Sitapur News : रोजगार अधिकार सम्मेलन के लिए छात्रों ने चलाया हस्ताक्षर अभियान, 25 लाख रिक्त पदों पर भर्ती की मांग
(राजधानी लखनऊ में रोजगार के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाते छात्र)
Sitapur News : रोजगार को लेकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी (Yogi Adityanath) सरकार बड़े-बड़े दावे करती रही है, बावजूद इसके बड़ी संख्या में सरकारी पद अब भी रिक्त पड़े हैं। इन रिक्त पदों पर नियुक्ति को लेकर तैयारी करने वाले छात्र सीतापुर जिले में रोजगार अधिकार सम्मेलन करने जा रहे हैं। छात्र रिक्त पड़े 25 लाख सरकारी पदों पर नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक यह रोजगार सम्मलेन सीतापुर के टिकरा बाजार के मंडी समिति हॉल में 23 अक्टूबर को होने वाला है।
एक और जहां युवा रोजगार को लेकर सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर सरकार कागजों में लाखों युवाओं को रोजगार दे चुकी है। राजधानी लखनऊ में आरक्षित पदों पर शिक्षकों की भर्ती में कथित गड़बड़ी को लेकर छात्र जांच की मांग कर रहे हैं तो वहीं सरकार जांच कराने के बजाए आंदोलन को दबाने की कोशिश में जुटी है।
युवा चला रहे हस्ताक्षर अभियान
रोजगार अधिकार सम्मलेन (Rojgar Adhikar Sammelan) के लिए इन दिनों युवा जोर-शोर से हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। इसके लिए वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि के जरिए प्रतियोगी छात्रों से समर्थन जुटा रहे हैं। इस सम्मेलन से जुड़ने के लिए अलग-अलग कोचिंग सेंटर्स, हॉस्टल्स और कॉलेजों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। आंदोलनकारी छात्र रोजगार अधिकार सम्मेलन में अधिक से अधिक छात्रों को जोड़ने में जुटे हैं ताकि योगी सरकार पर दबाव बनाया जा सके और उनकी मांगें पूरी हो जाएं।
छात्र रोजगार (Employement) के लिए आंदोलन ऐसे वक्त में कर रहे हैं जब सूबे की सभी पार्टियां आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जोरों-शोरों से जुटी हुई हैं। हालांकि रोजगार के मुद्दे पर अभी तक किसी विपक्ष पार्टी ने छात्रों को अपना समर्थन नहीं दिया है।
सरकार का किताबी दावा
उत्तर प्रदेश के एडिशनल मुख्य सूचना आयुक्त नवनीत सहगल (Naveen Sehgal) का कहना है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते 3 साल में 3.70 लाख़ युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराए हैं। सरकार ने 2020 में 36,000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया है।
नवनीत सहगल का दावा था कि राज्य सरकार (UP Govt) ने 19,796 हजार करोड़ रुपए का लोन दिया है जिससे प्रदेशभर में 25 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं। ठीक एक साल बाद 2021 में योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि प्रदेश में पिछली सपा और बसपा सरकार की तुलना में 3 गुना ज्यादा नौकरियां दी गयी हैं। दावे के मुताबिक पिछले 4 साल में प्रदेशभर में 6,65,000 नौकरियां युवाओं दी गयी हैं जिसमें 2 लाख से ज्यादा नौकरी आउटसोर्सिंग की हैं और 45,000 नौकरिया अनुबंध के तहत दी गई हैं।
यानी सरकार के दावा को मानें तो बीते एक साल में जब पूरे देश में लॉकडाउन और महामारी की वजह से लोगों की नौकरियां जा रही थीं तो उत्तर प्रदेश की सरकार ने 2 लाख से ज्यादा नौकरियां युवाओं को दी हैं। हालांकि सरकार ने हर विभाग का डेटा जारी किया है कि किस विभाग में कितने लोगों को नौकरियां दी गई हैं।
सरकार के डेटा को मानें तो यूपी पुलिस कमीशन में 36,685, यूपी सबोर्डिनेट कमीशन में 18584, यूपी हायर एजुकेशन सर्विस कमीशन में 1924, विधुत विभाग में 6507, यूपी पुलिस में 1, 43445, बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट में 1,25,987, अनुबंध नौकरी 47, 546, आउटसोर्सिंग के जरिए 273657, कुल 6 ,65 ,339 नौकरिया प्रदेश के युवाओं को मिली हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष 50 लाख से ज्यादा छात्र 10वीं और 12वीं का इम्तिहान देते हैं। पूरे देशभर में सबसे ज्यादा नौकरी की तैयारी उत्तर प्रदेश के युवा करते हैं।
आंदोलनकारी छात्रों की मांग
आंदोलनकारी छात्रों की मांग है कि सरकारी विभाग में 25 लाख रिक्त पदों को भरा जाए। रोजगार और विकास के नाम पर उत्तर प्रदेश की सत्ता पर भाजपा (BJP) काबिज हुई थी। लेकिन प्रदेश के अधिकांश छात्र और बेरोजगार नौकरियों के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
छात्रों की दूसरी मांग है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 Teachers Recruitment Scam) में हुए कथित आरक्षण घोटाले की जांच हो और आरक्षित पदों पर गैर आरक्षित अभ्यर्थियों की नियुक्ति को रद्द किया जाए। इसको लेकर लखनऊ में छात्रों ने कई दिनों तक आंदोलन किया था। छात्रों का ये भी कहना है कि भर्तियों में सामाजिक न्याय से छेड़छाड़ बंद हो और सरकारी भर्तियों में सरकार सामाजिक न्याय की गारंटी दे। वहीं इस मामले पर सरकार का कहना है कि नियुक्तियों में आरक्षित पदों को लेकर कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। किसी आरक्षित पद पर गैर आरक्षित नियुक्ति नहीं है।
छात्रों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा लैटरल एंट्री सिस्टम (Lateral Entry System) से बिना आईएएस की परीक्षा दिए 31 लोग सीनियर आईएएस अफसर बन गए। इन छात्रों का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा बिना परीक्षा लिए लेटरल इंट्री के जरिए अपनी पसंद और सुविधानुसार लोगों की सिविल सेवा में भर्ती भ्रष्टाचार और घोटाले का उदाहरण हैं। इससे वंचित तबकों को इन सेवाओं में प्रवेश के मौके सीमित हो जाएंगे और निजी क्षेत्रों का दबदबा कायम रहेगा। इस तरह की नीतियों का युवा विरोध करेंगे।