Begin typing your search above and press return to search.
हाशिये का समाज

अल्पसंख्यक समुदाय के 16 बंधुआ मजदूरों को बेचकर बनाया गया था बंधक, छूटने के बाद बतायी दर्दनाक कहानी

Janjwar Desk
25 Nov 2020 2:12 PM GMT
अल्पसंख्यक समुदाय के 16 बंधुआ मजदूरों को बेचकर बनाया गया था बंधक, छूटने के बाद बतायी दर्दनाक कहानी
x

मुक्त कराये गये बंधुआ मोर्चा

जब मजदूरों को कश्मीर से संभल लाया गया तो यहां मालिक का शोषण आसमान पर चढ़कर कहर बरपाने लगा, जब भी मज़दूर मज़दूरी की बात करते तो मालिक के हाथों उन्हें पिटना पड़ता और मालिक मजदूरों को कहीं आने-जाने नहीं देता....

जनज्वार। यूपी के संभल जनपद से 16 बंधुआ मजदूरों को जिन्हें लगभग बंधक जैसी हालत में रखा गया था, मुक्त कराया गया है। इन्होंने मुक्त होने के बाद जो कहानी बतायी, उससे पता चलता है कि लॉकडाउन के बाद मजदूरों के हालात और भी कितने ज्यादा बदतर हो चुके हैं। मुक्त कराये गये 16 लोगों में 5 पुरुष, 4 महिलायें और 9 बच्चे शामिल हैं।

नेशनल कैंपेन केमटी फॉर ईरेडिकेशन ऑफ़ बोंडेड लेबर उत्तर प्रदेश ने बंधुआ मुक्ति मोर्चा दिल्ली को 13 नवंबर को सूचना दी कि 33 मजदूरों को अल्पसंख्यक समुदाय से है, को जिला संभल के मछाली गांव में एच प्लस एच भट्टे में चल रही बंधुआगिरी से मुक्त कराया जाये। तत्काल बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने संभल जिले के जिलाधिकारी एवं एडीएम को एक शिकायत भेजकर मानव तस्करी से पीड़ित बंधुआ मजदूरों के मुक्ति की गुहार लगाई।

23 नवंबर को बंधुआ मुक्ति मोर्चा, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क एवं नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर ईरेडिकेशन ऑफ़ बोंडेड लेबर के प्रतिनिधियों की टीम संभल जिला पहुंची और वहां जाकर एडीएम संभल से संपर्क किया। एडीएम संभल ने एसडीएम संभल को तत्काल बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने का आदेश दिया।

उप जिलाधिकारी देवेंद्र यादव के निर्देशन में नायब तहसीलदार भारत प्रताप सिंह, श्रम अधिकारी विनोद कुमार शर्मा, हरद्वारी लाल गौतम विजिलेंस की टीम मेंबर और असमोली थाना की एक टीम बनाकर बंधुआ मुक्ति मोर्चा के सोनू तोमर, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के एडवोकेट ओसबर्ट खालिंग एवं कंवलप्रीत कौर की टीम के साथ मछालि के गांव में बहाली के जंगल में छापा मारकर 16 बंधुआ मजदूरों को मुक्त सपरिवार सहित मुक्त कराया, जिसमें 5 पुरुष, 4 महिला एवं सात बच्चे शामिल थे। ये बंधुआ मज़दूर यूपी के जिला बागपत, शामली एवं मुजफ्फरनगर के निवासी थे।

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के मुताबिक मुक्त बंधुआ मजदूरों की हालात बहुत ही नाजुक एवं दर्दनाक थीं। इनके पास कुछ भी खाने की सामग्री मौजूद नहीं थी। न रहने के लिए मकान थे। मुक्त कराये गये मजदूरों ने बताया कि एक ठेकेदार उन्हें उत्तर प्रदेश से जम्मू कश्मीर में काम करने के लिए यह कहकर ले गया कि एक महीने बाद वो वापस उत्तर प्रदेश ले आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मजदूरों को मानव तस्करी का शिकार बनाकर बंधुआ मज़दूर बना डाला। परिवार सहित फंसे मजदूर दिन रात मालिक एवं ठेकेदारों की मारपीट के शिकार होते। मजदूरों को ना तो काम का पैसा मिला ना सम्मान।

जब मजदूरों को कश्मीर से संभल लाया गया तो यहां मालिक का शोषण आसमान पर चढ़कर कहर बरपाने लगा। जब भी मज़दूर मालिक से मज़दूरी की बात करते तो मालिक के हाथों उन्हें पिटना पड़ता और मालिक मजदूरों को कहीं आने-जाने नहीं देता। मालिक महिला मजदूरों के साथ भी बदतमीजी करता था। खाने के नाम पर प्रत्येक परिवार को एक माह पहले 5 किलो चावल तथा 5 किलो आटा और 1 किलो दाल दी थी, फिर कुछ नहीं। मजदूर कार्यस्थल पर एधर उधर मांग मांग कर पेट भरते थे।

मजदूरों की हालत उनके साथ हुए अत्याचार की कहानी बयां करती नजर आई। प्रशासन की टीम ने बयान दर्ज किए, फिर एसडीएम संभल ने भट्टे मालिक एवं मानव तस्कर पर तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए और तत्काल मजदूरों को मुक्ति प्रमाण पत्र जारी किए। सभी मजदूरों को कोई मज़दूरी नहीं दी गई और उन्हे उनके गांव भेज दिया गया।

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल अग्नि ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मजदूरों को मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी के खेमे से बाहर निकाला गया, मगर वर्तमान में जीवन जीने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं है। बंधुआ मजदूरों की पुनर्वास की योजना 2016 के तहत तत्काल सहायता राशि प्रत्येक मुक्त बंधुआ मजदूर को 20,000 रुपए के हिसाब से दी जनी चाहिए। साथ ही संभल जिले में तत्काल प्रभाव से बंधुआ मजदूरों का सर्वे किया जाना चाहिए, नहीं तो गुलामी क यह चक्र चलता रहेगा।

लॉकडॉउन के कारण मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी के मामले बढ़ रहे हैं। कोरोना में मजदूरों को हर कोई बहाल फुसला कर बेच रहा है, इसलिए सरकार मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी के खिलाफ कड़े कदम उठाये जाने चाहिए।

Next Story

विविध