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संस्कृति

जन्म शताब्दी पर याद किये गये मशहूर कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु, मातृभाषा को साहित्य में दिलायी पहचान

Janjwar Desk
5 March 2021 9:03 AM GMT
जन्म शताब्दी पर याद किये गये मशहूर कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु, मातृभाषा को साहित्य में दिलायी पहचान
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जनज्वार। पद्मश्री फणीश्वर नाथ 'रेणु' के जन्म शताब्दी 04 मार्च को बिक्रमपुर गांव में धूम-धाम से मनाया गया। इस अवसर पर साहित्यक चर्चा एवं कवि सम्मलेन आयोजित किया गया।

कार्यक्रम संयोजक सोशलिस्ट नेता गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु की कलम में गांव की अभिव्यक्ति की स्याही है, जिसे सिर्फ पन्नों पर ही नहीं वरन लोगों के दिलोदिमाग पर उकेरने का काम किया। अंगिका भाषा की इस सोंधी सुगंध का विराट रूप का केन्द्र फणीश्वर नाथ रेणु हैं।

रेणु जी ने गाँव के नौजवानों को "हीरामन" कहा जिसके अंदर असीम संवेदन है और अपनी संवेदना को प्रकट करने के लिए सिर्फ शब्दों का ही नहीं, बल्कि अपने अभिनय से बात को कह देने की कला है। पात्र कहीं नाराज़गी व्यक्त करते हैं तो वो अपने साथी बैल को ही मन की बात कहकर संतुष्ट हो जाता है। रेणु ने अंगिका भाषा अर्थात मातृभाषा का सम्मान बहुत ही नम्र और मज़बूती के साथ साहित्य भंडार तक लाने का कार्य किया है। हिन्दी साहित्य जगत के ये एक मुस्तकिल है।

फणीश्वर नाथ रेणु को अपना इष्ट मानने वाले या यूं कहें "रेणु" को जीने वाले अंगिका के मूर्धन्य कवि भगवान प्रलय ने कहा रेणु जी ने जो कार्य किए वह अनमोल है, लेकिन उसके आगे रेणु जी जहां जाना चाहते थे जो कार्य उनका अधूरा रह गया है, उसे हम आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।

डाॅ. अंजनी विशू ने कहा रेणू एक क्रांतिकारी लेखक थे। इन्होंने अन्याय-उत्पीड़न के खिलाफ पद्मश्री पदक लौटाकर एक युगांतकारी फ़ैसला लिया था। वे भले सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुनाव में चुनाव हारे, लेकिन आजीवन संघर्षरत रहे चाहे भारत का मामला हो या नेपाल का। रेणु जी आज हम-सबके लिए प्रेरणास्रोत है।

प्रलय जी ने रेणु रचित महुआ घटवारिन काव्य ग्रंथ की कुछ पंक्तियों को सुनाया, कंङना रसैं-रसैं झूनूर-झूनूर बोलैऽ सहित दर्जनों कविता पाठ किए।

विजेता मुद्गलपुरी ने कई गंभीर हास्य कविताओं को सुनाकर दर्शकों से वाहवाही ली... ई हो उमर छरपना काका बेलगट तीन महला सेऽ फायन गेलैऽ

सुरेश सूर्य ने रेणू जी को याद करते हुए कहा आज सामने उभर रहा यह सबसे जटिल सवाल है, गाँधी-गौतम की धरती क्यों आज लहू से लाल है।

उर्दू के शायर इकराम हुसैन साद ने भाईचारे का पैगाम देते हुए तथा सत्ता की साजिश पर निशाना साधते हुए अपनी रचना से दर्शकों से तालियाँ बटोरी। कार्यक्रम की शुरुआत फीता कटकर किया गया। मंच की अध्यक्षता समाजसेवी मनोज लाल ने किया जबकि संचालन कवि अरूण अंजाना ने किया।

इस मौके पर मनोज माही, कुमार गौरव, विनय दर्शन, मनोज कुमार, हर्षत कुमार, सोनू कुमार व धनंजय सुमन ने अपनी अंगिका और हिंदी कविता से दर्शकों को बांधे रखा।

अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी मनोज लाल व संयोजक गौतम कुमार प्रीतम ने सभी कविगण व कार्यकर्ता साथी को अंगवसत्र व कलम देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में बिपिन कुमार, राहुल कुमार, अशोक मंडल, राहुल कुमार, बीरेन्द्र महतो, राजा कुमार, शंकर महतो, गोलू, अभिषेक, दीपक, ब्रजेश, पुलिस महतो, सहित ग्रामीण का सहयोग रहा।

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