों में जमा पूंजी का 69 फ़ीसदी दूसरे प्रदेशों में पलायन कर जा रहा है। यदि इस पलायन पर रोक लगे और यहां के नौजवानों के कौशल विकास पर खर्च हो और उन्हें नवाचार में उद्योग लगाने के लिए 10 लाख रुपए अनुदान दिया जाए तो बेरोजगारी के बड़े संकट को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि ठेका मजदूरों को पक्की नौकरी, सम्मानजनक जीवन, उचित वेतनमान और सामाजिक सुरक्षा दी जा सकती है बशर्ते अर्थनीति की दिशा बदले। आज तो हालत यह है कि बेरोजगारी और महंगाई में अपने परिवार का जीवन चलाने की मजबूरी का फायदा उठाकर काम के घंटे 12 किया जा रहे हैं। पिछले 10 वर्षों से प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी का वेज रिवीजन नहीं किया गया है। श्रम शक्ति की बेइंतहा लूट के लिए कानून के विरुद्ध ठेका प्रथा चलाई जा रही है। आज जरूरत है देश की आय और संपत्ति में मजदूरों की हिस्सेदारी को सुनिश्चित किया जाए।

संवाद में मौजूद ठेका मजदूर यूनियन जिला उपाध्यक्ष तीर्थराज यादव और संयुक्त मंत्री मोहन प्रसाद ने बताया कि 23 फरवरी को यूनियन का 22वां जिला सम्मेलन अनपरा में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें ठेका मजदूरों के सम्मानजनक जीवन और अधिकारों के सवालों को उठाया जाएगा। इस सम्मेलन में विभिन्न उद्योगों, विभागों व ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत ठेका मजदूरों के प्रतिनिधि हिस्सेदारी करेंगे।

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