फ्रांस सीरियल किलिंग को जायज ठहराने वाले मुनव्वर राणा की मशहूर शायर गौहर रजा ने की प्रज्ञा ठाकुर से तुलना, बताया घोर महिलाविरोधी
जनज्वार। फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून के बाद चले हत्याओं के दौर को शायर मुनव्वर राणा ने जायज ठहराया है, जिसके बाद वो सबके निशाने पर हैं। गौरतलब है कि फ्रांस में एक टीचर की हत्या के बाद फ्रांस के एक चर्च में हमलावर ने एक महिला का गला काट दिया और दो अन्य लोगों की भी चाकू मारकर हत्या कर दी गयी थी।
इन हत्याओं को मशहूर शायर मुनव्वर राना ने जायज ठहराते हुए कहा था कि अगर कोई हमारी मां का या हमारे बाप का ऐसा कार्टून बना दे तो हम तो उसे मार देंगे। गौरतलब है कि मुनव्वर राना अक्सर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते आये हैं।
मुनव्वर राणा के इस बयान की निंदा करते हुए मशहूर शायद और वैज्ञानिक गौहर रजा ने कहा है कि मुनव्वर राणा साहेब के बयान की जितनी निंदा की जाए कम है। उनका ये कहना के अगर कोई मेरे माँ बाप की बेज़्ज़ती करेगा, या राम और देवियों के बारे में कोई कुछ बुरा कहेगा तो मैं उसे क़त्ल कर दूँगा असभ्य है, सभ्यता की हदों को पार करने वाल बयान है।'
गौहर रजा आगे कहते हैं, एक कवि से इसकी उम्मीद नहीं की जाती। मगर वो पहले भी उर्दू की कवित्रियों पर बेहद आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं। जो औरतों की इज़्ज़त नहीं करता, वही ऐसे बयान दे सकता है। 21वीं सदी में हम सभ्य समाज में रहते हैं और क़ानून अपने हाथ में लेने का किसी को हक़ नहीं। हमारे देश में मॉब-लिंचिंग की जो घटनाएँ हुईं उनमें और राणा साहेब जो कुछ करने को कह रहे हैं, उसमें मुझे कोई फ़र्क़ नहीं दिखाई देता। उन्हें यह अहसास होना चाहिए कि प्रज्ञा ठाकुर और उनके बयान में भी कोई फ़र्क़ नहीं। इस बयान पर कम से कम सारे कवियों और शायरों को तो अपनी आवाज़ उठाना ही चाहिए, और उनका बहिष्कार करना चाहिए।
गौहर रजा के अलावा कई अन्य राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता मुनव्वर राणा की इस बयान के कारण निंदा कर रहे हैं।
मुनव्वर राणा ने एक बात और कही थी कि एमएफ हुसैन ने हिंदू देवी-देवताओं की विवादित पेंटिंग्स बनाईं तो उस बुजुर्ग शख्स, 90 साल के बूढ़े आदमी को देश छोड़कर भागना पड़ा। एमएफ हुसैन इस बात को जान चुके थे कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें मार दिया जाएगा। गैर मुल्क में उसकी मौत हुई। जब हिंदुस्तान में हजारों साल से ऑनर किलिंग को जायज मान लिया जाता है कोई सजा नहीं होती है तो फ्रांस की घटना को नाजायज कैसे कहा जा सकता है।
मुनव्वर राणा यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे और विवाद को बढ़ाते हुए कहा, 470 साल पहले बाबरी मस्जिद के सिलसिले में जिन बादशाहों ने गलती की हो, मजहबी मामले में जिसने भी मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दिया, ऐसे में पूरी कौम को गालियां खानी पड़ीं। मैंने यह कहा कि मजहब एक खतरनाक खेल है। इससे लोगों को दूर रहना चाहिए।
जब मुनव्वर राणा के इस विवादित बयान के बाद तीखी आलोचना होने लगी तो उन्होंने अपनी सफाई पेश की। अपनी सफाई में उन्होंने कहा कि फ्रांस में हो रही हिंसा को कभी भी मैंने जायज नहीं ठहराया है। मेरी बात का दूसरा मतलब निकाला गया। फ्रांस में जो हुआ वो बुरा हुआ, मजहब के नाम पर ये रोजाना हो रहा है। आतंकवाद तो आतंकवाद होता है, इंसान के बिना धर्म का कोई मतलब नहीं हो सकता।