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संस्कृति

लिखा कुछ भी नहीं, लिखने की क़वायद की....

Janjwar Desk
22 Sep 2022 8:47 AM GMT
लिखा कुछ भी नहीं, लिखने की क़वायद की....
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Hindi Poetry : घटनाएँ काले घोड़े पर सवार, दौड़ती ही रहीं ज़हन के शीशों में, उनके अक्स बने और मिटे, पर क़ैद ना हुए ज़ालिम.....

युवा कवि शशांक शेखर की कविता 'लिखा कुछ भी नहीं'

लिखा कुछ भी नहीं

लिखने की क़वायद की

तवक्को किया दर्द का

हर्फ़ों की तिजारत की

और ये कैसा बीता साल

मुल्क के मामूलात

आते रहे जाते रहे

घटनाएँ काले घोड़े पर सवार

दौड़ती ही रहीं ज़हन के शीशों में

उनके अक्स बने और मिटे

पर क़ैद ना हुए ज़ालिम

ना उकेरे गए ना जज़्ब हुए

अब अपनी नाकामी का क़िस्सा बयान करें

या लगाएँ पैबंद दिल के ख़ाली झरोखे में

कैसे ढँक लें अपना मुँह अपनी हार से

बग़ैर कुछ लिखे भी क्या लिखना हुआ इस साल

कविताओं की कोई मंजरी इस बरस नहीं खिली

नींद तो आयी पर नीम बेहोशी नहीं गुज़री

कलम और दवात संजोए रहे इंतज़ार में

ये लगा आज तो कोई नज़्म पेश होगी

कोई वाक़या कोई क़िस्सा कोई सरगुज़श्त

पुरानी डाइअरी का सफ़ा हमारी दवात से भीगेगा

पर नहीं हो रहा …सच में नहीं ..रच रहा कोई संसार

लिखा कुछ भी नहीं

लिखावट की आमद में रहे

सोचा ,रतजगा किए.. पर सोए रहे ।

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