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जोशीमठ में आपदा कार्यों को लेकर प्रशासन पर लग रहे घोर लापरवाही बरतने और पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने के आरोप

Janjwar Desk
8 Sept 2025 9:50 PM IST
जोशीमठ में आपदा कार्यों को लेकर प्रशासन पर लग रहे घोर लापरवाही बरतने और पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने के आरोप
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file photo

जोशीमठ आपदा के ढाई साल बीतने पर भी अभी तक प्रभावितों का पूर्ण पुनर्वास नहीं हो पाया है। भूमि का मूल्य और अन्य बहुत से पुनर्वास मुआवजे के कार्य अधूरे हैं, जिससे जनता में दिन प्रतिदिन आक्रोश और अपने भविष्य की चिन्ता बढ़ रही है...

Joshimath news : आपदा प्रभावित जोशीमठ में आपदा के कार्यों को लेकर शासन प्रशासन की पक्षपातपूर्ण व्यवहार, लापरवाही एवं उपेक्षा पर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने बयान जारी किया है। गौरतलब है कि आज 8 सितम्बर 2025 को तहसील जोशीमठ में आपदा कार्यों के तहत सीवेज ड्रेनेज ट्रीटमेंट कार्यों की डीपीआर का पब्लिक प्रेजेंटेशन होने की सूचना थी।

संघर्ष समिति का आरोप है कि पहले जारी सूचना में नगर पालिका अध्यक्ष सभासद एवं जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति एवं अन्य स्टेकहोल्डर्स को इस बैठक में शामिल होने की न सूचना दी गई और न ही उपजिलाधिकारी द्वारा जारी पत्र में उल्लेख किया गया। जब जिलाधिकारी को इसका संज्ञान लेने और इस सन्दर्भ में आपत्ति की गई तब जिलाधिकारी चमोली के हस्तक्षेप के उपरान्त नया पत्र जारी कर दिया गया। वह पत्र भी संबंधित लोगों को दिया नहीं गया।

बकौल समिति, उपजिलाधिकारी के इस कृत्य पर हमने बैठक में अपनी आपत्ति जाहिर करते हुए उन पर पार्टी बनने पक्षकार बनने का आरोप लगाते हुए उनके इस कृत्य की निंदा की है। जोशीमठ नगर पहले ही आपदा प्रभावित है, उस पर ऐसे अधिकारी जो जनता को ही बांटने का कार्य करें और बड़ी आपदा हैं। हम जिलाधिकारी और सरकार से अक्षम अधिकारियों को यहां से तुरंत हटाने की मांग करते हैं।

संघर्ष समिति की ओर से संयोजक अतुल सती द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि जोशीमठ की जनता ने लड़कर आन्दोलन के बूते जोशीमठ की रक्षा के लिए सरकार को धन आवंटन हेतु राजी किया। आज दो वर्ष से अधिक बीतने पर भी जोशीमठ स्थिरीकरण और रक्षा के कार्यों में कोई प्रगति नहीं दिख रही है। आज हुई बैठक से यह साबित हुआ कि किस तरह अलग अलग संस्थाओं को डीपीआर का कार्य दिया जा रहा है और वह किस तरह जनता के धन को बर्बाद कर रहे हैं।

सीवेज ड्रेनेज ट्रीटमेंट की आज सार्वजनिक की गई डीपीआर पर सभी उपस्थित लोगों ने घोर आपत्ति व्यक्त की। पूरी डीपीआर में तमाम खामियां हैं। डीपीआर में पूरे नगर को शामिल नहीं किया गया है। सीवेज ट्रीटमेंट हेतु एक ही एसटीपी प्रस्तावित है जो अभी वर्तमान की 25 हजार आबादी की जरूरतों के लिए ही पूरी तरह अपर्याप्त है, भविष्य में जनसंख्या बढ़ने पर क्या होगा।

नालों के ट्रीटमेंट के बारे में सर्वेक्षण करने वालों को उनके हेड टेल का ही ठीक से पता नहीं है। सेना आईटीबीपी के सीवेज की जानकारी नहीं है, जो कि उनकी लापरवाही और कार्यों के प्रति गम्भीरता के स्तर को दिखाता है। इस पर हमारा कहना है कि यह ढाई साल से जनता को मूर्ख बनाने के लिए डीपीआर डीपीआर का खेल खेला जा रहा है। एक विभाग से दूसरे विभाग को डीपीआर की फाइल हस्तांतरित हो रही हैं, जिसमें जनता का धन बर्बाद किया जा रहा है। जनता के पैसे से डीपीआर वाली एजेंसियां अय्याशी कर रही हैं।

जोशीमठ आपदा के ढाई साल बीतने पर भी अभी तक प्रभावितों का पूर्ण पुनर्वास नहीं हो पाया है। भूमि का मूल्य और अन्य बहुत से पुनर्वास मुआवजे के कार्य अधूरे हैं, जिससे जनता में दिन प्रतिदिन आक्रोश और अपने भविष्य की चिन्ता बढ़ रही है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति सरकार से मांग करती है कि जोशीमठ के स्थिरीकरण और सुरक्षा के कार्यों को शीघ्रता से प्रारम्भ किया जाए, साथ ही प्रभावितों के मुआवजे पुनर्वास के कार्य प्राथमिकता से पूरे किए जाएं। अपने नगर और भविष्य को बचाने के लिए संघर्ष समिति द्वारा जनता से पुनः आन्दोलन हेतु संगठित होने की अपील भी की गयी है।

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